अच्युतम केशवम कृष्ण दामोदरम - Summary
अच्युतं केशवं कृष्ण दामोदरं” एक प्रसिद्ध संस्कृत श्लोक है जो श्रीकृष्ण के विभिन्न नामों का स्तुति करता है। यह श्लोक भगवद गीता और भगवत पुराण में भी उपस्थित है। इस श्लोक का उद्देश्य भगवान कृष्ण के विशेष गुणों और महत्व की महिमा को गान करना है और उनके पूजन में भक्तों को उनकी आराधना करने के लिए प्रोत्साहित करना है। यह श्लोक हिन्दू धर्म के भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है और उनके पूजा-अर्चना का हिस्सा बनता है।
रामचरितमानस, अखंड रामायण आदि में गया जाना वाला प्रमुख भजन है। इन पंक्तियों में भगवान् श्री कृष्ण जो विष्णु जी के अवतार हैं उनको उनकी लीलाओं के आधार पर विभिन्न नामों से पुकारा गया है। श्री कृष्ण को ही अच्युत कहा गया है जो अपने स्थान पर अटल है, च्युत नहीं हुआ है। केशव, कृष्ण राम नारायण का अर्थ भगवान् श्री विष्णु जी हैं क्योंकि कृष्ण और राम उन्ही के अवतार हैं।
अच्युतम केशवम कृष्ण दामोदरम भजन
अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी बल्लभम।
कौन कहता हे भगवान आते नहीं,
तुम मीरा के जैसे बुलाते नहीं।
कौन कहता है भगवान खाते नहीं,
बेर शबरी के जैसे खिलाते नहीं।
कौन कहता है भगवान सोते नहीं,
माँ यशोदा के जैसे सुलाते नहीं।
कौन कहता है भगवान नाचते नहीं,
गोपियों की तरह तुम नचाते नहीं।
नाम जपते चलो काम करते चलो,
हर समय कृष्ण का ध्यान करते चलो।
याद आएगी उनको कभी ना कभी,
कृष्ण दर्शन तो देंगे कभी ना कभी।
अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी बल्लभम।
राम नारायणं जानकी बल्लभम।
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