संतोषी माता आरती Santoshi Mata Aarti Hindi PDF

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संतोषी माता आरती Santoshi Mata Aarti - Summary

जिन लोगों को माता संतोषी आरती और व्रत में विश्वास है, उन्हें व्रत कथा सुनने के बाद संतोषी माता की आरती जरूर पढ़नी चाहिए। संतोषी माता की चालीसा और आरती के साथ व्रत करने से जीवन के सारे दुख दूर हो जाते हैं और घर में सुख-शांति बनी रहती है। आप यहाँ से संतोषी माता की आरती PDF भी डाउनलोड कर सकते हैं, जिससे यह पूजा और भी आसान हो जाएगी। आप इस PDF को 2025 में भी डाउनलोड कर सकते हैं।

संतोषी माता आरती और व्रत का महत्व

संतोषी माता ऐसी देवी माँ हैं जिनका व्रत शुक्रवार के दिन रखना बहुत शुभ माना जाता है। माता संतोषी के पिता गणेश जी और माता का नाम रिद्धि-सिद्धि है। संतोषी माता के आशीर्वाद से घर में धन-दौलत और खुशहाली हमेशा बनी रहती है। माँ संतोषी की कृपा से हमारी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं और घर में सुख-शांति आती है। 16 शुक्रवार तक संतोषी माता का व्रत रखने से जीवन में खुशियाँ और अच्छा भाग्य आता है। यह व्रत हमें दुख और परेशानियों से बचाता है।

संतोषी माता आरती के बोल – Santoshi Mata Aarti Lyrics

॥ आरती श्री सन्तोषी माँ ॥

जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता।
अपने सेवक जन को, सुख सम्पत्ति दाता॥
जय सन्तोषी माता॥

सुंदर चीर सुनहरी माँ धारण कीन्हो।
हीरा पन्ना दमके, तन श्रृंगार कीन्हो॥
जय सन्तोषी माता॥

गेरू लाल छटा छवि, बदन कमल सोहे।
मंद हंसत करुणामयी, त्रिभुवन मन मोहे॥
जय सन्तोषी माता॥

स्वर्ण सिंहासन बैठी, चंवर ढोरें प्यारे।
धूप दीप मधुमेवा, भोग धरें न्यारे॥
जय सन्तोषी माता॥

गुड़ अरु चना परमप्रिय, तामे संतोष कियो।
सन्तोषी कहलाई, भक्तन वैभव दियो॥
जय सन्तोषी माता॥

शुक्रवार प्रिय मानत, आज दिवस सोही।
भक्त मण्डली छाई, कथा सुनत मोही॥
जय सन्तोषी माता॥

मंदिर जगमग ज्योति, मंगल ध्वनि छाई।
विनय करें हम बालक, चरणन सिर नाई॥
जय सन्तोषी माता॥

भक्ति भावमय पूजा, अंगीकृत कीजै।
जो मन बसै हमारे, इच्छा फल दीजै॥
जय सन्तोषी माता॥

दुखी दरिद्री, रोग, संकट मुक्त किये।
बहु धन-धान्य भरे घर, सुख सौभाग्य दिये॥
जय सन्तोषी माता॥

ध्यान धर्यो जिस जन ने, मनवांछित फल पायो।
पूजा कथा श्रवण कर, घर आनंद आय॥
जय सन्तोषी माता॥

शरण गहे की लज्जा, रखियो जगदम्बे।
संकट तू ही निवारे, दयामयी अम्बे॥
जय सन्तोषी माता॥

सन्तोषी माता की आरती, जो कोई जन गावे।
ऋद्धि-सिद्धि, सुख-सम्पत्ति, जी भरकर पावे॥
जय सन्तोषी माता॥

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