महानंदा नवमी व्रत कथा – Mahananda Navami Vrat Katha & Pooja Vidhi Hindi

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महानंदा नवमी व्रत कथा – Mahananda Navami Vrat Katha & Pooja Vidhi in Hindi

महानंदा नवमी का व्रत धन की देवी मां लक्ष्मी को समर्पित माना जाता है।  पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, आज के दिन जो जातक सच्चे हृदय से मां लक्ष्मी का यह व्रत रखता है उसके जीवन में यश, धन एवं वैभव सदा बना रहता है। माना जाता है कि आज के दिन जो जातक दान-पुण्य करता है उसे मृत्यु के पश्चात विष्णु लोक की प्राप्ति होती है।

इस दिन मां लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा की जाती है। मान्यता है कि महानंदा नवमी का व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि आती है। कहा जाता है कि अगर किसी के जीवन में सुख-समृद्धि, रुपया-पैसा, धन की कमी हो गई हो तो व्यक्ति को यह व्रत अवश्य करना चाहिए। इस दिन दान-पुण्य का भी विशेष महत्व होता है। वहीं, अगर इस दिन असहाय लोगों को दान दिया जाए तो व्यक्ति को विष्णु लोक की प्राप्ति भी होती है।

महानंदा नवमी व्रत कथा – Mahananda Navami Vrat Katha Hindi

पौराणिक कथा के अनुसार एक समय की बात है कि एक साहूकार की बेटी पीपल की पूजा करती थी। उस पीपल में लक्ष्मीजी का वास था। लक्ष्मीजी ने साहूकार की बेटी से मित्रता कर ली। एक दिन लक्ष्मीजी ने साहूकार की बेटी को अपने घर ले जाकर खूब खिलाया-पिलाया और ढेर सारे उपहार दिए। जब वो लौटने लगी तो लक्ष्मीजी ने साहूकार की बेटी से पूछा कि तुम मुझे कब बुला रही हो?

अनमने भाव से उसने लक्ष्मीजी को अपने घर आने का निमंत्रण तो दे दिया किंतु वह उदास हो गई। साहूकार ने जब पूछा तो बेटी ने कहा कि लक्ष्मीजी की तुलना में हमारे यहां तो कुछ भी नहीं है। मैं उनकी खातिरदारी कैसे करूंगी?

साहूकार ने कहा कि हमारे पास जो है, हम उसी से उनकी सेवा करेंगे।

फिर बेटी ने चौका लगाया और चौमुख दीपक जलाकर लक्ष्मीजी का नाम लेती हुई बैठ गई. तभी एक चील नौलखा हार लेकर वहां डाल गया।

उसे बेचकर बेटी ने सोने का थाल, साल दुशाला और अनेक प्रकार के व्यंजनों की तैयारी की और लक्ष्मीजी के लिए सोने की चौकी भी लेकर आई. थोड़ी देर के बाद लक्ष्मीजी गणेशजी के साथ पधारीं और उसकी सेवा से प्रसन्न होकर सब प्रकार की समृद्धि प्रदान की।
अत: जो मनुष्य महानंदा नवमी के दिन यह व्रत रखकर श्री लक्ष्मी देवी का पूजन-अर्चन करता है उनके घर स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है तथा दरिद्रता से मुक्ति मिलती है तथा दुर्भाग्य दूर होता है।

महानंदा नवमी व्रत का महत्त्व

श्री महानंदा नवमी पर पूजा के स्थान पर एक दीपक जलाकर ओम हीं महालक्ष्मैय नमः मंत्र का जाप करने से जीवन में सुखों का आगमन एवं कष्टों की कमी होती है। घर का कूड़ा करकट एकत्रित कर उसे किसी घर से बाहर करना चाहिए। इसे लक्ष्मी का विसर्जन कहा जाता है। विधि-विधान से स्नान ध्यान कर पूजा कर महालक्ष्मी का हाथ जोड़कर आहवान करने से वे जरूर ही घर में आती हैं और अपने आशीर्वाद से आपको धन-धान्य से समृद्ध कर देती हैं।

महानंदा नवमी व्रत पूजा विधि – Mahananda Navami Vrat Pooja Vidhi Hindi

मां महालक्ष्मी जी की आरती

ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निशदिन सेवत
हरि विष्णु विधाता
ॐ जय लक्ष्मी माता
उमा रमा ब्रह्माणी तुम ही जगमाता
मैया तुम ही जगमाता
सूर्य चन्द्रमा ध्यावत
नारद ऋषि गाता
ॐ जय लक्ष्मी माता
दुर्गा रूप निरंजनी सुख सम्पत्ति दाता
मैया सुख सम्पत्ति दाता
जो कोई तुमको ध्यावत
ऋद्धि-सिद्धि धन पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता
तुम पाताल निवासिनि तुम ही शुभदाता
मैया तुम ही शुभदाता
कर्मप्रभावप्रकाशिनी कर्मप्रभावप्रकाशिनी
भवनिधि की त्राता
ॐ जय लक्ष्मी माता
जिस घर में तुम रहतीं सब सद्गुण आता
मैया सब सद्गुण आता
सब सम्भव हो जाता सब सम्भव हो जाता
मन नहीं घबराता
ॐ जय लक्ष्मी माता
तुम बिन यज्ञ न होते वस्त्र न कोई पाता
मैया वस्त्र न कोई पाता
खान पान का वैभव खान पान का वैभव
सब तुमसे आता
ॐ जय लक्ष्मी माता
शुभ गुण मन्दिर सुन्दर क्षीरोदधि जाता
मैया सुन्दर क्षीरोदधि जाता
रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहीं पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता
महालक्ष्मीजी की आरती जो कोई नर गाता
मैया जो कोई नर गाता
उर आनन्द समाता पाप उतर जाता
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निशदिन सेवत
हरि विष्णु विधाता
ॐ जय लक्ष्मी माता
ॐ जय लक्ष्मी माता

मां महालक्ष्मी की स्तुति

आदि लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु परब्रह्म स्वरूपिणि।

यशो देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।1।।

सन्तान लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पुत्र-पौत्र प्रदायिनि।

पुत्रां देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।2।।

विद्या लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु ब्रह्म विद्या स्वरूपिणि।

विद्यां देहि कलां देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।3।।

धन लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व दारिद्र्य नाशिनि।

धनं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।4।।

धान्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वाभरण भूषिते।

न्यं देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।5।।

मेधा लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु कलि कल्मष नाशिनि।

प्रज्ञां देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।6।।

गज लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वदेव स्वरूपिणि।

अश्वांश गोकुलं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।7।।

धीर लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पराशक्ति स्वरूपिणि।

वीर्यं देहि बलं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।8।।

जय लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व कार्य जयप्रदे।

जयं देहि शुभं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।9।।

भाग्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सौमाङ्गल्य विवर्धिनि।

भाग्यं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।10।।

कीर्ति लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु विष्णुवक्ष स्थल स्थिते।

कीर्तिं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।11।।

आरोग्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व रोग निवारणि।

आयुर्देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।12।।

सिद्ध लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व सिद्धि प्रदायिनि।

सिद्धिं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।13।।

सौन्दर्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वालङ्कार शोभिते।

रूपं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।14।।

साम्राज्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु भुक्ति मुक्ति प्रदायिनि।

मोक्षं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।15।।

मङ्गले मङ्गलाधारे माङ्गल्ये मङ्गल प्रदे।

मङ्गलार्थं मङ्गलेशि माङ्गल्यं देहि मे सदा।।16।।

सर्व मङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।

शरण्ये त्रयम्बके देवि नारायणि नमोऽस्तुते।।17।।

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