वैदिक गणित के 17 सूत्र - Summary
वैदिक गणित, जगद्गुरू स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ द्वारा सन 1965 में विरचित एक पुस्तक है जिसमें अंकगणितीय गणना की वैकल्पिक एवं संक्षिप्त विधियाँ दी गयीं हैं। इसमें १६ मूल सूत्र ,तथा 13 उपसूत्र दिये गये हैं। गोवर्धन पीठ, पूरी के 143 वें शंकराचार्य जगत गुरु स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ जी महाराज द्वारा रचित वैदिक गणित के 16 सूत्रों तथा 13 उप सूत्रों में प्रथम सूत्र “एकाधिकेन पूर्वेण” है, संस्कृत भाषा के इस सूत्र हिंदी में अर्थ होता है “पहले से एक अधिक के द्वारा ” (One more than the existing one) जिसका प्रयोग गणित के विभिन्न संक्रियाओं में किया जाता है।
सर्वप्रथम भारतीय संख्या पद्धति इसी क्रम में बढ़ती है, 1 से एक अधिक करने पर 2, 2 से एक अधिक करने पर 3 इत्यादि। इस सूत्र इस प्रकार ज्ञान देकर छात्र-छात्राओं को जोड़ना भी सिखाया जा सकता है, इस सूत्र के प्रयोग द्वारा विशेष परिस्थितियों में गुणा किया जा सकता है जब किसी दो संख्याओं के इकाई-अंकों का योग दस हो तथा दहाई या शेष अंक समान हो।
वैदिक गणित के 17 सूत्र – Vaidik Ganit Ke 17 Sutra in Hindi
कर्मांक | सूत्र |
1. | एकाधिकेन पूर्वेण |
2. | निखिलं नवतश्चरमं दशतः |
3. | ऊर्ध्वतिर्यग्भ्याम् |
4. | परावर्त्य योजयेत् |
5. | शून्यं साम्यसमुच्चये |
6. | (आनुरूप्ये) शून्यमन्यत् |
7. | संकलनव्यवकलनाभ्याम् |
8. | पूरणापूरणाभ्याम् |
9. | चलनकलनाभ्याम् |
10. | यावदूनम् |
11. | व्यष्टिसमष्टिः |
12. | शेषाण्यंकेन चरमेण |
13. | सोपान्त्यद्वयमन्त्च्यम् |
14. | एकन्यूनेन पूर्वेण |
15. | गुणितसमुच्चयः |
16. | गुणकसमुच्चयः |
वैदिक गणित के उपसूत्र
कर्मांक | उपसूत्र |
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1. | आनुरूप्येण |
2. | शिष्यते शेषसंज्ञः |
3. | आधमाधेनान्त्यमन्त्येन |
4. | केवलैः सप्तकं गुण्यात् |
5. | वेष्टनम् |
6. | यावदूनं तावदूनं |
7. | यावदूनं तावदूनीकृत्य वर्गं च योजयेत् |
8. | अन्त्ययोर्द्दशकेऽपि |
9. | अन्त्ययोरेव |
10. | समुच्चयगुणितः |
11. | लोपनस्थापनाभ्यां |
12. | विलोकनं |
13. | गुणितसमुच्चयः समुच्चयगुणितः |
14. | ध्वजांक |
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