Ganesh Puran (गणेश पुराण) Hindi
गणेश जी की कीर्तियों का बखान गणेश पुराण में मिलता है। हिन्दु धर्म की मान्यताओं में जो आख्यान शुमार किए जाते हैं, उनमें पुराण एक बहुत बड़ा स्त्रोत हैं। कुल 18 पुराण हैं। महर्षि वेद व्यास को इन पुराणों का रचियता माना गया है। 18 पुराणों में देवी देवताओं को आदर्श बताया गया है। पुराणों में देवी देवताओं की कहानी के साथ पुण्य और पाप का प्रतिफल बताया गया है ताकि सुनने वाले पाप—पुण्य का फेर समझ सकें। वेद व्यास लिखित 18 पुराणों में से एक है, गणेश पुराण। गणेश पुराण में पांच खंड हैं। पहला खंड आरंभ खंड है। दूसरा खंड परिचय है। सभी खंडों में किस्से हैं, कथाएं हैं, कीर्ति वर्णन है। गणेश पुराण में गणेश जी की लीलाओं का बखान है। गणेश पुराण में तीसरा खंड मां पार्वती पर आधारित खंड है। इसमें पार्वती जी के जन्म, शिव विवाह की कहानी है। सबसे रोचक है, चौथा खंड है। चौथा खंड, युद्ध खंड है। मत्सर असुर की कहानी इसी खंड में आती है। पांचवा खंड महादेव पुण्य कथा पर है। इस खंड में सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग के बारे में बताया गया है।
गणेश जी की ढेरों कहानियां पढ़ना और सुनना चाहते हैं तो गणेश पुराण बेहतर पाठ्य ग्रंथ है। गणेश प्रथम पूज्य क्यों हैं? ये कहानी तो सब जानते हैं लेकिन उनसे जुड़ी और कहानियों के लिए गणेश पुराण सर्वश्रेष्ठ संदर्भ है। गणेश जी की अपरम्पार लीलाओं का सार गणेश पुराण में समाहित किया गया है। उनके विभिन्न नामों के पीछे की कहानी भी आपको इस पुराण में मिलेंगी।
गणेश पुराण (Ganesh Puran)
- पहला खण्ड – आरम्भ खण्ड –
इस खंड में ऐसी कथाएं सूत जी ने सुनाई हैं जिनके पढ़ने या सुनने से हमेशा सब जगह मंगल ही होगा। सूत जी ने सबसे पहली कथा द्वारा बताया है कि किस प्रकार प्रजाओं की सृष्टि हुई और सर्वश्रेष्ठ देव भगवान गणेश का आविर्भाव किस प्रकार हुआ। आगे सूत जी ने शिव के अनेक रूपों का वर्णन किया है। वे कैसे सृष्टि की उत्पत्ति, संहार और पालन करते हैं। साथ ही यह भी बताया गया है कि विष्णु का एक वर्ष शिव के एक दिन के बराबर होता है। साथ ही सती की कथा है जिसका विवाह शिवजी से हुआ।
- दूसरा खण्ड – परिचय खण्ड –
दूसरा खण्ड परिचय खण्ड है जिसमें गणेश जन्म कथाओं का परिचय दिया गया है। इसमें अलग-अलग पुराणों के अनुसार कथा कही गई है। जैसे पद्म व लिंग पुराण के अनुसार और अंत में गणेश की उत्पत्ति की सविस्तार से कथा है। - तीसरा खण्ड – माता पार्वती खण्ड –
तीसरा खण्ड माता पार्वती खण्ड है। इसमें पार्वती के पर्वतराज हिमालय के घर जन्म की कथा है और शिव से विवाह की कथा। आगे कार्तिकेय के जन्म की कथा है जिसमें तारकासुर के अत्याचार से लेकर कार्तिकेय के जन्म की कथा है। इस खण्ड में वशिष्ठ जी द्वारा सुनाई अरण्यराज की कथा है। - चौथा खण्ड – युद्ध खण्ड –
चौथा खण्ड युद्ध खण्ड : नाम खण्ड है। इसमें आरम्भ में मत्सर नामक असुर के जन्म की कथा है जिसने दैत्य गुरु शुक्राचार्य से शिव पंचाक्षरी मन्त्र की दीक्षा ली। आगे तारक नामक असुर की कथा है। उसने ब्रह्मा की अराधना कर त्रैलोक्य का स्वामित्व प्राप्त किया। साथ में इसमें महोदर व महासुर के आपसी युद्ध की कथा है। लोभासुर व गजानन की कथा भी है जिसमें लोभासुर ने गजानन के मूल महत्त्व को समझा और उनके चरणों की वंदना करने लगा। इसी तरह आगे क्रोधासुर व लम्बोदर की कथा है। - पांचवा खण्ड – महादेव पुण्य कथा खण्ड –
पांचवा खण्ड महादेव पुण्य कथा खण्ड है। इसमें सूत जी ने ऋषियों को कहा, आप कृपा करके गणेश, पार्वती के युगों का परिचय दीजिए। तब आगे इस खण्ड में सतयुग, त्रेतायुग व द्वापर युग के बारे में बताया गया है। जन्मासुर, तारकासुर की कथा से इसका अन्त हुआ है।
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