बटुक भैरव स्तोत्र (Batuk Bhairav Stotra) Sanskrit PDF

बटुक भैरव स्तोत्र (Batuk Bhairav Stotra) in Sanskrit PDF download free from the direct link below.

बटुक भैरव स्तोत्र (Batuk Bhairav Stotra) - Summary

भगवान् बटुक भैरव को समर्पित यह बटुक भैरव स्तोत्र अत्यधिक प्रभावशाली है जिसके श्रद्धापूर्वक पाठ करने से आप अनेक प्रकार की अप्रत्याशित बाधाओं से सुरक्षित रह सकते हैं। श्री बटुक भैरव जी इस पाठ से अति शीघ्र प्रसन्न होते हैं तथा सभी प्रकार की प्रेत बाधाओं से अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।

बटुक भैरव स्तोत्र का महत्व

‘शिवपुराण’ में वर्णित प्रसंग के अनुसार भैरव देव की उत्पत्ति भगवान शंकर के अंश से हुई थी। भगवान् भैरव की उत्पत्ति कार्तिक माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी को मध्यान्ह के समय हुई थी। जिस दिन भैरव देव की उत्पत्ति हुई थी उस तिथि को काल-भैरवाष्टमी के रूप में जाना जाता है। हिन्दू धर्म में भैरव-उपासना की दो प्रमुख शाखाएं हैं जिसके अन्तर्गत बटुक भैरव तथा काल भैरव देव की साधना की जाती है।

बटुक भैरव स्तोत्र – Batuk Bhairav Stotra Lyrics :

।। भैरव ध्यान ।।

वन्दे बालं स्फटिक-सदृशम्, कुन्तलोल्लासि-वक्त्रम्।
दिव्याकल्पैर्नव-मणि-मयैः, किंकिणी-नूपुराढ्यैः॥
दीप्ताकारं विशद-वदनं, सुप्रसन्नं त्रि-नेत्रम्।
हस्ताब्जाभ्यां बटुकमनिशं, शूल–दण्डौ दधानम्॥

।। भैरव मानस पूजन ।।

ॐ लं पृथ्वी-तत्त्वात्मकं गन्धं श्रीमद् आपदुद्धारण-बटुक-भेरव-प्रीतये समर्पयामि नमः।
ॐ हं आकाश-तत्त्वात्मकं पुष्पं श्रीमद् आपदुद्धारण-बटुक-भेरैव-प्रीतये समर्पयामि नमः।
ॐ यं वायु-तत्त्वात्मकं धूपं श्रीमद् आपदुद्धारण-बटुक-भैरव-प्रीतये घ्रापयामि नमः।
ॐ रं अग्नि-तत्त्वात्मकं दीपं श्रीमद् आपदुद्धारण-बटुक-भैरव-प्रीतये निवेदयामि नमः।
ॐ सं सर्व-तत्त्वात्मकं ताम्बूलं श्रीमद् आपदुद्धारण-बटुक-भैरव-प्रीतये समर्पयामि नमः।

।। मूल स्तोत्र ।।

ॐ भैरवो भूत-नाथश्च, भूतात्मा भूत-भावनः।
क्षेत्रज्ञः क्षेत्र-पालश्च, क्षेत्रदः क्षत्रियो विराट् ॥
श्मशान-वासी मांसाशी, खर्पराशी स्मरान्त-कृत्।
रक्तपः पानपः सिद्धः, सिद्धिदः सिद्धि-सेवितः॥
कंकालः कालः-शमनः, कला-काष्ठा-तनुः कविः।
त्रि-नेत्रो बहु-नेत्रश्च, तथा पिंगल-लोचनः॥
शूल-पाणिः खड्ग-पाणिः, कंकाली धूम्र-लोचनः।
अभीरुर्भैरवी-नाथो, भूतपो योगिनी – पतिः॥
धनदोऽधन-हारी च, धन-वान् प्रतिभागवान्।
नागहारो नागकेशो, व्योमकेशः कपाल-भृत्॥
कालः कपालमाली च, कमनीयः कलानिधिः।
त्रि-नेत्रो ज्वलन्नेत्रस्त्रि-शिखी च त्रि-लोक-भृत्॥
त्रिवृत्त-तनयो डिम्भः शान्तः शान्त-जन-प्रिय।
बटुको बटु-वेषश्च, खट्वांग -वर – धारकः॥
भूताध्यक्षः पशुपतिर्भिक्षुकः परिचारकः।
धूर्तो दिगम्बरः शौरिर्हरिणः पाण्डु – लोचनः॥
प्रशान्तः शान्तिदः शुद्धः शंकर-प्रिय-बान्धवः।
अष्ट -मूर्तिर्निधीशश्च, ज्ञान- चक्षुस्तपो-मयः॥
अष्टाधारः षडाधारः, सर्प-युक्तः शिखी-सखः।
भूधरो भूधराधीशो, भूपतिर्भूधरात्मजः॥
कपाल-धारी मुण्डी च, नाग- यज्ञोपवीत-वान्।
जृम्भणो मोहनः स्तम्भी, मारणः क्षोभणस्तथा॥
शुद्द – नीलाञ्जन – प्रख्य – देहः मुण्ड -विभूषणः।
बलि-भुग्बलि-भुङ्- नाथो, बालोबाल – पराक्रम॥
सर्वापत् – तारणो दुर्गो, दुष्ट- भूत- निषेवितः।
कामीकला-निधिःकान्तः, कामिनी वश-कृद्वशी॥
जगद्-रक्षा-करोऽनन्तो, माया – मन्त्रौषधी -मयः।
सर्व-सिद्धि-प्रदो वैद्यः, प्रभ – विष्णुरितीव हि॥

