नवरात्रि आरती – Navratri Aarti - Summary
नवरात्रि आरती (Navratri Aarti) एक शुभ और पवित्र त्योहार है जिसे हर साल भक्त बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं। यह त्योहार नौ दिन तक चलता है, जिनमें हर दिन देवी मां के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के दौरान दुनिया भर के भक्त मां दुर्गा की आरती करते हैं ताकि उनकी कृपा मिल सके। इस नवरात्रि के लिए आप Navratri Aarti PDF डाउनलोड कर इसे आसानी से अपने घर पर पूजा में इस्तेमाल कर सकते हैं।
नवरात्रि के नौ दिनों का महत्व और पूजा की विधि
नवरात्रि तीन चरणों में बाँटा गया है: पहले चार दिनों में देवी दुर्गा की पूजा होती है, अगले चार दिन देवी लक्ष्मी की आराधना होती है और आखिरी दिन देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। इस दौरान, भक्त उपवास रखते हैं और दिन-रात देवी की आरती करते हैं। नवरात्रि शक्ति का प्रतीक है और मां दुर्गा को सुख, शांति, और समृद्धि की देवी माना जाता है।
नवरात्रि आरती की मुख्य बातें और दैनिक पूजा
नवरात्रि आरती में माता के सभी नौ स्वरूपों की स्तुति की जाती है। व्रती ये आरती गाते हुए अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की कामना करते हैं। माना जाता है कि नवरात्रि में रखा गया व्रत मां दुर्गा की कृपा बनाए रखता है और सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। नवरात्रि आरती के शब्द सुनकर आप भक्तिभाव से भर जाएंगे और सुकून का अनुभव करेंगे।
नवरात्रि आरती – Navratri Aarti
ॐ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशदिन ध्यावत, मैया जी को सदा मनावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ।।
ॐ जय अम्बे गौरी।
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को।
उज्ज्वल से दोउ नैना, निर्मल से दोउ नैना, चन्द्रबदन नीको।
ॐ जय अम्बे गौरी।
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्त पुष्प गलमाला, लाल कुसुम गलमाला, कण्ठन पर साजै।
ॐ जय अम्बे गौरी।
केहरि वाहन राजत, खड़ग खप्परधारी।
सुर नर मुनिजन सेवत, सुर नर मुनिजन ध्यावत, तिनके दुखहारी।
ॐ जय अम्बे गौरी।
कानन कुणडूल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर, कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति।
ॐ जय अम्बे गौरी।
शुम्भ निशुम्भ विडारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, मधुर विलोचन नैना, निशदिन मदमाती।
ॐ जय अम्बे गौरी।
चण्ड मुण्ड संघारे, शोणित बीज हरे।
मधुकैटभ दोउ मारे, मधुकैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे।
ॐ जय अम्बे गौरी।
ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमला रानी।
आगम निगम बखानी, चारों वेद बखानी, तुम शिव पटरानी।
ॐ जय अम्बे गौरी।
चौसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैरू।
बाजत ताल मृदंगा, बाजत ढोल मृदंगा, अरु बाजत डमरू।
ॐ जय अम्बे गौरी।
तुम हो जग की माता, तुम ही हो भर्ता।
भक्तन की दुख हरता, संतन की दुख हरता, सुख-सम्पत्ति करता।
ॐ जय अम्बे गौरी।
भुजा चार अति शोभित, वर मुद्रा धारी।
मनवांछित फल पावत, मनइच्छा फल पावत, सेवत नर नारी।
ॐ जय अम्बे गौरी।
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्री मालकेतु में राजत, धोळा गिरी पर राजत, कोटि रतन ज्योति।
ॐ जय अम्बे गौरी।
श्री अम्बे जी की आरती, जो कोई नर गावै, मैया प्रेम सहित गावें।
कहत शिवानंद स्वामी, रटत हरिहर स्वामी, मनवांछित फल पावै।
ॐ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशदिन ध्यावत , मैया जी को सदा मनावत, हरि ब्रह्मा शिवरी।
ॐ जय अम्बे गौरी।
जय अम्बे गौरी आरती
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
जय अम्बे गौरी
माँग सिन्दूर विराजत, टीको मृगमद को।
उज्जवल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको॥
जय अम्बे गौरी
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै॥
जय अम्बे गौरी
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी॥
जय अम्बे गौरी
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
शुम्भ-निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती॥
जय अम्बे गौरी
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
जय अम्बे गौरी
ब्रहमाणी रुद्राणीतुम कमला रानी।
आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी॥
जय अम्बे गौरी
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरूँ।
बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरु॥
जय अम्बे गौरी
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता॥
जय अम्बे गौरी
भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी।
मनवान्छित फल पावत, सेवत नर-नारी॥
जय अम्बे गौरी
कन्चन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
श्री अम्बेजी की आरती, जो कोई नर गावै।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै॥
जय अम्बे गौरी
अम्बे तू है जगदम्बे काली आरती
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली l
तेरे ही गुण गायें भारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ll
तेरे भक्त जनों पे माता, भीर पड़ी है भारी l
दानव दल पर टूट पडो माँ, करके सिंह सवारी ll
सौ सौ सिंहों से तु बलशाली, दस भुजाओं वाली l
दुखिंयों के दुखडें निवारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ll
माँ बेटे का है इस जग में, बड़ा ही निर्मल नाता l
पूत कपूत सूने हैं पर, माता ना सुनी कुमाता ll
सब पर करुणा दरसाने वाली, अमृत बरसाने वाली l
दुखियों के दुखडे निवारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ll
नहीं मांगते धन और दौलत, न चाँदी न सोना l
हम तो मांगे माँ तेरे मन में, इक छोटा सा कोना ll
सबकी बिगड़ी बनाने वाली, लाज बचाने वाली l
सतियों के सत को संवारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ll
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली l
तेरे ही गुण गायें भारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ll
आप नीचे दिए गए लिंक से नवरात्रि आरती (Navratri Aarti PDF) डाउनलोड कर सकते हैं, जिससे इस पवित्र भक्ति को आसानी से अपने मन में समा सकें।