Shri Ram Stuti | श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन PDF Hindi

Shri Ram Stuti | श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन Hindi PDF Download

Shri Ram Stuti | श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन in Hindi PDF download link is available below in the article, download PDF of Shri Ram Stuti | श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन in Hindi using the direct link given at the bottom of content.

89 People Like This
REPORT THIS PDF ⚐

Shri Ram Stuti | श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन Hindi PDF

Shri Ram Stuti | श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन हिन्दी PDF डाउनलोड करें इस लेख में नीचे दिए गए लिंक से। अगर आप Shri Ram Stuti | श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन हिन्दी पीडीएफ़ डाउनलोड करना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही जगह आए हैं। इस लेख में हम आपको रहे हैं Shri Ram Stuti | श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन के बारे में सम्पूर्ण जानकारी और पीडीएफ़ का direct डाउनलोड लिंक।

Shree Ram Stuti Lyrics in Hindi

श्री राम चंद्र कृपालु भजमन, हरण भाव भय दारुणम्।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।
कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्।
पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।
भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।।
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।।
इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।
छंद
मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों।
करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।।
एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।
तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।।
।।सोरठा।।
जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।

श्री रामचंद्र कृपालु भजमन अर्थ सहित

श्रीरामचंद्र कृपालु भजु मन हरण भव भय दारुणं ।।
नवकंज-लोचन, कंज-मुख, कर-कंज पद कंजारुणं ।।१।।

अर्थ:-  हे मन ! कृपालु (कृपा करनेवाले, दया करनेवाले) श्रीरामचंद्रजी का भजन कर, वे संसार के जन्म-मरण रूप दारुण (कठोर, भीषण) भय को दूर करने वाले है । उनके नेत्र नव-विकसित कमल के समान है । मुख-हाथ और चरण भी लालकमल के सदृश हैं ॥१॥

कंदर्प अगणित अमित छवि नव नील नीरद सुन्दरम ।
पट पीत मानहु तड़ित रूचि-शुची, नौमी जनक सुतावरं ॥२॥

अर्थ:- उनके सौंदर्य की छ्टा अगणित (असंख्य, अनगिनत) कामदेवो से बढ़कर है । उनके शरीर का नवीन नील-सजल मेघ के जैसा सुंदर वर्ण है । पीताम्बर मेघरूप शरीर मानो बिजली के समान चमक रहा है । ऐसे पावनरूप जानकीपति श्रीरामजी को मै नमस्कार करता हूँ ॥२॥

भजु दीनबंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकन्दनं ।
रघुनंद आनंद कंद कोशल चन्द्र दशरथ नंदनम ॥३॥

अर्थ:- हे मन ! दीनों के बंधू, सुर्य के समान तेजस्वी, दानव और दैत्यो के वंश का समूल नाश करने वाले, आनन्दकंद, कोशल-देशरूपी आकाश मे निर्मल चंद्र्मा के समान, दशरथनंदन श्रीराम का भजन कर ॥३॥

सिर मुकुट कुंडल तिलक चारू उदारु अंग विभुषणं ।
आजानुभुज शर चाप-धर, संग्राम-जित खरदूषणं ॥४॥

अर्थ:- जिनके मस्तक पर रत्नजडित मुकुट, कानों में कुण्डल, भाल पर तिलक और प्रत्येक अंग मे सुंदर आभूषण सुशोभित हो रहे है । जिनकी भुजाएँ घुटनों तक लम्बी है । जो धनुष-बाण लिये हुए है, जिन्होने संग्राम में खर-दूषण को जीत लिया है ॥४॥

इति वदति तुलसीदास, शंकर शेष मुनि-मन-रंजनं ।
मम ह्रदय कंज निवास कुरु, कामादि खल-दल गंजनं ॥५॥

अर्थ:- तुलसीदास प्रार्थना करते हैं कि जो शिव, शेषजी और मुनियों के मन को प्रसन्न करने वाले और काम, क्रोध, लोभादि शत्रुओं का नाश करने वाले हैं । वे श्रीरघुनाथजी मेरे ह्रदय कमल में सदा निवास करे ॥५॥

मनु जाहि राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरो ।
करुना निधान सुजान सीलु सनेहु जानत रावरो ॥६॥

अर्थ:- जिसमें तुम्हारा मन अनुरक्त हो गया है, वही स्वभाव से ही सुंदर साँवला वर (श्रीरामचंद्रजी) तुमको मिलेंगे । वह करुणा निधान (दया का खजाना) और सुजान (सर्वग्य, सब जाननेवाला) है, शीलवान है । तुम्हारे स्नेह को जानता है ॥६॥

एही भांति गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषीं अली ।
तुलसी भावानिः पूजी पुनि-पुनि मुदित मन मंदिर चली ॥७॥

अर्थ:- इस प्रकार श्रीगौरीजी का आशीर्वाद सुनकर जानकीजी समेत सभी सखियाँ ह्रदय मे हर्षित हुई । तुलसीदासजी कहते हैं- भवानीजी को बार-बार पूजकर सीताजी प्रसन्न मन से राजमहल को लौट चली ॥७॥

जानी गौरी अनुकूल, सिय हिय हरषु न जाइ कहि ।
मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे ॥८॥

अर्थ:- गौरीजी को अनुकूल जानकर सीताजी के ह्रदय में जो हर्ष हुआ वह कहा नही जा सकता । सुंदर मंगलो के मूल उनके बाये अंग फडकने लगे ॥८॥

Download Shri Ram Stuti Arti | श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन in PDF format or read online for free using direct link provided below.

Also Check
Shree Ram Stuti in English PDF

Shri Ram Stuti | श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन PDF Download Link

REPORT THISIf the purchase / download link of Shri Ram Stuti | श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन PDF is not working or you feel any other problem with it, please REPORT IT by selecting the appropriate action such as copyright material / promotion content / link is broken etc. If Shri Ram Stuti | श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन is a copyright material we will not be providing its PDF or any source for downloading at any cost.

RELATED PDF FILES

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *