बृहस्पति स्तोत्र – Brihaspati Stotram Sanskrit

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बृहस्पति स्तोत्र – Brihaspati Stotram Sanskrit

Brihaspati Stotram PDF in Sanskrit के सन्दर्भ में जानकारी प्रदान कर रहे हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार बृहस्पति गृह का स्थान सम्पूर्ण ग्रहमण्डल में सर्वाधिक उच्च स्थान है तथा उन्हें देव गुरु की उपाधि भी दी गयी है। देवगुरु बृहस्पति जातक के जीवन में विभिन्न घटनाओं को नियंत्रित करता है।

बृहस्पति स्तोत्र एक अत्यधिक प्रभावशाली स्तोत्र है। गुरु बृहस्पति स्तोत्र का पाठ करने से जातक के जीवन से विवाह सम्बन्धी समस्याओं का नाश होता है तथा सामाजिक मान – सम्मान में वृद्धि होती है। जातक की कुण्डली में चल रही गुरु की अन्तर्दशा व महादशा के समय श्री गुरु बृहस्पति स्तोत्र के पाठ से अत्यधिक लाभ होता है। यदि आप भी इस दिव्य बृहस्पति स्तोत्र pdf इन हिंदी को प्राप्त करना चाहते हैं, तो इस लेख के अन्त में दिए गए डाउनलोड लिंक पर क्लिक करें।

बृहस्पति स्तोत्र / Brihaspati Stotram in Sanskrit

मित्रों यदि आप श्री बृहस्पति स्तोत्र को मन्त्र पढ़ना चाहते हैं तो यहाँ हमने बृहस्पति स्तोत्र लिरिक्स दिए हुए हैं जिन्हे पढ़ कर आप इस स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं। इसके पाठ के परिणाम आप शीघ्र ही अनुभव करने लगेंगे। विद्द्वानो के अनुसार इस स्तोत्र के प्रभाव से विवाह में उत्पन्न होने वाले व्यवधान भी दूर होते हैं।

।। बृहस्पतिस्तोत्रम् ।।

श्री गणेशाय नमः ।

अस्य श्रीबृहस्पतिस्तोत्रस्य गृत्समद ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः,

बृहस्पतिर्देवता, बृहस्पतिप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः ।

गुरुर्बृहस्पतिर्जीवः सुराचार्यो विदांवरः ।

वागीशो धिषणो दीर्घश्मश्रुः पीताम्बरो युवा ॥ १॥

सुधादृष्टिर्ग्रहाधीशो ग्रहपीडापहारकः ।

दयाकरः सौम्यमूर्तिः सुरार्च्यः कुङ्मलद्युतिः ॥ २॥

लोकपूज्यो लोकगुरुर्नीतिज्ञो नीतिकारकः ।

तारापतिश्चाङ्गिरसो वेदवैद्यपितामहः ॥ ३॥

भक्त्या बृहस्पतिं स्मृत्वा नामान्येतानि यः पठेत् ।

अरोगी बलवान् श्रीमान् पुत्रवान् स भवेन्नरः ॥ ४॥

जीवेद्वर्षशतं मर्त्यो पापं नश्यति नश्यति ।

यः पूजयेद्गुरुदिने पीतगन्धाक्षताम्बरैः ॥ ५॥

पुष्पदीपोपहारैश्च पूजयित्वा बृहस्पतिम् ।

ब्राह्मणान्भोजयित्वा च पीडाशान्तिर्भवेद्गुरोः ॥ ६॥

॥ इति श्रीस्कन्दपुराणे बृहस्पतिस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

बृहस्पति स्तोत्र अत्यन्त प्रभावशाली है अतः इसका पाठ विधिपूर्वक करना चाहिए। आईये जानते हैं क्या है इस दिव्य स्तोत्र के पाठ करने की समुचित विधि। आप भी इस विधि के अनुसार पाठ कर इसका लाभ उठायें।

बृहस्पति स्तोत्र पाठ की विधि

  • सर्प्रथम गुरुवार के दिन प्रातः स्नान आदि कर पीले वस्त्र धारण करें।
  • अब एक लकड़ी की चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर उस पर श्री गुर बृहस्पति देव का छायाचित्र अथवा मूर्ति स्थापित करें।
  • तत्पश्चात केले का वृक्ष अथवा पत्ते से बृहस्पति देव के लिए क्षत्र निर्मित कीजिये।
  • अब गुरुदेव को धुप, दीप, नैवेद्य तथा पीले पुष्प व केले का भोग अर्पित करें।
  • तदोपरान्त पूर्ण भक्तिभाव से शुद्ध उच्चारण बृहस्पति स्तोत्र का पाठ करें।
  • पाठ संपन्न होने पर आरती करें।
  • आरती के पश्चात देव गुरु बृहस्पति से आशीर्वाद ग्रहण करें।

बृहस्पति स्तोत्र पाठ के लाभ

बृहस्पति स्तोत्र के पाठ से होने वाले लाभों को मात्र एक लेख में सन्निहित करना सम्भव नहीं किन्तु फिर भी यहाँ हम आपको इस स्तोत्र के प्रभाव से होने वाले लाभों के बारे में बता रहे हैं ताकि आप भी इस स्तोत्र का पाठ कर पुण्यलाभ अर्जित कर सकते हैं।

  • बृहस्पति स्तोत्र के पाठ से अविवाहित जातकों के जीवन में आने वाली बाधाएं दूर जाती हैं।
  • इसके प्रभाव से कुण्डली में चल रही गुरु की महदशा व अन्तर्दशा में लाभ होता है।
  • बृहस्पति देव की उपासना से सामाजिक मान – सम्मान व प्रतिष्ठा में वृद्धि होती।
  • बृहस्पति स्तोत्रम का पाठ करने वाले जातक के व्यक्तित्व में दिव्य ऊर्जा का संचार होता है।
  • यदि आप अपने जीवन में समस्त प्रकार के भौतिक सुखों को प्राप्त करना चाहते हैं तो इसका पाठ अवश्य करें।
  • श्री गुरु बृहस्पति देव की उपासना से श्री हरी विष्णु भगवान् की कृपा भी प्राप्त होती है।

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