Ya Devi Sarva Bhuteshu (या देवी सर्वभूतेषु मंत्र) - Summary
Ya Devi Sarva Bhuteshu PDF यह मंत्र माँ दुर्गा का प्रमुख मंत्र है, जिसे रोजाना पढ़ने से आपकी दरिद्रता, दुःख और घर के कलेश दूर हो जाते हैं। इस प्रक्रिया से घर में खुशियाँ ही खुशियाँ आने लगती हैं। माता देवी लक्ष्मी, सरस्वती, काली और नौदेवी सभी माता दुर्गा का ही रूप हैं। माता के प्यारे भक्त इस मंत्र के द्वारा माता के सभी रूपों की पूजा और स्तुति करते हैं।
इस मंत्र के माध्यम से माता की स्तुति करके उन्हें प्रसन्न किया जा सकता है, जिससे व्यक्ति उनका आशीर्वाद पा सकता है। इस आशीर्वाद से एक सफल और समृद्ध जीवन जीने की संभावना बढ़ जाती है। यदि आप इस मंत्र का नियमित पाठ करते हैं, तो आप अपनी सभी इच्छाओं को पूरा कर सकते हैं।
मंत्र का महत्व
इस मंत्र का उच्चारण करने से न केवल व्यक्ति के संकट दूर होते हैं बल्कि उनके जीवन में सकारात्मक्ता भी आती है। इस मंत्र का प्रभाव इतना शक्तिशाली है कि यह मानसिक शांति और संतोष भी लाता है।
Ya Devi Sarva Bhuteshu (या देवी सर्वभूतेषु मंत्र)
या देवी सर्व भूतेषु विष्णुमायेति शब्दिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||१||
या देवी सर्व भूतेषु चेतनेत्य भिधीयते |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||२||
या देवी सर्व भूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||३||
या देवी सर्व भूतेषु निद्रारूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||४||
या देवी सर्व भूतेषु क्षुद्धारूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||५||
या देवी सर्व भूतेषु छायारूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||६||
या देवी सर्व भूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||७||
या देवी सर्व भूतेषु तृष्णारूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||८||
या देवी सर्व भूतेषु क्षान्तिरूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||९||
या देवी सर्व भूतेषु जातिरूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||१०||
या देवी सर्व भूतेषु लज्जारूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||११||
या देवी सर्व भूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||१२||
या देवी सर्व भूतेषु श्रद्धारूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||१३||
या देवी सर्व भूतेषु कांतिरूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||१४||
या देवी सर्व भूतेṣु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||१५||
या देवी सर्व भूतेषु वृतत्तिरूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||१६||
या देवी सर्व स्मृतिभूतेषु रूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||१७||
या देवी सर्व भूतेषु दयारूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||१८||
या देवी सर्व भूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||१९||
या देवी सर्व भूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||२०||
या देवी सर्व भूतेषु मातृरूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||२१||
या देवी सर्व भूतेषु भ्रान्तिरूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||२२||
या देवी सर्व भूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||२३||
इन्द्रियाणा मधिष्ठात्री भूतानाम् चाखिलेषु |
या भूतेषु सततम् तस्यै व्याप्तिदेव्यो नमो नमः ||२४||
चितिरूपेण या कृत्सनम एतत व्याप्य स्थितः जगत |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||२५||