Bible - Summary
बाइबिल (Bible) ईसाई धर्म (मसीही) पन्थ की मूल आधारशिला और ईसाइयों (मसीहियों) का सबसे पवित्र धर्मग्रन्थ है। इसमें दो भाग हैं: पूर्वविधान (ओल्ड टेस्टामेंट) और नवविधान (न्यू टेस्टामेंट)। बाइबिल का पूर्वार्ध यहूदियों का भी धर्मग्रन्थ है, और उत्तरार्द्ध ईसा मसीह और उनकी शिक्षाओं पर आधारित है। बाइबिल को ईश्वरप्रेरित (इंस्पायर्ड) माना जाता है, लेकिन ईश्वर ने इसके विभिन्न लेखकों को प्रेरित किया कि वे अपनी शैली, संस्कृति और विचारधारा के अनुसार लिखें। इस प्रकार, बाइबिल ईश्वरीय प्रेरणा तथा मानवीय परिश्रम दोनों का सम्मिलित परिणाम है।
बाइबिल में प्रसंगवश लौकिक ज्ञान और विज्ञान संबंधी बातें भी शामिल हैं, जो तात्कालिक धारणाओं को दर्शाती हैं। मानव जाति के इतिहास की ईश्वरीय व्याख्या करना और धर्म एवं मुक्ति को समझाना, यही बाइबिल का मुख्य उद्देश्य है। बाइबिल की शिक्षाओं में कोई भ्रांति नहीं हो सकती। इसमें कई स्थलों पर मनुष्यों के पापाचरण का भी वर्णन है, जो अनुकरणीय आदर्श के रूप में प्रस्तुत नहीं हुआ है। यह दर्शाता है कि मनुष्य कितने कलुषित हैं और उन्हें ईश्वर की मुक्ति की कितनी आवश्यकता है।
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Bible Hindi Book (हिन्दी बाइबिल)
१ पहिला पर्व ।
आरंभ में ईश्वर ने आकाश और एथिवी को सिरजा ॥ २ ॥ और पृथिवी बेडौल और हनी थी और गहिराव पर अंधियारा था और ईश्वर का आत्मा जल के ऊपर डोलता था ॥ और ईश्वर ने कहा कि उंजियाला होवे और उंजियाला हो ४। और ईश्वर ने उंजियाले को देखा कि अच्छा है और ईश्वर ने उंजियाले को अंधियारे से विभाग किया। ५। और ईश्वर ने उंजि ने याले को दिन और अंधियारे को रात कहा और सांझ और बिहान पहिला दिन हुआ ॥ ६। और ईश्वर ने कहा कि पानियों के मध्य में आकाश होवे और पानियों को पानियों से विभाग करे ॥ ७।
तब ईश्वर ने आकाश को बनाया और आकाश के नीचे के पानियों को आकाश के ऊपर के पानियों से बिभाग किया और ऐसा हो गया ॥ ८। और ईश्वर ने आकाश को खर्ग कहा और सांझ और बिहान दूसरा दिन हुआ ॥ ८। और ईश्वर ने कहा कि वर्ग के तले के पानी एकही स्थान में एकडे होवें और सूखी दिखाई देवे और ऐसा हो गया ॥ १०। और ईश्वर ने सूखी को भूमि कहा और एकट्ठे किये गये पानियों को समुद्र कहा और ईश्वर ने देखा कि अच्छा है। ११। और ईश्वर ने कहा कि भूमि घास को और साग पात को जिन में बीज होवें और
२ दूसरा पर्व ।
ये वर्ग और एथिवी और उन की मारी सेना बन गई ॥ २ । और ईश्वर ने अपने कार्य को जो वह करता था सातवें दिन समाप्त किया और उस ने सातवें दिन में अपने सारे कार्य से जो उस ने किया था विश्राम किया ॥ ३। और ईश्वर ने सातवें दिन को आशीष दिई और उसे पवित्र ठहराया इस कारण कि उसी में उस ने अपने सारे कार्य से जो ईश्वर ने उत्पन्न किया और बनाया विश्राम किया। और पृथिवी की उत्पत्ति है जब वे उत्पन्न हुये जिस दिन परमेश्वर ४ । यह वर्ग ईश्वर ने स्वर्ग और पृथिवी को बनाया ॥ ५ । और खेत का कोई साग पात अबल पृथिवी पर न था और खेत की कोई हरियाली अब लो न उगी थी क्योंकि परमेश्वर ईश्वर ने एथिवी पर में ह न बर्स। निवास चषर तंबू चर उस का चटाटेप र उप के कुण्डियां और उन के पाड चैरर उम के अचर उम के सभ चार ओम के पाए । २ रर गंजपा और उस के बहगर र इथा का शासन चर मांयने का सुपर। १३। मंच चार ओम के बहंगर और उस के समस्त पाप और बेटी के रो। रहा और चाहि के लिये दौथर] और उस को सामग्री प्रेर मकान के लिये तेल के संग उस के दौपक ५।
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