सम्भोग से समाधि की ओर (Sambhog Se Samadhi Tak Book) - Summary
“संभोग से समाधि तक” ओशो (आचार्य रजनीश) द्वारा लिखी गई एक प्रसिद्ध आध्यात्मिक पुस्तक है। इस पुस्तक में ओशो ने बताया है कि यदि यौन ऊर्जा को सही दिशा और समझ दी जाए, तो वह व्यक्ति को उच्च चेतना या समाधि की अवस्था तक पहुँचा सकती है। ओशो ने शरीर, प्रेम और आत्मिक विकास के गहरे संबंध को समझाते हुए कहा है कि ये सभी एक ही जीवन ऊर्जा के विभिन्न रूप हैं।
यह पुस्तक लोगों को अपनी प्राकृतिक इच्छाओं को दबाने के बजाय उन्हें समझने और स्वीकार करने की प्रेरणा देती है। ओशो का मानना है कि जब व्यक्ति अपनी भीतरी ऊर्जा के प्रति पूरी तरह जागरूक होता है, तभी सच्चे ध्यान और शांति की प्राप्ति होती है। “संभोग से समाधि तक” यह सिखाती है कि अध्यात्म जीवन से अलग नहीं है, बल्कि यह भौतिक अनुभव से आत्मिक जागरण की एक सुंदर यात्रा है।
प्रवचन-क्रम (सम्भोग से समाधि की ओर)
| विशेषता | विवरण |
|---|---|
| लेखक | ओशो (आचार्य रजनीश) |
| विषय | सेक्स, प्रेम, और ध्यान के माध्यम से आध्यात्मिकता |
| प्रकाशन वर्ष | 1969 |
| भाषा | हिंदी |
| प्रमुख बिंदु | – सम्भोग को ध्यान में परिवर्तित करना – प्रेम और संबंधों का आध्यात्मिक महत्व – ध्यान और समाधि की तकनीकें |
| लक्ष्य पाठक | युवा वर्ग, साधक, ध्यान और आध्यात्मिकता में रुचि रखने वाले लोग |
| उद्देश्य | सेक्स और प्रेम के माध्यम से आध्यात्मिकता की खोज को समझाना |
- संभोग : परमात्मा की सृजन-ऊर्जा ….. 2
- संभोग : अहं-शून्यता की झलक ….. 21
- संभोग : समय-शून्यता की झलक ….. 39
- समाधि : अहं-शून्यता, समय-शून्यता का अनुभव ….. 56
- समाधि : संभोग-ऊर्जा का आध्यात्मिक नियोजन ….. 70
- यौन : जीवन का ऊर्जा – आयाम ….. 91
- युवक और यौन ….. 110
- प्रेम और विवाह ….. 123
- जनसंख्या विस्फ़ोट ….. 139
- विद्रोह क्या है ….. 163
- युवक यौन ….. 183
- युवा चित्त का जन्म ….. 195
- नारी और क्रांति ….. 214
- नारी–एक और आयाम ….. 229
- सिद्धांत, शास्त्र और वाद से मुक्ति ….. 245
- भीड़ से, समाज से–दूसरों से मुक्ति ….. 257
- दमन से मुक्ति ….. 272
- न भोग, न दमन–वरन जागरण ….. 285
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