दुर्गा पूजा विधि मंत्र सहित PDF

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दुर्गा पूजा विधि मंत्र सहित - Summary

दुर्गा पूजा, जिसे नवरात्रि भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह त्योहार भारत और अन्य दक्षिण एशियाई देशों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस पूजा के दौरान, देवी दुर्गा की पूजा और आराधना की जाती है, और नवरात्रि के नौ दिनों में उनके नौ रूपों का स्मरण किया जाता है।

इस दौरान भक्त मां दुर्गा से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए सच्चे मन से उनकी आरती और चालीसा का पाठ करते हैं। इस लेख के जरिए हम आपके लिए दुर्गा पूजा विधि मंत्र सहित एक विशेष PDF में प्राप्त करने का अवसर प्रदान कर रहे हैं, जिसे आप आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं।

दुर्गा पूजा विधि और मंत्र

ध्यानम् -सर्वप्रथम यजमान हाथ मे अक्षत-पुष्प लेकर दुर्गाजी का ध्यान करे –

खड्गं चक्रगदेषुचापपरिधाञ्छूलं भुशुण्डीं शिर: शङ्खं सन्दधतीं करैस्त्रिनयनां सर्वाङ्गभूषावृताम् ।

नीलाश्मद्युतिमास्यपाददशकां सेवे महाकालिकां यामस्तौत्स्वपिते हरौ कमलजो हन्तुं मधुं कैटभम् ॥१॥

अक्षस्नक्‌परशुं गदेषुकुलिशं पद्मं धनुष्कुण्डिकां दण्डं शक्तिमसिं च चर्म जलजं घण्टां सुराभाजनम् ।

शूलं पाशसुदर्शने च दधतीं हस्तै: प्रसन्नाननां सेवे सैरिभमदिंनीमिह महालक्ष्मीं सरोजस्थिताम् ॥२॥

घण्टाशूलहलानि शङ्खमुसले चक्रं धनु: सायकं हस्ताब्जैर्दधतीं घनान्तविलसच्छीतांशुतुल्यप्रभाम् ।

गौरीदेहसमुद्भवां त्रिजगतामाधारभूतां महा-पूर्वामत्र सरस्वतीमनुभजे शुम्भादिदैत्यार्दिनीम् ॥३॥

ॐ भूर्भुव: स्व: दुर्गादेव्यै नम: श्री दुर्गां ध्यायामि । अक्षत-पुष्प दुर्गाजी को अर्पित करें ।

आवाहनम् -अब पुष्प लेकर दुर्गाजी का आवाहन करे व चढ़ावे –

ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम् । चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ॥

आगच्छ वरदे देवि दैत्यदर्पनिषूदिनि । पूजां गृहाण सुमुखि नमस्ते शङ्करप्रिये ॥

ॐ भूर्भुव: स्व: दुर्गादेव्यै नम: आवाहनं समर्पयामि । आवाहनार्थे पुष्पाणि समर्पयामि ।

आसनम्-पुनः अक्षत लेकर माताजी को आसन प्रदान करें-

ॐ तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् । यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम् ॥

अनेकरत्नसंयुक्तं नानामणिगणान्वितम् । कार्तस्वरमयं दिव्यमासनं प्रतिगृह्यताम् ॥

ॐ भूर्भुव: स्व: दुर्गादेव्यै नम: आसनं. समर्पयामि । आसनार्थे अक्षतान् समर्पयामि ।

… [सभी महत्वपूर्ण विधियाँ एवं मंत्र यहां शामिल किए जा सकते हैं] …

यदि समयाभाव हो तो श्रीदुर्गा मानस पूजा या देवीचतुःषष्ट्युपचारपूजास्तोत्रम् अथवा परा मानसिका पूजा के मंत्रों से दुर्गा पूजन विधि Durga pujan vidhi करें।

अब नवरात्रि व्रत कथा , नवदुर्गा स्तोत्र-कवच आदि का पाठ या दुर्गा सप्तशती, बीजात्मक सप्तशती का पाठ करें ।

हवन प्रारम्भ

सर्वप्रथम हवन सामाग्री (जंवा,तिल आदि)एकत्र कर शांकल्य बनावे। अब यजमान हवन पात्र को सामने रखकर उसमें “रं” बीज अंकित कर दें और फिर हवन पात्र में अग्नि डालकर पहले अग्निदेव का स्थापन करें।

आवश्यक मंत्रों का पाठ करें और माता की प्रसन्नता के लिए हवन करें।

आप इस विशेष पूजा विधि की और जानकारियां यहाँ PDF डाउनलोड कर सकते हैं।

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