Ganpati Stotra (गणपती स्तोत्र) Sanskrit
भगवान गणेश विघ्नहर्ता हैं, विद्यादाता हैं, धन-संपत्ति देने वाले हैं. इस तरह गौरीपुत्र गणपति जीवन की हर परेशानी को दूर करने वाले हैं। उनकी उपासना करने से आपके सभी संकट मिट जाएंगे।
गणपती स्तोत्र का रोज पाठ करने से भगवान गणपती की कृपया बनी रहेटी हैं। हर मंगलवार को गणेश स्तोत्र का जाप करना उत्तम माना जाता है। गणपती स्तोत्र का जाप के लिए कपडे के आसन पर पूर्व दिशा की तरफ मुँह करके बैठे।
श्री गणपती स्तोत्र – Ganpati Stotra
जय जयाजी गणपती | मज द्यावी विपुल मती | करावया तुमची स्तुती | स्पुर्ती द्यावी मज अपार || ०१ ||
तुझे नाम मंगलमूर्ती | तुज इंद्र-चंद्र ध्याती | विष्णू शंकर तुज पूजिती | अव्यया ध्याती नित्य काळी || ०२ ||
तुझे नाव विनायक | गजवदना तू मंगल दायक | सकल नाम कलिमलदाहक | नाम-स्मरणे भस्म होती || ०३ ||
मी तव चरणांचा अंकित | तव चरणा माझे प्रणिपात | देवधीदेवा तू एकदंत | परिसे विज्ञापना माझी || ०४ ||
माझा लडिवाळ तुज करणे | सर्वापरी तू मज सांभाळणे | संकटामाझारी रक्षिणे | सर्व करणे तुज स्वामी || ०५ ||
गौरी पुत्र तू गणपती | परिसावी सेवकाची विनंती | मी तुमचा अनन्यार्थी | रक्षिणे सर्वार्थेची स्वामिया || ०६ ||
तूच माझा बाप माय | तूच माझा देवराय | तूच माझी करिशी सोय | अनाथ नाथा गणपती || ०७ ||
गजवदना श्री लम्बोदरा | सिद्धीविनायका भालचंद्रा | हेरंभा शिव पुत्रा | विघ्नेश्वरा अनाथ बंधू || ०८ ||
भक्त पालका करि करुणा | वरद मूर्ती गजानना | परशुहस्ता सिंदुरवर्णा | विघ्ननाशना मंगलमूर्ती || ०९ ||
विश्ववदना विघ्नेश्वरा | मंगलाधीषा परशुधरा | पाप मोचन सर्वेश्वरा | दिन बंधो नाम तुझे ||१० ||
नमन माझे श्री गणनाथा | नमन माझे विघ्नहर्ता | नमन माझे एकदंता | दीनबंधू नमन माझे || ११ ||
नमन माझे शंभूतनया | नमन माझे करुणांलया | नमन माझे गणराया | तुज स्वामिया नमन माझे || १२ ||
नमन माझे देवराया | नमन माझे गौरीतनया | भालचंद्रा मोरया | तुझे चरणी नमन माझे || १३ ||
नाही आशा स्तुतीची | नाही आशा तव भक्तीची | सर्व प्रकारे तुझिया दर्शनाची | आशा मनी उपजली || १४ ||
मी मूढ केवल अज्ञान | ध्यानी सदा तुझे चरण | लंबोदरा मज देई दर्शन | कृपा करि जगदीशा || १५ ||
मती मंद मी बालक | तूच सर्वांचा चालक | भक्तजनांचा पालक | गजमुखा तू होशी || १६ ||
मी दरिद्री अभागी स्वामी | चित्त जडावे तुझिया नामी | अनन्य शरण तुजला मी | दर्शन देई कृपाळुवा || १७ ||
हे गणपती स्तोत्र जो करी पठण | त्यासी स्वामी देईल अपार धन | विद्या सिद्धी चे अगाध ज्ञान | सिंदूरवदन देईल पै || १८ ||
त्यासी पिशाच भूत प्रेत | न बाधिती कळी काळात | स्वामीची पूजा करोनी यथास्थित | स्तुती स्तोत्र हे जपावे || १९ ||
होईल सिद्धी षड्मास हे जपता | नव्हे कदा असत्य वार्ता | गणपती चरणी माथा | दिवाकरे ठेविला || २० ||
|| इति श्री गणपती स्तोत्र संपूर्ण ||
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