गणपती आरती संग्रह (Ganpati Aarti Book) PDF

गणपती आरती संग्रह (Ganpati Aarti Book) in PDF download free from the direct link below.

गणपती आरती संग्रह (Ganpati Aarti Book) - Summary

गणपती आरती संग्रह (Ganpati Aarti Book)

गणेश चतुर्थी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार भारत भर में मनाया जाता है, खासकर महाराष्ट्र और कर्नाटका में इसे बड़े धूमधाम से सेलिब्रेट किया जाता है। पुराणों के अनुसार, इसी दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इस विशेष अवसर पर, हम भगवान गणेश को ज्ञान, समृद्धि, और सौभाग्य के रूप में पूजते हैं। शास्त्रों के अनुसार, भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ था।

गणेश चतुर्थी का महत्व

गणेश चतुर्थी पर भक्त भगवान गणेश की बड़ी मूर्तियां स्थापित करते हैं। इनकी पूजा नौ दिनों तक की जाती है। यह पर्व हर वर्ष हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, और इस दिन भगवान गणेश की पूजा करना सभी के लिए शुभ माना जाता है।

आरती श्री गणपति जी

गणपति की सेवा मंगल मेवा, सेवा से सब विघ्न टरैं।

तीन लोक के सकल देवता, द्वार खड़े नित अर्ज करैं॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…।

रिद्धि-सिद्धि दक्षिण वाम विराजें, अरु आनन्द सों चमर करैं।

धूप-दीप अरू लिए आरती भक्त खड़े जयकार करैं॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…।

गुड़ के मोदक भोग लगत हैं मूषक वाहन चढ्या सरैं।

सौम्य रूप को देख गणपति के विघ्न भाग जा दूर परैं॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…।

भादो मास अरु शुक्ल चतुर्थी दिन दोपारा दूर परैं।

लियो जन्म गणपति प्रभु जी दुर्गा मन आनन्द भरैं॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…।

अद्भुत बाजा बजा इन्द्र का देव बंधु सब गान करैं।

श्री शंकर के आनन्द उपज्या नाम सुन्यो सब विघ्न टरैं॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…।

आनि विधाता बैठे आसन, इन्द्र अप्सरा नृत्य करैं।

देख वेद ब्रह्मा जी जाको विघ्न विनाशक नाम धरैं॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…।

एकदन्त गजवदन विनायक त्रिनयन रूप अनूप धरैं।

पगथंभा सा उदर पुष्ट है देव चन्द्रमा हास्य करैं॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…।

दे शराप श्री चन्द्रदेव को कलाहीन तत्काल करैं।

चौदह लोक में फिरें गणपति तीन लोक में राज्य करैं॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…।

उठि प्रभात जप करैं ध्यान कोई ताके कारज सर्व सरैं।

पूजा काल आरती गावैं ताके शिर यश छत्र फिरैं॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…।

गणपति की पूजा पहले करने से काम सभी निर्विघ्न सरैं।

सभी भक्त गणपति जी के हाथ जोड़कर स्तुति करैं॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…。

गणेश जी की आरती

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।

माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।

लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।

बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।

कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

गणपती की आरती

सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची

नूरवी पुरवी प्रेमा कृपा जयची

सर्वांगी सुंदरा उति शेंदुराची

कंठि झलके माला मुक्ताफलनि

जय देव जय देवा जय मंगलमूर्ति

दर्शनमत्रे मनकामना पूर्ति

रत्नाचिता फरा तुजा गौरीकुमारा

चंदनची उति कुमकुमकेसरा

हिर जादिता मुकुता शोभतो बारा

रनहुँति नृप चरनि गहगारी

जय देव जय देवा जय मंगलमूर्ति

दर्शनमत्रे मनकामना पूर्ति

लम्बोदर पीताम्बरा फणीवर बंधना

सरला सोंडा वक्रतुण्ड त्रिनयन

दासा रामच वात पै साधना

संकटी पावे निर्वाणी रक्षे सुरवरवन्दना

जय देव जय देवा जय मंगलमूर्ति

दर्शनमत्रे मनकामना पूर्ति

आप नीचे दिए गए लिंक का उपयोग करके गणपती आरती संग्रह (Ganpati Aarti Book) PDF में डाउनलोड कर सकते हैं।

RELATED PDF FILES

गणपती आरती संग्रह (Ganpati Aarti Book) PDF Download