सोमवती अमावस्या कथा (Somvati Amavasya Katha) Hindi

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सोमवती अमावस्या कथा (Somvati Amavasya Katha) in Hindi

Somvati Amavasya Vrat Katha (सोमवती अमावस्या व्रत कथा)

सोमवती अमावस्या 17 जुलाई 2023 को सुबह 06 बजकर 3 मिनट पर शुरू होगी और 18 जुलाई की सुबह 08 बजे तक रहेगी। रेवती नक्षत्र और मातंग योग में होने वाले स्नान पूजन से समस्त कष्टों का नाश होता है। गंगा स्नान करने के बाद दान और भगवान विष्णु का पूजन करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी।

इस दिन अखंड सौभाग्य और लक्ष्मी प्राप्ति के लिए पीपल के वृक्ष पर दीप जलाकर 108 परिक्रमा करना शुभ माना जाता है।  इस दिन को गंगा स्नान का भी बड़ा महत्व है। जो मनुष्य गंगा स्नान को नहीं जा सकते, वे अपने घर में हीं पानी में गंगा जल मिला कर तीर्थों का आह्वान करते हुए स्नान करें। इस दिन स्नान दान का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन मौन रहकर स्नान करने से सहस्त्र गौ दान के समान पुण्य की प्राप्ति होती है। कुरुक्षेत्र के ब्रह्मा सरोवर में स्नान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।

सोमवती अमावस्या पूजा (व्रत) विधि

सोमवती अमावस्या पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विधान

सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव, पार्वती, गणेशजी और कार्तिकेय की पूजा की जाती है। इस दिन जलाभिषेक करना भी विशेष रूप से फलदायी बताया गया है। कई लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं। अमावस्या को महिलाएं तुलसी या पीपल के पेड़ की 108 परिक्रमा भी करती हैं। कई जगह अमावस्या पर पितर देवताओं की पूजा और श्राद्ध करने की भी परंपरा है। सावन हरियाली और उत्साह का महीना माना जाता है। इसलिए इस महीने की अमावस्या पर प्रकृति के करीब आने के लिए पौधरोपण किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन पौधारोपण से ग्रह दोष शांत होते हैं। इस तिथि पर गंगा स्नान और दान का महत्व बहुत है।

सोमवती अमावस्या व्रत कथा

एक गरीब ब्राह्मण परिवार था। उस परिवार में पति-पत्नी के अलावा एक पुत्री भी थी। वह पुत्री धीरे-धीरे बडी होने लगी। उस पुत्री में समय और बढ़ती उम्र के साथ सभी स्त्रियोचित गुणों का विकास हो रहा था। वह लडकी सुुंदर, सुंस्कारवान एवुं गुणवान थी। किन्तु गरीब होने के कारण उसका विवाह नहीं हो पा रहा था।

एक दिन उस ब्राह्मण के घर एक साधु महाराज पधारें। वो उस कन्या के सेवा भाव से काफी प्रसन्न हुए। कन्या को लम्बी आयु का आशीवाद देते हुए साधु ने कहा की इस कन्या के हथेली में विवाह योग्य रेखा नहीं है। तब ब्राह्मण दम्पति ने साधु से उपाय पूछा, की कन्या ऐसा क्या करें क उसके हाथ में विवाह योग बन जाए। साधु ने कुछ देर विचार करने के बाद अपनी अंतदृस्टि से ध्यान करके बताया की कुछ दुरी पर एक गांव में सोना नाम की धोबिन जाति की एक महिला अपने बेटे और बहू के साथ रहती है, जो बहुत ही आचार – विचार और सुंस्कार सुंपन्न तथा पति परायण है।

यदि यह कन्या उसकी सेवा करे और वह महिला इसकी शादी में अपने मांग का सिंदूर लगा दें, उसके बाद इस कन्या का विवाह हो तो इस कन्या का वैधव्य योग तमट सकता है। साधु ने यह भी बताया की वह महिला कहीं आती-जाती नहीं है। यह बात सुनकर ब्राह्मणी ने अपनी बेटी से धोबिन की सेवा करने की बात कही। अगले दिन कन्या प्रात: काल ही उठ कर सोना धोबिन के घर जाकर, साफ-सफाई और अन्य सारे काम करके अपने घर वापस आ जाती।

एक दिन सोना धोबिन अपनी बहू से पूछती है की ,तुम तो सुबह ही उठकर सारे काम कर लेती हो और पता भी नहीं हिलता बहू ने कहा- मां जी, मैंने तो सोचा की आप ही सुबह उठकर सारे काम खुद ही खत्म कर लेती हैं। मैं तो देर से उठती हूुं। इस पर दोनों सास-बहू नीगरानी करने लगी की कौन है जो सुबह ही घर का सारा काम करके चला जाता है। तब कन्या ने साधु द्बारा कही गई सारी बात बताई। सोना धोबिन पति परायण थी, उसमें तेज था। वह तैयार हो गई।

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