ॐ जय जगदीश हरे आरती (Om Jai Jagdish Hare Aarti) Hindi PDF

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ॐ जय जगदीश हरे आरती (Om Jai Jagdish Hare Aarti) - Summary

ॐ जय जगदीश हरे आरती एक प्रमुख हिंदू धार्मिक गीत है। यह गीत भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे मुख्यतः विष्णु मंदिरों में गाया जाता है। यह धार्मिक भजन हिंदी भाषा में लिखा गया है, लेकिन इसे हर जगह हिंदू समुदाय द्वारा गाया जाता है। पूजा के दौरान, आरती के समय भक्त एक साथ प्रार्थना गाते हैं, जिससे एक अद्वितीय आध्यात्मिक माहौल बनता है।

आरती का महत्व

जयदेव के गीता गोविंदा के दशावतार खंड से प्रेरित होकर यह गीत लिखा गया है, जो 12वीं शताब्दी की एक गीतात्मक रचना है। इसका संदेश सभी भक्तों के लिए समान और महत्वपूर्ण है।

ओम जय जगदीश हरे आरती लिखित में – Om Jai Jagdish Hare Aarti

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय…॥

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय…॥

तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय…॥

तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय…॥

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय…॥

दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय…॥

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय…॥

तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय…॥

जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय…॥

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