दुर्गा अष्टमी व्रत कथा (Durga Ashtami Vrat Katha & Pooja Vidhi) Hindi

0 People Like This
❴SHARE THIS PDF❵ FacebookX (Twitter)Whatsapp

दुर्गा अष्टमी व्रत कथा (Durga Ashtami Vrat Katha & Pooja Vidhi) in Hindi

दुर्गा अष्टमी भारत में सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है। ऐसे कई लोग हैं जो अष्टमी का व्रत रखते हैं और इस दिन नवरात्रि का व्रत समाप्त करते हैं। आप इस दिन उपवास करके देवी दुर्गा की स्तुति कर सकते हैं और अपने और अपने परिवार के लिए उनका आशीर्वाद मांग सकते हैं। देवी दुर्गा भारत में सबसे अधिक पूजी जाने वाली देवी हैं।

अगर आप भी दुर्गा अष्टमी का व्रत करके मां दुर्गा की कृपा पाना चाहते हैं। इस व्रत को करते समय कुछ बातें याद रखनी चाहिए। आपको अपना व्रत पूरा करने के लिए दुर्गा अष्टमी व्रत कथा का पाठ करना चाहिए।

अष्टमी व्रत कथा – Navratri Ashtami Vrat Katha

पौराणिक कथा के अनुसार मासिक दुर्गा अष्टमी के दिन के लिए मान्यता है कि दुर्गम नाम के क्रूर राक्षस ने अपनी क्रूरता से तीनों लोकों को पर अत्याचार किया हुआ था। उसके आतंक के कारण सभी देवता स्वर्ग छोड़कर कैलाश चले गए थे। दुर्गम राक्षस को वरदान था कि कोई भी देवता उसका वध नहीं कर सकता, सभी देवता ने भगवान शिव से विनती कि वो इस परेशानी का हल निकालें।

इसके बाद ब्रह्मा, विष्णु और शिव ने अपनी शक्तियों को मिलाकर शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन देवी दुर्गा को जन्म दिया। इसके बाद माता दुर्गा को सबसे शक्तिशाली हथियार दिया गया और राक्षस दुर्गम के साथ युद्ध छेड़ दिया गया। जिसमें माता ने राक्षस का वध कर दिया और इसके बाद से दुर्गा अष्टमी की उत्पति हुई। इसलिए दुर्गा अष्टमी के दिन शस्त्र पूजा का भी विधान है।

दुर्गा अष्टमी पूजन की विधि (Durga Ashtami Pooja Vidhanam)

अष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त / Durga Puja Muhurat 2023

इस वर्ष भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 22 सितंबर दोपहर 01 बजकर 35 मिनट से प्रारंभ होगी और 23 सितंबर दोपहर 12 बजकर 17 मिनट पर समाप्त हो जाएगी।

अष्टमी कन्या पूजन शुभ मुहूर्त

नवरात्रि अष्टमी शुभ मुहूर्त: 

अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:00 से 12:46 तक।

विजय मुहूर्त : दोपहर 02:19 से 03:05 तक।

अमृत काल : दोपहर 12:38 से 02:10 तक।

सर्वार्थ सिद्धि योग : सुबह 06:35 से शाम 06:44 तक।

रवि योग : शशम को 06:44 से अगले दिन सुबह 06:35 तक।

मां महागौरी की आरती

जय महागौरी जगत की माया।
जया उमा भवानी जय महामाया।
हरिद्वार कनखल के पासा।
महागौरी तेरा वहां निवासा।
चंद्रकली और ममता अम्बे।
जय शक्ति जय जय मां जगदम्बे।
भीमा देवी विमला माता।
कौशिकी देवी जग विख्याता।
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा।
सती ‘सत’ हवन कुंड में था जलाया।
उसी धुएं ने रूप काली बनाया।।
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया।
तभी मां ने महागौरी नाम पाया।
शरण आनेवाले का संकट मिटाया।
शनिवार को तेरी पूजा जो करता।
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता।
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो।

Durga Ashtami Vrat Katha & Pooja Vidhi

आप नीचे दिए गए लिंक का उपयोग करके Durga Ashtami Vrat Katha & Pooja Vidhi PDF में डाउनलोड कर सकते हैं।

PDF's Related to दुर्गा अष्टमी व्रत कथा (Durga Ashtami Vrat Katha & Pooja Vidhi)

दुर्गा अष्टमी व्रत कथा (Durga Ashtami Vrat Katha & Pooja Vidhi) PDF Download Free

SEE PDF PREVIEW ❏

REPORT THISIf the download link of दुर्गा अष्टमी व्रत कथा (Durga Ashtami Vrat Katha & Pooja Vidhi) PDF is not working or you feel any other problem with it, please REPORT IT on the download page by selecting the appropriate action such as copyright material / promotion content / link is broken etc. If दुर्गा अष्टमी व्रत कथा (Durga Ashtami Vrat Katha & Pooja Vidhi) is a copyright material we will not be providing its PDF or any source for downloading at any cost.

RELATED PDF FILES

Exit mobile version