बेला का चरित्र चित्रण Hindi PDF

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बेला का चरित्र चित्रण - Summary

बेला का चरित्र चित्रण

बेला का चरित्र चित्रण हमारे भारतीय संस्कृति में संयुक्त परिवार की महत्ता को दर्शाता है। ‘सूखी डाली’ एकांकी में छोटी बहू का नाम बेला है। वह बड़े संपन्न घर से आई है और पढ़ी-लिखी है। अपने मायके की तुलना में वह किसी को भी महत्व नहीं देती। उसने दस साल से घर में काम कर रही रजवा को निकाल दिया और इंदु के समझाने पर भी उस पर नाराज हो गई। अपने कमरे का फर्नीचर बाहर रखकर, उसने अपने पति परवेश से स्पष्ट कह दिया है कि पुराने और टूटी फूटी कुर्सियों को वह अपने कमरे में नहीं रखेगी।

बेला की तुनक-मिजाजी

एकांकी का मुख्य उद्देश्य यह बताना है कि कैसे विभिन्न विचारधाराओं वाले लोग, एक संयुक्त परिवार में रहकर, परिवारिक एकता को बनाए रख सकते हैं। बेला, दादा मूलराज के परिवार की सबसे छोटी बहू है। वह स्वभाव से थोड़ी तुनक-मिजाज और अहंकारी है। हर छोटी-बड़ी बात में वह अपनी ससुराल और मायके की तुलना करने लगती है। हाजिर जवाबी उसकी खासियत है; वह हर बात का तुरंत जवाब देती है। बेला का चरित्र चित्रण PDF में डाउनलोड कर सकते हैं नीचे दिए गए लिंक का उपयोग करके।

बेला का अनुभव

एक दिन, बेला बरामदे में बैठकर एक पुस्तक पढ़ रही होती है। इस दौरान वह कहती है कि इस घर के लोग अजीब हैं, कभी आग के समान गर्म और कभी मोम के समान नरम। बेला शिकायत करती है कि परिवार के लोग उसके प्रति परायों जैसा व्यवहार करते हैं। वह परवेश से कहती है कि उसे अपने मायके भेज दें, क्योंकि घर में लोग उससे डरते हैं और किसी भी काम में सहयोग नहीं करते।

एक दिन, बेला अपनी भाभी को रोते हुए देखती है और पूछने पर जानती है कि दादा ने सबको उसे विशेष आदर देने का निर्देश दिया है। अपनी इच्छा से, वह इंदु के साथ बरामदे में कपड़े धोने लगती है। दादा के मना करने पर, बेला उनसे कहती है कि “आप नहीं चाहते कि डाली पेड़ से अलग हो जाए, लेकिन क्या आप चाहते हैं कि वह पेड़ पर लगे रहकर सूखकर मुरझा जाए?”

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