गोवर्धन आरती – Govardhan Maharaj Aarti - Summary
गोवर्धन आरती – Govardhan Maharaj Aarti
गोवर्धन आरती की महिमा हिंदू धार्मिक परंपराओं में विशेष स्थान रखती है। दीपावली के अगले दिन, भक्त श्री गोवर्धन महाराज की पूजा करते हैं, जो उत्तरप्रदेश के मथुरा गोवर्धन पर्वत के रूप में पूजे जाते हैं। भक्तजन इनके दिव्य स्वरूप की सात कोस (२१ किलोमीटर) की परिक्रमा करते हैं, जिससे घर में अन्न और सुख-समृद्धि बनी रहती है।
यदि आप भी अपने घर में गोवर्धन महाराज की पूजा करते हैं, तो वे वर्ष भर आपके घर में अन्न और अन्य आवश्यकताओं की कमी नहीं होने देते हैं। इसके साथ ही, गोवर्धन महाराज आपके सभी अवांछित संकटों से भी रक्षा करते हैं। श्री गोवर्धन महाराज तेरे माथे मुकुट विराज रहो यह आरती गोवर्धन भगवान की सबसे प्रचलित और प्रिय आरती मानी जाती है। इस आरती के गाने से आपको श्री गोवर्धन देव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। 😊
गोवर्धन महाराज आरती हिन्दी – Shri Govardhan Maharaj Tere Mathe Mukut Viraj Raho Lyrics
श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तोपे पान चढ़े तोपे फूल चढ़े,
तोपे चढ़े दूध की धार।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तेरी सात कोस की परिकम्मा,
चकलेश्वर है विश्राम।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तेरे गले में कण्ठा साज रहेओ,
ठोड़ी पे हीरा लाल।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तेरे कानन कुण्डल चमक रहेओ,
तेरी झाँकी बनी विशाल।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
गिरिराज धरण प्रभु तेरी शरण,
करो भक्त का बेड़ा पार।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
गोवर्धन पूजा मंत्र – Govardhan Puja Mantra
ओम कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।।
प्रणत: क्लेशनाशय गोविंदाय नमो नम:।।
नम: भगवते वासुदेवाय कृष्णाय
क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नम:।
गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक।
विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव।।
लक्ष्मीर्या लोकपालानां धेनुरूपेण संस्थिता।
घृत वहति यज्ञार्थ मम पापं व्यपोहतु।।
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