दुर्गा नवमी पूजा विधि – Durga Navami Pooja Vidhi and Mantra Hindi
नवरात्रि की नवमी तिथि को यानी नवरात्रि आखिरी दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है। मां सिद्धिदात्री को सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो कोई भी व्यक्ति मां सिद्धिदात्री की पूजा करता है उसे जीवन में हर प्रकार का ज्ञान प्राप्त होता है। कई लोग नवरात्रि के आखिरी दिन कन्या पूजन करके अपना व्रत खोलते हैं।
देवी भागवत पुराण में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व बताया गया है। नवरात्रि में भक्तगण माता के 9 स्वरूपों की पूजा- अर्चना करते हैं। शारदीय नवरात्रि के अंतिम दिन यानी नवमी तिथि को महानवमी कहा जाता है। इस दिन रवि योग भी बन रहा है। आपको बता देंं कि लोग नवरात्रि में 9 दिनों का व्रत करते हैं और अंतिम दिन कन्या पूजन के साथ व्रत खोलते हैं।
- इस दिन सुबह जल्दी स्नान कर लें और साफ सुथरे कपड़े पहन लें।
- इसके बाद देवी सिद्धिदात्री की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित एक चौकी पर स्थापित करें।
- उसी स्थान पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, की स्थापना भी करें। इसके बाद व्रत, पूजन का संकल्प लें और वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा माता महागौरी सहित समस्त स्थापित देवताओं की पूजा करें।
- मां सिद्धिदात्री की चार भुजाएं हैं। इनकी दाहिनी ओर की पहली भुजा में गदा और दूसरी भुजा में चक्र है। बांई ओर की भुजाओं में कमल और शंख है। इनका आसन कमल का फूल है।
- मां सिद्धदात्री की पूजा- अर्चना से वैभव और यश की प्राप्ति होती है। वहीं इस दिन कन्या पूजन के लिए 2 से 10 वर्ष की आयु की कन्याओं को आमंत्रित करें।
- उन्हें श्रद्धापूर्वक भोजन कराएं। फिर कुछ दक्षिणा या कोई अन्य वस्तु उनको दें।
महा नवमी डेट- 4 अक्टूबर 2022
नवमी तिथि प्रारम्भ – 03 अक्टूबर 2022 को 04:37 PM बजे
नवमी तिथि समाप्त – 04 अक्टूबर 2022 को 02:20 PM बजे
- सर्वमङ्गलमङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
- शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तुते॥
- ॐ क्लींग ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती ही सा,
- बलादाकृष्य मोहय महामाया प्रयच्छति
- शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे।
- सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते॥
- सृष्टिस्थितिविनाशानां शक्ति भूते सनातनि।
- गुणाश्रये गुणमये नारायणि नमोऽस्तु ते॥
- शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके।
- घण्टास्वनेन न: पाहि चापज्यानि:स्वनेन च॥
- देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
- रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
- सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते।
- भयेभ्याहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तु ते॥
- जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी।
- दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते॥
मां सिद्धिदात्री की आरती
जय सिद्धिदात्री तू सिद्धि की दाता
तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता,
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि!!
कठिन काम सिद्ध कराती हो तुम
जब भी हाथ सेवक के सर धरती हो तुम,
तेरी पूजा में तो न कोई विधि है
तू जगदम्बे दाती तू सर्वसिद्धि है!!
रविवार को तेरा सुमरिन करे जो
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो,
तुम सब काज उसके कराती हो पूरे
कभी काम उसके रहे न अधूरे!!
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया
रखे जिसके सर पर मैया अपनी छाया,
सर्व सिद्धि दाती वो है भाग्यशाली
जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली!!
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा,
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता
वंदना है सवाली तू जिसकी दाता!!
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