महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (Mahishasura Mardini Stotram) Marathi

महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (Mahishasura Mardini Stotram) Marathi PDF download free from the direct link given below in the page.

124 Like this PDF
❴SHARE THIS PDF❵ FacebookX (Twitter)Whatsapp
REPORT THIS PDF ⚐

महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र Marathi PDF

महिषासुरमर्दिनी स्तोत्रम देवी महात्म्य पर आधारित है जिसमें मधु का वध करने के लिए देवी दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती का रूप लेती हैं और कैटभ, महिषासुर, और शुंभ और निशुंभ क्रमशः। कहा जाता है कि इस स्तोत्र की रचना रामकृष्ण कवि ने की थी जिनके बारे में कोई विवरण उपलब्ध नहीं है। महिषासुराचे वडील रंभा हे असुरांचे राजा होते आणि ते एकदा पाण्याच्या म्हशीच्या प्रेमात पडले (राजकन्या श्यामला, म्हैस होण्याचा शाप); या मिलनातून महिषासुराचा जन्म झाला. त्यामुळे तो मनुष्य आणि म्हैस यांच्यात इच्छेनुसार बदल करू शकतो (म्हैसा हा संस्कृत शब्द आहे).

महिषासुर हा महिसी (म्हैस) चा मुलगा आणि ब्रह्मर्षी कश्यपाचा नातू होता. शेवटी देवी दुर्गाने तिच्या त्रिशूलाने (त्रिशूल) त्याचा वध केला ज्यानंतर तिला महिषासुरमर्दिनी (“महिषासुराचा वध करणारा”) हे नाव मिळाले.महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम बर्फ गुरु आदि शंकराचार्य (श्री श्री श्री शंकर भगवतपादाचार्य) द्वारा लिखित भगवान दुर्गा का एक बहुत लोकप्रिय भक्ति गीत है। महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम PDF में डाउनलोड करने के लिए नीचे गए लिंक का उपयोग करे।

Mahishasura Mardini Stotram (महिषासुरमर्दिनी स्तोत्रम)

अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते
गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते ।
भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १ ॥

सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि हर्षरते
त्रिभुवनपोषिणि शङ्करतोषिणि किल्बिषमोषिणि घोषरते
दनुजनिरोषिणि दितिसुतरोषिणि दुर्मदशोषिणि सिन्धुसुते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ २ ॥

अयि जगदम्ब मदम्ब कदम्ब वनप्रियवासिनि हासरते
शिखरि शिरोमणि तुङ्गहिमलय शृङ्गनिजालय मध्यगते ।
मधुमधुरे मधुकैटभगञ्जिनि कैटभभञ्जिनि रासरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ३ ॥

अयि शतखण्ड विखण्डितरुण्ड वितुण्डितशुण्द गजाधिपते
रिपुगजगण्ड विदारणचण्ड पराक्रमशुण्ड मृगाधिपते ।
निजभुजदण्ड निपातितखण्ड विपातितमुण्ड भटाधिपते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ४ ॥

अयि रणदुर्मद शत्रुवधोदित दुर्धरनिर्जर शक्तिभृते
चतुरविचार धुरीणमहाशिव दूतकृत प्रमथाधिपते ।
दुरितदुरीह दुराशयदुर्मति दानवदुत कृतान्तमते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ५ ॥

अयि शरणागत वैरिवधुवर वीरवराभय दायकरे
त्रिभुवनमस्तक शुलविरोधि शिरोऽधिकृतामल शुलकरे ।
दुमिदुमितामर धुन्दुभिनादमहोमुखरीकृत दिङ्मकरे
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ६ ॥

अयि निजहुङ्कृति मात्रनिराकृत धूम्रविलोचन धूम्रशते
समरविशोषित शोणितबीज समुद्भवशोणित बीजलते ।
शिवशिवशुम्भ निशुम्भमहाहव तर्पितभूत पिशाचरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ७ ॥

धनुरनुषङ्ग रणक्षणसङ्ग परिस्फुरदङ्ग नटत्कटके
कनकपिशङ्ग पृषत्कनिषङ्ग रसद्भटशृङ्ग हताबटुके ।
कृतचतुरङ्ग बलक्षितिरङ्ग घटद्बहुरङ्ग रटद्बटुके
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ८ ॥

सुरललना ततथेयि तथेयि कृताभिनयोदर नृत्यरते
कृत कुकुथः कुकुथो गडदादिकताल कुतूहल गानरते ।
धुधुकुट धुक्कुट धिंधिमित ध्वनि धीर मृदंग निनादरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ९ ॥

जय जय जप्य जयेजयशब्द परस्तुति तत्परविश्वनुते
झणझणझिञ्झिमि झिङ्कृत नूपुरशिञ्जितमोहित भूतपते ।
नटित नटार्ध नटी नट नायक नाटितनाट्य सुगानरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १० ॥

अयि सुमनःसुमनःसुमनः सुमनःसुमनोहरकान्तियुते
श्रितरजनी रजनीरजनी रजनीरजनी करवक्त्रवृते ।
सुनयनविभ्रमर भ्रमरभ्रमर भ्रमरभ्रमराधिपते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ११ ॥

सहितमहाहव मल्लमतल्लिक मल्लितरल्लक मल्लरते
विरचितवल्लिक पल्लिकमल्लिक झिल्लिकभिल्लिक वर्गवृते ।
शितकृतफुल्ल समुल्लसितारुण तल्लजपल्लव सल्ललिते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १२ ॥

