दत्तात्रेयस्तोत्रम् – Dattatreya Stotram - Summary
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यह स्तोत्र बहुत दिव्य है और श्रीदत्तत्रेय की वास्तविकता को प्रकट करता है। यह स्तोत्र श्रीनारदपुराण का है और इसकी रचना स्वयं श्रीनारदमुनि ने की थी। नारदमुनि ने इस स्तोत्र की रचना करते समय यह इच्छा रखी थी कि इसे आम लोग आसानी से समझ सकें और सभी की स्तुति और स्मरण हो। दत्तात्रेय नमोस्तुते ध्रुपद हैं और नाना परी इस भजन की रचना कर रहे हैं जो दत्ता महाराज का आह्वान करता है। यह स्तोत्र अठारह छंदों में रचा गया है।
श्रीदत्तात्रेयस्तोत्रम् – Dattatreya Stotram Sanskrit Lyrics
जटाधरं पांडुरांगं शूलहस्तं कृपानिधिम् ।
सर्वरोगहरं देवं दत्तात्रेयमहं भजे ॥ १॥
अस्य श्रीदत्तात्रेयस्तोत्रमंत्रस्य भगवान् नारदऋषिः ।
अनुष्टुप् छन्दः । श्रीदत्तपरमात्मा देवता ।
श्रीदत्तप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः ॥
जगदुत्पत्तिकर्त्रे च स्थितिसंहार हेतवे ।
भवपाशविमुक्ताय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ १॥
जराजन्मविनाशाय देहशुद्धिकराय च ।
दिगम्बरदयामूर्ते दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ २॥
कर्पूरकान्तिदेहाय ब्रह्ममूर्तिधराय च ।
वेदशास्त्रपरिज्ञाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ ३॥
र्हस्वदीर्घकृशस्थूल-नामगोत्र-विवर्जित ।
पंचभूतैकदीप्ताय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ ४॥
यज्ञभोक्ते च यज्ञाय यज्ञरूपधराय च ।
यज्ञप्रियाय सिद्धाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ ५॥
आदौ ब्रह्मा मध्य विष्णुरंते देवः सदाशिवः ।
मूर्तित्रयस्वरूपाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ ६॥
भोगालयाय भोगाय योगयोग्याय धारिणे ।
जितेन्द्रियजितज्ञाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ ७॥
दिगम्बराय दिव्याय दिव्यरूपध्राय च ।
सदोदितपरब्रह्म दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ ८॥
जम्बुद्वीपमहाक्षेत्रमातापुरनिवासिने ।
जयमानसतां देव दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ ९॥
भिक्षाटनं गृहे ग्रामे पात्रं हेममयं करे ।
नानास्वादमयी भिक्षा दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ १०॥
ब्रह्मज्ञानमयी मुद्रा वस्त्रे चाकाशभूतले ।
प्रज्ञानघनबोधाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ ११॥
अवधूतसदानन्दपरब्रह्मस्वरूपिणे ।
विदेहदेहरूपाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ १२॥
सत्यंरूपसदाचारसत्यधर्मपरायण ।
सत्याश्रयपरोक्षाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ १३॥
शूलहस्तगदापाणे वनमालासुकन्धर ।
यज्ञसूत्रधरब्रह्मन् दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ १४॥
क्षराक्षरस्वरूपाय परात्परतराय च ।
दत्तमुक्तिपरस्तोत्र दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ १५॥
दत्त विद्याढ्यलक्ष्मीश दत्त स्वात्मस्वरूपिणे ।
गुणनिर्गुणरूपाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ १६॥
शत्रुनाशकरं स्तोत्रं ज्ञानविज्ञानदायकम् ।
सर्वपापं शमं याति दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ १७॥
इदं स्तोत्रं महद्दिव्यं दत्तप्रत्यक्षकारकम् ।
दत्तात्रेयप्रसादाच्च नारदेन प्रकीर्तितम् ॥ १८॥
॥ इति श्रीनारदपुराणे नारदविरचितं दत्तात्रेयस्तोत्रं सुसम्पूर्णम् ॥
Dattatreya Stotram Benefits
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- मंत्र का जाप हमेशा आपके चारों ओर एक सुरक्षा कवच बना सकता है। इसके फायदे कई गुना हैं।
- पितृषप’ या मृत पूर्वजों के श्राप को हटाना।
- परिवार में सौहार्द और खुशहाली।
- मन की शांति और कष्टों से मुक्ति।
- बच्चों का कल्याण।
- बच्चों के शैक्षणिक प्रदर्शन में सुधार।
- कमांडिंग भाषण और आत्मविश्वास।
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