Ganapati Sahasranama Stotram गणपति सहस्रनाम स्तोत्र Sanskrit PDF

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Ganapati Sahasranama Stotram गणपति सहस्रनाम स्तोत्र - Summary

गणपति सहस्रनाम स्तोत्र (Ganapati Sahasranama Stotram) का वर्णन गणेश पुराण में किया गया है। यह स्तोत्र भगवान गणेश की महत्ता का बेहतरीन संग्रह है, जिसे पढ़ने और समझने से आपको जीवन में शुभता और समृद्धि का अनुभव होता है। गणपति सहस्रनाम स्तोत्र के अध्ययन के दौरान, भास्करराय द्वारा इस पर लिखा गया भाष्य खद्योता में भी इसकी उज्जवलता और प्रभाव साफ दिखता है।

गणपति सहस्रनाम स्तोत्र का आध्यात्मिक और लाभकारी महत्व

गणपति सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करने से आपको कई आध्यात्मिक फायदे मिलते हैं। यह स्तोत्र बाधाओं को दूर करने, मन को शुद्ध करने और ज्ञान तथा बुद्धि बढ़ाने में मदद करता है। इसके नियमित जाप से नकारात्मकता जैसे अपशकुन, दुश्मनों की निंदा, आर्थिक मुश्किलें दूर होती हैं। साथ ही यह स्वास्थ्य, मानसिक शांति और अच्छे संबंधों के लिए भी बहुत फायदेमंद है।

गणपति सहस्रनाम स्तोत्र PDF डाउनलोड करने का तरीका

आप इस पवित्र गणपति सहस्रनाम स्तोत्र को PDF के रूप में डाउनलोड कर सकते हैं और कहीं भी आराम से पढ़ सकते हैं। PDF डाउनलोड करने से यह स्तोत्र आपके पास सुरक्षित रहता है और आप कभी भी इसका जाप कर सकते हैं। यह आपको गणेशजी की पूजा में मदद करता है और आपकी आध्यात्मिक यात्रा को मजबूत बनाता है।

गणपति सहस्रनाम स्तोत्र में भगवान गणेश के हजार नाम हैं, जो उनकी अलग-अलग लीलाओं, महिमा और गुणों को दर्शाते हैं। इन नामों को याद करने से आपका मन ध्यान केंद्रित करता है और आप भगवान के करीब पहुंचते हैं। यह स्तोत्र सभी बाधाओं को हरा कर जीवन में सफलता, समृद्धि और सुख-शांति लाता है।

नीचे दिए गए स्तोत्र पाठ को ध्यान से पढ़ें और आशीर्वाद पाने के लिए इसे नियमित रूप से पढ़ें। यह स्तोत्र न केवल धार्मिक अनुष्ठानों में बल्कि व्यक्तिगत ध्यान और साधना में भी बहुत उपयोगी है। गणपति सहस्रनाम स्तोत्र का PDF डाउनलोड कर अपनी श्रद्धा और भक्ति को और मजबूत बनाएं।

गणपति सहस्रनाम स्तोत्र (Ganapati Sahasranama Stotram)

मुनिरुवाच
कथं नाम्नां सहस्रं तं गणेश उपदिष्टवान् ।
शिवदं तन्ममाचक्ष्व लोकानुग्रहतत्पर ॥ 1 ॥

ब्रह्मोवाच
देवः पूर्वं पुरारातिः पुरत्रयजयोद्यमे ।
अनर्चनाद्गणेशस्य जातो विघ्नाकुलः किल ॥ 2 ॥

मनसा स विनिर्धार्य ददृशे विघ्नकारणम् ।
महागणपतिं भक्त्या समभ्यर्च्य यथाविधि ॥ 3 ॥

विघ्नप्रशमनोपायमपृच्छदपरिश्रमम् ।
सन्तुष्टः पूजया शम्भोर्महागणपतिः स्वयम् ॥ 4 ॥

सर्वविघ्नप्रशमनं सर्वकामफलप्रदम् ।
ततस्तस्मै स्वयं नाम्नां सहस्रमिदमब्रवीत् ॥ 5 ॥

अस्य श्रीमहागणपतिसहस्रनामस्तोत्रमालामन्त्रस्य ।
गणेश ऋषिः, महागणपतिर्देवता, नानाविधानिच्छन्दांसि ।
हुमिति बीजम्, तुङ्गमिति शक्तिः, स्वाहाशक्तिरिति कीलकम् ।
सकलविघ्नविनाशनद्वारा श्रीमहागणपतिप्रसादसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः ।

अथ करन्यासः
गणेश्वरो गणक्रीड इत्यङ्गुष्ठाभ्यां नमः ।
कुमारगुरुरीशान इति तर्जनीभ्यां नमः ॥

ब्रह्माण्डकुम्भश्चिद्व्योमेति मध्यमाभ्यां नमः ।
रक्तो रक्ताम्बरधर इत्यनामिकाभ्यां नमः
सर्वसद्गुरुसंसेव्य इति कनिष्टिकाभ्यां नमः ॥

लुप्तविघ्नः स्वभक्तानामिति करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः ॥

अथ अङ्गन्यासः
छन्दश्छन्दोद्भव इति हृदयाय नमः ।
निष्कलो निर्मल इति शिरसे स्वाहा ।
सृष्टिस्थितिलयक्रीड इति शिखायै वषट् ।
ज्ञानं विज्ञानमानन्द इति कवचाय हुम् ।
अष्टाङ्गयोगफलभृदिति नेत्रत्रयाय वौषट् ।
अनन्तशक्तिसहित इत्यस्त्राय फट् ।
भूर्भुवः स्वरोम् इति दिग्बन्धः ।

अथ ध्यानम्
गजवदनमचिन्त्यं तीक्ष्णदंष्ट्रं त्रिनेत्रं
बृहदुदरमशेषं भूतिराजं पुराणम् ।
अमरवरसुपूज्यं रक्तवर्णं सुरेशं
पशुपतिसुतमीशं विघ्नराजं नमामि ॥

श्रीगणपतिरुवाच
ॐ गणेश्वरो गणक्रीडो गणनाथो गणाधिपः ।
एकदन्तो वक्रतुण्डो गजवक्त्रो महोदरः ॥ 1 ॥

…………….. (पुरे गणपति सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ यहाँ जारी रहेगा)

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