अविरलगण्ड गलन्मदमेदुर मत्तमतङ्ग जराजपते
त्रिभुवनभुषण भूतकलानिधि रूपपयोनिधि राजसुते ।
अयि सुदतीजन लालसमानस मोहन मन्मथराजसुते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १३ ॥

कमलदलामल कोमलकान्ति कलाकलितामल भाललते
सकलविलास कलानिलयक्रम केलिचलत्कल हंसकुले ।
अलिकुलसङ्कुल कुवलयमण्डल मौलिमिलद्बकुलालिकुले
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १४ ॥

करमुरलीरव वीजितकूजित लज्जितकोकिल मञ्जुमते
मिलितपुलिन्द मनोहरगुञ्जित रञ्जितशैल निकुञ्जगते ।
निजगणभूत महाशबरीगण सद्गुणसम्भृत केलितले
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १५ ॥

कटितटपीत दुकूलविचित्र मयुखतिरस्कृत चन्द्ररुचे
प्रणतसुरासुर मौलिमणिस्फुर दंशुलसन्नख चन्द्ररुचे
जितकनकाचल मौलिमदोर्जित निर्भरकुञ्जर कुम्भकुचे
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १६ ॥

विजितसहस्रकरैक सहस्रकरैक सहस्रकरैकनुते
कृतसुरतारक सङ्गरतारक सङ्गरतारक सूनुसुते ।
सुरथसमाधि समानसमाधि समाधिसमाधि सुजातरते ।
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १७ ॥

पदकमलं करुणानिलये वरिवस्यति योऽनुदिनं सुशिवे
अयि कमले कमलानिलये कमलानिलयः स कथं न भवेत् ।
तव पदमेव परम्पदमित्यनुशीलयतो मम किं न शिवे
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १८ ॥

कनकलसत्कलसिन्धुजलैरनुषिञ्चति तेगुणरङ्गभुवम्
भजति स किं न शचीकुचकुम्भतटीपरिरम्भसुखानुभवम् ।
तव चरणं शरणं करवाणि नतामरवाणि निवासि शिवम्
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १९ ॥

तव विमलेन्दुकुलं वदनेन्दुमलं सकलं ननु कूलयते
किमु पुरुहूतपुरीन्दु मुखी सुमुखीभिरसौ विमुखीक्रियते ।
मम तु मतं शिवनामधने भवती कृपया किमुत क्रियते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ २० ॥

अयि मयि दीन दयालुतया कृपयैव त्वया भवितव्यमुमे
अयि जगतो जननी कृपयासि यथासि तथानुमितासिरते ।
यदुचितमत्र भवत्युररीकुरुतादुरुतापमपाकुरुते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ २१ ॥

Download the Mahishasura Mardini Stotram PDF using the link given below.

PDF's Related to महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (Mahishasura Mardini Stotram)

Download महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (Mahishasura Mardini Stotram) PDF

REPORT THISIf the purchase / download link of महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (Mahishasura Mardini Stotram) PDF is not working or you feel any other problem with it, please REPORT IT by selecting the appropriate action such as copyright material / promotion content / link is broken etc. If this is a copyright material we will not be providing its PDF or any source for downloading at any cost.

SIMILAR PDF FILES

  • 51 Shakti Peeth Name List

    The Shakti Peetha (Sanskrit: शक्ति पीठ, Śakti Pīṭha, seat of Shakti) are significant shrines and pilgrimage destinations in Shaktism, the goddess-focused Hindu tradition. There are 51 Shakti peethas by various accounts, of which 18 are named as Maha (major) in medieval Hindu texts. The legend behind the Shakti Peethas is...

  • Aigiri Nandini – अयि गिरि नन्दिनी स्तोत्रम Hindi

    अयि गिरि नन्दिनी स्तोत्रम देवी महात्म्यम पर आधारित है जिसमें मधु का वध करने के लिए देवी दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती का रूप लेती हैं और कैटभ, महिषासुर, और शुंभ और निशुंभ क्रमशः। कहा जाता है कि इस स्तोत्र की रचना रामकृष्ण कवि ने की थी जिनके बारे में कोई...

  • Kali Chalisa (श्री काली चालीसा) Hindi

    शक्ति सम्प्रदाय की प्रमुख देवी हैं मां काली, यह कुल दस महाविद्याओं के स्वरूपों में स्थान पर हैं। शक्ति का महानतम स्वरुप महाविद्याओं का होता है। काली की पूजा-उपासना से भय खत्म होता है। इनकी अर्चना से रोग मुक्त होते हैं। राहु और केतु की शांति के लिए मां काली...

  • Maa Durga 108 Names Hindi

    देवी दुर्गा, भगवान शिव की पत्नी पार्वती जी का ही स्वरूप है। भक्त नवरात्रि के दौरान मां को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के जतन करते हैं। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि लोग व्यस्तता के चलते विधि-विधान के साथ पूजा नहीं कर पाते हैं। ऐसे में वो...

  • महिषासुरमर्दिनीस्तोत्रहिंदीअर्थसहित(MahishasuraMardiniStotram)

    Mahishasura Mardini Stotram PDF : महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र एक ऐसा स्तोत्र है, जिसका पाठ देवी माँ के भक्तगण प्राचीन काल से ही उनकी प्रसन्नता हेतु करते आये हैं। यह एक वैदिक स्तोत्र है जो कि सुनने में भी अत्यधिक मधुर लगता है। यदि आप अनेक प्रकार के गंभीर रोगों से...

3 thoughts on “महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (Mahishasura Mardini Stotram)

  1. Thank you very much to provide these types of knowledgeable motivation things I really appreciate to you. 👍👍👍👍👍

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *