देवनागरी लिपि की विशेषताएँ - Summary
देवनागरी लिपि की विशेषताएँ जानने के लिए आपको यह जानना चाहिए कि यह लिपि हिंदी, मराठी और नेपाली भाषाओं में बहुत महत्वपूर्ण है। इसे गुजरात के राजा जय भट्ट के एक शिलालेख में सबसे पहले इस्तेमाल किया गया था। गुजरात में इसके पंडित वर्ग, नगर ब्रह्मांणों के कारण इसे ‘नागरे’ नाम दिया गया। देव भाषा संस्कृत में इसके इस्तेमाल से इसे ‘देवनागरी’ नाम दिया गया। इसमें देवताओं की उपासना के लिए बनाए गए संकेत भी शामिल रहे हैं।
देवनागरी लिपि की विशेषताएँ
देवनागरी लिपि की कई विशेषताएँ इसे एक वैज्ञानिक लिपि बनाती हैं। इसके व्यंजन वर्ग के स्थान पर आधारित होते हैं जैसे क, च, ट, त, प। हर वर्ग में व्यंजनों में घोषत्व का आधार स्पष्ट है। उदाहरण के लिए, पहले दो व्यंजन (च, छ) अघोष होते हैं, जबकि शेष तीन व्यंजन (ज, झ, ञ) घोष होते हैं। यह वर्गीकरण किसी और लिपि में नहीं है।
मुख्य विशेषताएँ
- लिपि चिह्नों के नाम ध्वनि के अनुसार – इस लिपि में चिह्नों का नाम उनकी ध्वनि के अनुसार होता है, जैसे- अ, आ, ओ, औ, क, ख आदि। जबकि रोमन लिपि में चिह्न नाम ध्वनियों का सही प्रतिनिधित्व नहीं करते।
- लिपि चिह्नों की अधिकता – विश्व की अन्य लिपियों की तुलना में देवनागरी में अधिक चिह्न हैं। उदाहरण के लिए, अंग्रेजी में केवल 26 चिह्न हैं, जबकि देवनागरी में विभिन्न ध्वनियों के लिए अलग-अलग चिह्न प्रदान किए गए हैं।
- स्वरों के लिए स्वतंत्र चिह्न – यहाँ ह्स्व और दीर्घ स्वरों के लिए अलग-अलग चिह्न हैं। रोमन लिपि में एक ही अक्षर से दो स्वरों को दिखाना मुश्किल होता है।
- व्यंजनों की आक्षरिकता – हर व्यंजन के साथ ‘अ’ का योग रहता है, जो इसे अन्य लिपियों की तुलना में अलग बनाता है।
- सुपाठन एवं लेखन की दृष्टि – देवनागरी लिपि को पढ़ना और लिखना आसान होता है। यह अन्य लिपियों की तुलना में अधिक वैज्ञानिक होती है।
- यह लिपि परंपरागत रूप से 11 स्वर और 33 व्यंजन से समृद्ध है। इसके अतिरिक्त ड़, ढ़, क़, ख़, ग़, ज़, फ़ आदि ध्वनियों के लिए भी चिन्ह हैं।
- देवनागरी लिपि प्राचीन भारतीय भाषाओं जैसे संस्कृत, प्राकृत, पाली और अपभ्रंश की भी लिपि रही है।
- हर चिह्न उस ध्वनि का नाम बताता है जैसे- आ, इ, क, ख आदि, जबकि रोमन लिपि में यह स्पष्ट नहीं होता।
- हिंदी में ऋ – रि, श – ष को छोड़कर सभी ध्वनियों के लिए स्वतंत्र लिपि चिह्न हैं।
देवनागरी के दोष
देवनागरी लिपि का एक दोष यह है कि इसके चारों ओर मात्राएं लगानी पड़ती हैं और फिर शिरोरेखा खींचनी पड़ती है, जिससे लेखन में अधिक समय लगता है। ‘र’ के कई प्रकार होते हैं, जैसे रात, प्रकार, कर्म, राष्ट्र आदि।
इसलिए, यह कहा जा सकता है कि देवनागरी लिपि अन्य लिपियों की तुलना में अच्छी है, लेकिन इसमें कुछ सुधार की आवश्यकता है। विशेषकर वर्णों की लिखावट में सुधार की ضرورت है, क्योंकि ‘रवाना’ लिखने की परंपरा अब ‘खाना’ के रूप में बदल गई है। ऐसे में हमें लेखन के समय शिरोरेखा पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
आप नीचे दिए गए लिंक का उपयोग करके देवनागरी लिपि की विशेषताएँ PDF में डाउनलोड कर सकते हैं।