मधुरस्तकम | Madhurashtakam Marathi
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मधुरस्तकम कृष्ण भक्ति में एक संस्कृत रचना है। इसकी रचना श्री वल्लभाचार्य (हिंदू भक्ति दार्शनिक) ने की थी। पुष्टिमार्ग को बढ़ावा देने वाले श्री वल्लभाचार्य (तेलुगु ब्राह्मण) थे। यह कृष्ण के लिए बिना शर्त भक्ति और सेवा पर जोर देता । मधुराष्टकम को मधुराष्टकम भी कहा जाता है, यह भगवान कृष्ण की भक्ति में एक संस्कृत अष्टक है, जिसकी रचना हिंदू भक्ति संत श्री वल्लभाचार्य ने की थी। श्री वल्लभाचार्य एक तेलुगु ब्राह्मण थे जिन्होंने पुष्टिमार्ग का प्रचार किया, जो कृष्ण की बिना शर्त भक्ति और सेवा पर जोर देता है।
प्राचीन ग्रंथों और वृत्तांतों के अनुसार जब श्रीकृष्ण स्वयं वल्लभाचार्य के सामने प्रकट हुए थे, तब श्रवण शुक्ल एकादशी की मध्यरात्रि को वल्लभाचार्य ने भगवान की स्तुति में मधुराष्टकम की रचना की थी। उन्होंने संस्कृत में व्यास सूत्र भाष्य, जैमिनी सूत्र भाष्य, भागवत सुबोधिनी टीका, पुष्टि प्रवल मर्यादा और सिद्धांत रहस्य आदि सहित कई अन्य साहित्यिक कृतियों की रचना की।
मधुरस्तकम | Madhurashtakam PDF in Hindi
अधरं मधुरं वदनं मधुरं
नयनं मधुरं हसितं मधुरम् ।
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ ॥
अर्थ – हे भगवान कृष्ण, आपके होंठ मधुर हैं, आपका चेहरा मधुर है, आपकी आंखें मधुर हैं, आपकी मुस्कान मधुर है, आपका हृदय मधुर है, आपका चलना मधुर है और मधुरता के भगवान के बारे में सब कुछ मीठा है।
वचनं मधुरं चरितं मधुरं
वसनं मधुरं वलितं मधुरम् ।
चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ ॥
अर्थ – हे भगवान कृष्ण, आपके शब्द (भाषण) मधुर हैं, आपका चरित्र और स्वभाव मधुर है, आपका पहनावा (वस्त्र) मधुर है, आपका आसन मधुर है, आपकी चाल (चलना) मधुर है, आपका घूमना मधुर है और सब कुछ मधुर है मिठास के भगवान के बारे में।
वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः
पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ ।
नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ ॥
अर्थ – हे भगवान कृष्ण, आपकी बांसुरी मधुर है, आपके चरण-धूल मधुर हैं, आपके हाथ मधुर हैं, आपके चरण मधुर हैं, आपका नृत्य मधुर है, आपकी मित्रता (संगठन) मधुर है और मधुरता के भगवान के बारे में सब कुछ मीठा है।
गीतं मधुरं पीतं मधुरं
भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरम् ।
रूपं मधुरं तिलकं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ ॥
अर्थ – हे भगवान कृष्ण, आपका गीत मधुर है, आपका पीना मीठा है, आपका खाना मीठा है, आपकी नींद मधुर है, आपका मधुर रूप मधुर है, आपका तिलक (माथे पर चंदन का निशान) मीठा है और सब कुछ मीठा है। मधुरता के स्वामी।
करणं मधुरं तरणं मधुरं
हरणं मधुरं रमणं मधुरम् ।
वमितं मधुरं शमितं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ ॥
अर्थ – हे भगवान कृष्ण, आपके कर्म मधुर हैं, आपकी विजय (मुक्ति) मधुर है, आपकी चोरी मधुर है, आपका दिव्य प्रेम खेल मधुर है, आपका उत्साह मधुर है, आपका विश्राम मधुर है और प्रभु के बारे में सब कुछ मधुर है मिठास का।
गुञ्जा मधुरा माला मधुरा
यमुना मधुरा वीची मधुरा ।
सलिलं मधुरं कमलं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ ॥
अर्थ – हे भगवान कृष्ण, आपका गुनगुनाना मधुर है, आपकी माला मधुर है, यमुना नदी मधुर है और मधुर यमुना की लहरें हैं, आपका जल मधुर है, आपका कमल मधुर है और मधुरता के भगवान के बारे में सब कुछ मीठा है।
गोपी मधुरा लीला मधुरा
युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरम् ।
दृष्टं मधुरं शिष्टं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ ॥
अर्थ – हे भगवान कृष्ण, आपकी गोपियाँ मधुर हैं, आपकी दिव्य लीलाएँ (लीला) मधुर हैं, आपका मिलन मधुर है, आपका मुक्त होना मधुर है, आपकी नज़र मधुर है, आपका शिष्टाचार मधुर है और सब कुछ है मिठास के भगवान के बारे में मीठा।
गोपा मधुरा गावो मधुरा
यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा ।
दलितं मधुरं फलितं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ||8||
अर्थ – हे भगवान कृष्ण, आपके गोप मधुर हैं, आपकी गायें मधुर हैं, आपका समूह मधुर है, आपकी रचना मधुर है, आपकी विजय मधुर है, आपकी सिद्धि मधुर है और भगवान के बारे में सब कुछ मधुर है मिठास।
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