ऋग्वेद (Rigveda) - Summary
ऋग्वेद (Rigveda) को समझने के लिए, यह जानना ज़रूरी है कि यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण और प्राचीन भारतीय धार्मिक ग्रंथ है। ऋग्वेद वैदिक संस्कृत भजनों का एक ऐतिहासिक संग्रह है। यह हिंदू धर्म के चार पवित्र ग्रंथों में से पहला वेद है। इस ग्रंथ में संहिता, ब्राह्मण, आरण्यक और उपनिषद शामिल हैं, जो इसकी गहराई और विशालता को दर्शाते हैं। ऋग्वेद में 1028 सूक्त हैं, जिनके माध्यम से देवताओं की स्तुति की गई है और यज्ञ में उन्हें आह्वान करने के लिए मंत्र दिए गए हैं। इतिहासकारों का मानना है कि यह वेद हिंद-यूरोपीय भाषा-परिवार की अभी तक ज्ञात पहली रचनाओं में से एक है। यह ग्रंथ उन प्राचीन ग्रंथों में से एक है जिसकी मान्यता आज भी समाज में बनी हुई है।
ऋग्वेद का महत्व
ऋग्वेद सबसे पुराना ज्ञात वैदिक संस्कृत ग्रंथ है। इसकी प्रारंभिक परतें किसी भी इंडो-यूरोपीय भाषा में सबसे पुराने मौजूदा ग्रंथों के रूप में जानी जाती हैं। ऋग्वेद की ध्वनियों और ग्रंथों को दूसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व से मौखिक रूप से पढ़ाया गया है। Rig Veda की 1800 से 1500 ईसवी पूर्व की लगभग 30 पाण्डुलिपियाँ सांस्कृतिक धरोहरों में शामिल की गई हैं! ऋग्वेद की रचना संभवतः सप्तसैंधव प्रदेश में हुई थी। यहाँ से आप Rigveda in Hindi PDF / ऋग्वेद हिंदी PDF मुफ्त में बड़ी आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं।
ऋग्वेद हिंदी – Rigveda in Hindi Detail
ऋग का अर्थ है स्थति और ज्ञान! ऋग्वेद सबसे पहला वेद है जो प्रतीकात्मक है, और इसमें बहुत कुछ है—यह अपने आप में एक सम्पूर्ण वेद है। इसका अर्थ है ऐसा ज्ञान जो ऋचाओं में बंधा हो।
इसके 10 मंडल यानी अध्याय में 1028 सूक्त हैं, जिनमें 11 हजार मंत्र हैं, यानी की 10580 मंत्र। प्रथम और अंतिम मंडल सामान्य रूप से बड़े हैं, जिनमें सूक्तों की संख्या 191 है।
ऋग्वेद में देवताओं के बारे में उनकी स्थिति के बारे में वर्णन किया गया है। इसके अलावा, इसमें जल चिकित्सा, वायु चिकित्सा, मानस चिकित्सा और हवन आदि द्वारा चिकित्सा के बारे में जानकारी दी गई है। ऋग्वेद में चवन ऋषि को पुनः युवा करने की लोककथा भी मिलती है।
ऋग्वेद में आपको दो प्रकार के विभाग मिलते हैं:
- अष्टकक्रम
- मंडल्क्रम
अष्टकक्रम : अष्टकक्रम में सभी ग्रंथों को अष्टको में और प्रत्येक ग्रंथ को आठ अध्यायों में विभाजित किया गया है। प्रत्येक अध्याय वर्गों में विभक्त है! कुल वर्गों की संख्या 206 है।
मंडल्क्रम : इसी प्रकार से इसमें में सभी ग्रंथ 10 मंडलों में विभाजित हैं। मंडल अनुवाक सूक्त और सूक्त मंत्रों या ऋचाओं में विभाजित है। इन 10 मंडलों में 85 अनुवाक्य, 1028 सूक्त हैं और इनके अलावा 11 बाल्खेल्य सूक्त भी हैं।
ऋग्वेद उपनिषद के प्रकार
वर्तमान में ऋग्वेद के 10 उपनिषद हैं। उनके नाम निम्नलिखित हैं:
- ऐतरेय,
- आत्मबोध,
- कौषीतकि,
- मूद्गल,
- निर्वाण,
- नादबिंदू,
- अक्षमाया,
- त्रिपुरा,
- बह्वरुका
- सौभाग्यलक्ष्मी।
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