मौनी अमावस्या व्रत कथा (Mauni Amavasya Vrat Katha) Hindi

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मौनी अमावस्या व्रत कथा (Mauni Amavasya Vrat Katha) in Hindi

सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार जब सूर्य और चंद्रमा के बीच का अंतर शून्य हो जाता है तो अमावस्या तिथि का योग बनता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अमावस्या की तिथि भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। पौराणिक कथाओं के अनुसार मौनी अमावस्या के दिन मनु ऋषि का जन्म हुआ था, इस दिन मौन व्रत कर विधिवत श्रीहरि भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से मुनि पद की प्राप्ति होती है। अपने पित्रों को प्रसन्न करने के लिए प्रत्येक माह की अमावस्या तिथि को उनका पूजन तथा तर्पण करना चाहिए।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मौनी अमावस्या के दिन मन और वांणी पर विराम रखते हुए स्नान कर प्रभु के नाम का स्मरण करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और वैकुण्ठ लोक की प्राप्ति होती है। इस दिन पीपल के पेड़ व भगवान विष्णु की विधिवत पूजन भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। स्कंद पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार बिना व्रत कथा पाठ किए किसी भी व्रत को पूर्ण नहीं माना जाता।

मौनी अमावस्या की कथा हिंदी में (Mauni Amavasya Vrat Katha)

पौराणिक कथाओं के अनुसार, कांचीपूरी में एक ब्राह्मण अपनी पत्नी धनवती, सात बेटों और बेटी गुणवती के साथ रहा करता था। उस ब्राह्मण का नाम देवस्वामी था। देवस्वामी के सातों बेटों की शादी हो गई थी लेकिन उसकी बेटी अभी कुवांरी थी। उसने अपने बड़े बेटे को लड़का ढूंढने का काम सौंपा था। एक दिन एक पंडित ने गुणवती की कुंडली देखी और बताया कि देवस्वामी के कुंडली में मौजूद दोष के वजह से गुणवती विधवा हो जाएगी। सब उस पंडित से इस समस्या से निपटने का हल पूछने लगे।

इस समस्या का हल बताते हुए पंडित ने कहा कि सिंहल द्वीप में एक सोमा नाम की धोबिन रहती है उसे यहां ले आओ, उसके पूजा में इतनी ताकत है कि वह गुणवती को विधवा होने से बचा लेगी। पंडित के कहने पर देवस्वामी का छोटा बेटा और गुणवती सोमा को लाने के लिए चले गए। रास्ते में सागर पार करने के बाद थके-हारे उन्हें एक पेड़ मिला। वह दोनें उस पेड़ के नीचे आराम करने लगे। उस पेड़ पर एक गिद्ध का घोसला भी था। उस घोसले में गिद्ध के बच्चे थे जो गुणवती और उसके भाई की बातों को सुन रहे थे।

जब गिद्ध ने अपने बच्चों को खाना खिलाने की कोशिश की तो वह बच्चे खाना खाने से मना कर दिए और बोले कि पहले इन इंसानों की मदद की कीजिए तभी हम खाना खाएंगो। अपने बच्चों की जिद मान कर उस गिद्ध ने गुणवती और उसके भाई को सिंघल छोड़ दिया जहां सोमा का घर था। अब दोनों भाई-बहन सोमा को खुश करने के लिए तरकीब सोचते रहे। हर सुबह दोनों भाई-बहन सोमा का घर साफ करके लीपा-पोती करते थे।

सोमा ने अपनी बहुओं से इस बारे में पूछा लेकिन उसकी बहुओं ने उससे झूठ बोला की वह यह साफ-सफाई करती हैं। सोमा चलाक थी उसने अगली सुबह जल्दी उठकर गुणवती और उसके भाई को साफ-सफाई करते हुए पकड़ लिया। वह दोनों के काम से बहुत खुश हुई और दोनों के साथ उनके गांव चलने के लिए तैयार हो गई। जाते समय सोमा ने अपने बहुओं से बोला कि अगर किसी की मौत हो जाएगी तो उसके शरीर को जलाना नहीं है और जब तक वह नहीं आती, तब तक इंतजार करना है। जब सोमा गुणवती के गांव पहुंची तो अगले दिन गुणवती की शादी होनी थी।

अगले दिन सप्तपदी होने के बाद गुणवती का पति मर गया। सोमा ने तुरंत भगवान विष्णु की पूजा करना शुरू कर दिया और पूजा करने के बाद पीपल के पेड़ की 108 बार परिक्रमा करने लगी। यह उपाय करते ही गुणवती का पति वापस जिंदा हो गया था। जब सोमा अपने घर वापस लौटी तब उसे पता चला कि उसका पुत्र जामाता और उसका पति मर गया है। सोमा ने ठीक वैसा ही किया जैसा उसने गुणवती के शादी में किया था। भगवान विष्णुजी की पूजा करने के बाद वह पीपल के पेड़ की 108 बार परिक्रमा करने लगी। ऐसा करने से उसका पति और पुत्र दोनों जिंदा हो गए थे।

मौनी अमावस्या पूजा विधि – Mauni Amavasya Vrat Vidhi

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