दुर्गा नवमी पूजा विधि – Durga Navami Pooja Vidhi and Mantra - Summary
नवरात्रि की नवमी पूजा विधि का महत्व सभी भक्तों के लिए अत्यधिक है। दुर्गा नवमी पूजा विधि पर आधारित अद्भुत जानकारी अब आपके लिए उपलब्ध है। इस दिन, मां सिद्धिदात्री की विशेष पूजा की जाती है, जो सभी सिद्धियों की दाता मानी जाती हैं। ऐसी मान्यता है कि मां सिद्धिदात्री की आराधना करने से जीवन में सभी प्रकार का ज्ञान और सुख प्राप्त होता है। नवरात्रि के अंतिम दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व है, जब भक्त कन्याओं को आमंत्रित करके अपना व्रत खोलते हैं।
दुर्गा नवमी पूजा विधि – Durga Navami Pooja Vidhi in Hindi
- सुबह जल्दी स्नान कर लें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें।
- देवी सिद्धिदात्री की प्रतिमा या तस्वीर को एक चौकी पर स्थापित करें।
- उसी स्थान पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह की स्थापना करें। इसके बाद व्रत और पूजन का संकल्प लें तथा वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों से माता महागौरी सहित सभी स्थापित देवताओं की पूजा करें।
- मां सिद्धिदात्री के चार भुजाएं हैं। दाहिनी ओर की पहली भुजा में गदा और दूसरी भुजा में चक्र है। बाँई ओर की भुजाओं में कमल और शंख हैं। इनका आसन कमल का फूल है।
- मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से वैभव और यश की प्राप्ति होती है। इस दिन के लिए 2 से 10 वर्ष की आयु की कन्याओं को आमंत्रित करें।
- उन्हें श्रद्धापूर्वक भोजन कराएं। फिर कुछ दक्षिणा या अन्य वस्तु उन्हें दें।
नवरात्रि महा नवमी पूजा समय:
महा नवमी डेट: 4 अक्टूबर 2022
नवमी तिथि प्रारम्भ: 03 अक्टूबर 2022 को 04:37 PM
नवमी तिथि समाप्त: 04 अक्टूबर 2022 को 02:20 PM
दुर्गा नवमी पूजा मंत्र – Durga Navami Pooja Mantra in Hindi
- सर्वमङ्गलमङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
- शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तुते॥
- ॐ क्लींग ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती ही सा,
- बलादाकृष्य मोहय महामाया प्रयच्छति।
- शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे।
- सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते॥
- सृष्टिस्थितिविनाशानां शक्ति भूते सनातनि।
- गुणाश्रये गुणमये नारायणि नमोऽस्तु ते॥
- शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके।
- घण्टास्वनेन न: पाहि चापज्यानि:स्वनेन च॥
- देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
- रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
- सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते।
- भयेभ्याहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तु ते॥
- जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी।
- दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते॥
मां सिद्धिदात्री की आरती
जय सिद्धिदात्री तू सिद्धि की दाता
तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता,
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि!!
कठिन काम सिद्ध कराती हो तुम
जब भी हाथ सेवक के सर धरती हो तुम,
तेरी पूजा में तो न कोई विधि है
तू जगदम्बे दाती तू सर्वसिद्धि है!!
रविवार को तेरा सुमरिन करे जो
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो,
तुम सब काज उसके कराती हो पूरे
कभी काम उसके रहे न अधूरे!!
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया
रखे जिसके सर पर मैया अपनी छाया,
सर्व सिद्धि दाती वो है भाग्यशाली
जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली!!
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा,
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता
वंदना है सवाली तू जिसकी दाता!!
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