Janam Jivan Mrityu Hindi

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Janam Jivan Mrityu Hindi

जन्म, जीवन और मृत्यु, ये तीनों जीवन की सच्चाइयां हैं। स्वामी विद्यानन्द जी सरस्वती ने इस पुस्तक में इन तीनों विषयों पर दार्शनिक आधार पर वेदों, गीता आदि के प्रमाण देकर पर्याप्त प्रकाश डाला है और इनके स्वरूप को मानवों के सामने रखा है। इन विषयक जिज्ञासाओं के समाधान के लिए यह पुस्तक बहुत उपयोगी है। संक्षेप में बहुत ही तथ्यपूर्ण जानकारी इस पुस्तक में दी गई है।

Janam Jivan Mrityu (जन्म, जीवन और मृत्यु)

जब से यह सृष्टि बनी है तब से जन्म, जीवन और मृत्यु, इन तीनों का अस्तित्व है और जब तक सृष्टि रहेगी अस्तित्व बना रहेगा। ये तीनों ही सत्य मनुष्य के अधीन नहीं हैं, इन पर मनुष्य का न तो वश है और न ज्ञान है। वह इनके यथार्थ को जानना चाहता है। आदिकाल से ही हमारे ऋषि-मुनियों तथा संसार के अन्य चिन्तकों ने इनके रहस्य को खोजने की कोशिशें की हैं और उन पर प्रकाश डाला है किन्तु मानव की इस विषयक जिज्ञासा समाप्त नहीं हुई है।

व्यावहारिक दृष्टि से संसार में जन्म और जीवन, हर्ष के विषय हैं। इनके होने पर परिवार समाज में खुशियां मनाई जाती हैं, किन्तु अकाल या काल मृत्यु जब उस जीवन को निगल लेती है तो मनुष्य रोता-पीटता है, समाज के लोग मिलकर विलाप करते हैं किन्तु उस पर किसी का वश नहीं चलता, यह एक शाश्वत सत्य है। ऐसी स्थिति में मृत्यु के वास्तविक स्वरूप को समझकर मन को संतुलित रखना ही दुःख से बचने का उपाय है। वह सब जानकारी इस पुस्तक से पाठकों को मिलेगी।

Janma Jeevan Mrityu book contains following topics:

  1. सृष्टि-रचना
  2. विकासवाद
  3. जन्म
  4. जीवन
  5. कर्म करते हुए जीना
  6. कैसे जीयें ?
  7. मृत्यु
  8. मृत्यु को कैसे जीतें ?
  9. जीवन और मृत्यु
  10. जीवन यात्रा

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Janam Jivan Mrityu

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