Rishi Panchami Aarti - Summary
रिशी पंचमी आरती और उसका व्रत खासतौर पर महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक संस्कार है। ऋषि पंचमी व्रत का आयोजन मुख्य रूप से तब किया जाता है जब महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान किसी चीज़ का ध्यान नहीं रहता, जिससे मुक्ति पाने के लिए इस व्रत का पालन किया जाता है। इस त्यौहार में सप्त-ऋषियों की पूजा की जाती है। ऋषि पंचमी का व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है, जो आमतौर पर गणेश चतुर्थी के अगले दिन आता है। आइए, यहाँ देखें ऋषि पंचमी की आरती। 🌼
ऋषि पंचमी व्रत का महत्व
सनातन धर्म में ऋषि पंचमी व्रत की महत्वपूर्ण भूमिका है। यह व्रत व्यक्तियों को पाप कर्मों से मुक्ति दिलाने में मदद करता है। ख़ासकर, इस व्रत को महिलाएं बड़ी श्रद्धा से करती हैं। भारत के अनेक क्षेत्रों में इसे भाई पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। इस अवसर पर सप्त ऋषियों की पूजा का विशेष महत्व है।
Rishi Panchami Aarti Lyrics in Hindi (ऋषि पंचमी आरती)
श्री हरि हर गुरु गणपति, सबहु धरि ध्यान।
मुनि मंडल श्रृंगार युक्त, श्री गौतम करहुँ बखान।।
ॐ जय गौतम त्राता, स्वामी जी गौतम त्राता।
ऋषिवर पूज्य हमारे, मुद मंगल दाता।। ॐ जय।।
द्विज कुल कमल दिवाकर, परम् न्याय कारी।
जग कल्याण करन हित, न्याय रच्यौ भारी।। ॐ जय।।
पिप्लाद सूत शिष्य आपके, सब आदर्श भये।
वेद शास्त्र दर्शन में, पूर्ण कुशल हुए।।ॐ जय।।
गुर्जर करण नरेश विनय पर तुम पुष्कर आये।
सभी शिष्य सुतगण को, अपने संग लाये।।ॐ जय।।
अनावृष्टि के कारण संकट आन पड्यो।
भगवान आप दया करी, सबको कष्ट हरयो।।ॐ जय।।
पुत्र प्राप्ति हेतु, भूप के यज्ञ कियो।
यज्ञ देव के आशीष से, सुत को जन्म भयो।।ॐ जय।।
भूप मनोरथ पूर्ण करके, चिंता दूर करी।
प्रेतराज पामर की, निर्मल देह करी।।ॐ जय।।
ऋषिवर अक्षपाद की आरती, जो कोई नर गावे।
ऋषि की पूर्ण कृपा से, मनोवांछित फल पावे।।ॐ जय।।
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