Bajrang Baan Gita Press (बजरंग बाण गीत प्रेस) Hindi PDF

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Bajrang Baan Gita Press (बजरंग बाण गीत प्रेस) - Summary

बजरंग बाण पाठ (Bajrang Baan) से मन को शांति और समस्याओं से मुक्ति मिलती है। इसे खासकर मंगलवार के दिन शुरू किया जाना चाहिए। अगर आप किसी मनोकामना की पूर्ति के लिए बजरंग बाण का पाठ कर रहे हैं, तो ध्यान रखें कि इसे कम से कम 41 दिनों तक करना चाहिए। इस पाठ के दौरान लाल रंग के कपड़े पहनना महत्वपूर्ण है और ब्रह्मचर्य का पालन करना भी आवश्यक है। हनुमान जी को संकटमोचन कहा जाता है। कहते हैं कि जब विपत्ति बहुत बढ़ जाती है, तब हनुमान जी की पूजा और बजरंग बाण का पाठ करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। बजरंग बाण को बहुत प्रभावशाली माना गया है।

Bajrang Baan Gita Press (बजरंग बाण गीत प्रेस गोरखपुर)

दोहा 

निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥

चौपाई 

जय हनुमंत संत हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥
जन के काज बिलंब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै॥
जैसे कूदि सिंधु महिपारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा॥
आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुरलोका॥
जाय बिभीषन को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा॥
बाग उजारि सिंधु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा॥
अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा॥
लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर नभ भई॥
अब बिलंब केहि कारन स्वामी। कृपा करहु उर अंतरयामी॥
जय जय लखन प्रान के दाता। आतुर ह्वै दुख करहु निपाता॥
जै हनुमान जयति बल-सागर। सुर-समूह-समरथ भट-नागर॥
ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहि मारु बज्र की कीले॥
ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर सीसा॥
जय अंजनि कुमार बलवंता। शंकरसुवन बीर हनुमंता॥
बदन कराल काल-कुल-घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक॥
भूत, प्रेत, पिसाच निसाचर। अगिन बेताल काल मारी मर॥
इन्हें मारु, तोहि सपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की॥
सत्य होहु हरि सपथ पाइ कै। राम दूत धरु मारु धाइ कै॥
जय जय जय हनुमंत अगाधा। दुख पावत जन केहि अपराधा॥
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत कछु दास तुम्हारा॥
बन उपबन मग गिरि गृह माहीं। तुम्हरे बल हौं डरपत नाहीं॥
जनकसुता हरि दास कहावौ। ताकी सपथ बिलंब न लावौ॥
जै जै जै धुनि होत अकासा। सुमिरत होय दुसह दुख नासा॥
चरन पकरि, कर जोरि मनावौं। यहि औसर अब केहि गोहरावौं॥
उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई। पायँ परौं, कर जोरि मनाई॥
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता। ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता॥
ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल। ॐ सं सं सहमि पराने खल-दल॥
अपने जन को तुरत उबारौ। सुमिरत होय आनंद हमारौ॥
यह बजरंग-बाण जेहि मारै। ताहि कहौ फिरि कवन उबारै॥
पाठ करै बजरंग-बाण की। हनुमत रक्षा करै प्रान की॥
यह बजरंग बाण जो जापैं। तासों भूत-प्रेत सब कापैं॥
धूप देय जो जपै हमेसा। ताके तन नहिं रहै कलेसा॥

दोहा 

उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै, पाठ करै धरि ध्यान।
बाधा सब हर, करैं सब काम सफल हनुमान॥

बजरंग बाण पाठ की विधि

  1. बजरंग बाण पाठ हमेशा मंगलवार से ही आरंभ करना चाहिए।
  2. पाठ करने के लिए मंगलवार के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  3. जिस स्थान पर भी आप पूजा करना चाहते हैं उस स्थान को अच्छे से साफ करें और भगवान हनुमान जी की मूर्ति स्थापित करें।
  4. जैसा कि हम सभी जानते हैं भगवान गणेश सभी देवों में प्रथम पूजनीय हैं। इसलिए सर्वप्रथम गणेश जी की आराधना करें और फिर बजरंग बाण का पाठ आरंभ करें।
  5. इसके बाद भगवान राम और माता सीता का ध्यान करें और हनुमान जी को प्रणाम करके बजरंग बाण के पाठ का संकल्प लें।
  6. हनुमान जी को फूल अर्पित करें और उनके समक्ष धूप, दीप जलाएं।
  7. कुश से बना आसन बिछाएं और उसपर बैठकर बजरंग बाण का पाठ आरंभ करें।
  8. बजरंग बाण पाठ पूर्ण होने के बाद भगवान श्री राम का स्मरण और कीर्तन करें।
  9. हनुमान जी को प्रसाद के रूप में चूरमा, लड्डू और अन्य मौसमी फल आदि अर्पित करें।

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