।।फल-श्रुति।।

अष्टोत्तर-शतं नाम्नां, भैरवस्य महात्मनः।
मया ते कथितं देवि, रहस्य सर्व-कामदम् ।।
य इदं पठते स्तोत्रं, नामाष्ट-शतमुत्तमम्।
न तस्य दुरितं किञ्चिन्न च भूत-भयं तथा ।।
न शत्रुभ्यो भयं किञ्चित्, प्राप्नुयान्मानवः क्वचिद्।
पातकेभ्यो भयं नैव, पठेत् स्तोत्रमतः सुधीः ।।
मारी-भये राज-भये, तथा चौराग्निजे भये।
औत्पातिके भये चैव, तथा दुःस्वप्नजे भये ।।
बन्धने च महाघोरे, पठेत् स्तोत्रमनन्य-धीः।
सर्वं प्रशममायाति, भयं भैरव-कीर्तनात्।।

।।क्षमा-प्रार्थना।।

आवाहनङ न जानामि, न जानामि विसर्जनम्।
पूजा-कर्म न जानामि, क्षमस्व परमेश्वर।।
मन्त्र-हीनं क्रिया-हीनं, भक्ति-हीनं सुरेश्वर।
मया यत्-पूजितं देव परिपूर्णं तदस्तु मे।।

बटुक भैरव स्तोत्र पाठ विधि – Batuk Bhairav Stotra Path Vidhi :

  • बटुक भैरव देव की पूजा सदैव रात्रीकाल में की जाती है, अतः सर्वप्रथम सूर्यास्त के पश्चात स्नान आदि नित्यकर्म से निर्वत्त होकर काले वस्त्र धारण करें।
  • तत्पश्चात एक काले आसन पर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पद्मासन में बैठ जायें।
  • अब अपने समक्ष श्री बटुक भैरव देव की प्रतिमा अथवा छायाचित्र स्थापित करें।
  • तदोपरान्त भैरव देव का आवाहन करें।
  • अब उन्हें आसन ग्रहण करायें।
  • आसन अर्पण करने के पश्चात भैरव देव को स्नान करवायें।
  • अब पूजन के दिनानुसार बटुक भैरव देव को भोग अर्पित करें जैसे रविवार को चावल-दूध की खीर, सोमवार को मोतीचूर के लड्डू, मंगलवार को घी-गुड़ अथवा गुड़ से बनी लापसी या लड्डू, बुधवार को दही-बूरा, गुरुवार को बेसन के लड्डू, शुक्रवार को भूने हुए चने, शनिवार को तले हुए पापड़, उड़द के पकौड़े या जलेबी।
  • भैरव जी के सामने एक तेल का दीपक प्रज्वलित करें।
  • अब पूर्ण श्रद्धा भाव से श्री बटुक भैरव स्तोत्र का पाठ करें।
  • पाठ सम्पूर्ण होने के पश्चात आरती करें तथा बटुक भैरव देव से आशीर्वाद ग्रहण करें।

बटुक भैरव स्तोत्र के लाभ व महत्व (Benefits & Significance) :

  • यूँ तो आपको प्रतिदिन ही बटुक भैरव देव की पूजा-आराधना करनी चाहिये, किन्तु यदि आप प्रतिदिन पूजा करने में असमर्थ हैं, तो प्रत्येक रविवार व मंगलवार के दिन इस श्री बटुक भैरव के समक्ष यह पाठ कर सकते हैं।
  • भगवान् बटुक भैरव स्तोत्र का विधिवत पाठ करने वाले व्यक्ति की अकाल मृत्यु नहीं होती।
  • यदि आप आये दिन भिन्न-भिन्न प्रकार के रोगों से ग्रषित रहते हैं, तो आपको इस स्तोत्र का पाठ अवश्य करना चाहिये।
  • जो जातक राहु–केतु जैसे कुपित ग्रहों से पीड़ित हैं, श्री बटुक भैरव स्तोत्र के पाठ से उनके जीवन में अप्रत्याशित परिवर्तन आते हैं।
  • इस स्तोत्र का पाठ करने वाले जातक को भैरव भगवान् मारण, मोहनं, स्तंभनं, विद्वेषण, उच्चाटन, वशीकरण, आकर्षण आदि प्रयोगों से सुरक्षित रखते हैं।
  • इस दिव्य बटुक भैरव पाठ का जिस घर में होता है, उस घर में किसी भी प्रकार की प्रेत बाधा का प्रभाव नहीं होता।
  • जो बच्चे या बड़े रात में सोते हुए भयभीत हो जाते हैं, यदि वह बटुक भैरव स्तोत्र का पाठ करते हैं, तो उनके आत्मबल में वृद्धि होती है तथा वह सभी प्रकार के ज्ञात-अज्ञात भय से मुक्त हो जाते हैं।
  • इस दिव्य पाठ के प्रभाव से व्यक्ति को न्यायालय सम्बन्धी समस्याओं से छुटकारा मिलता है।

आप बटुक भैरव स्तोत्र पीडीएफ़ को निचे दिए हुए लिंक से निशुल्क डाउनलोड कर सकते हैं।

RELATED PDF FILES

बटुक भैरव स्तोत्र (Batuk Bhairav Stotra) Sanskrit PDF Download