ॐ जय शिव ओमकारा आरती (Om Jai Shiv Omkara Lyrics) - Summary
ॐ जय शिव ओमकारा आरती लिरिक्स हिंदी PDF में डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए लिंक का उपयोग कर सकते हैं। इस अनुक्रम में, हम भगवान शिव की आरती के महत्व और इसके विशेष अर्थ के बारे में जानेंगे। शिव जी की आरती हिन्दू धर्म में मृत्यु के देवता शिव पूजा के लिए प्रयुक्त गान है। इसकी रचना पंडित श्रद्धाराम फिल्लौरी ने की थी। जटाओं में गंगा, मस्तक पर चंदा, त्रिनेत्रधारी, जिनके गले में सर्पों की माला, शरीर पर भस्म श्रृंगार और व्याघ्र चर्म पहने हुए, ऐसे भगवान भोलेनाथ का नित्य ध्यान करना आवश्यक है। उनकी आरती व पूजन इस सृष्टि के समस्त मनुष्यों को करनी चाहिए।
भगवान शिव की आरती का महत्व
भगवान शिव की आरती का बहुत ही महत्व होता है। माना जाता है कि भगवान शिव की आरती करने वाले व्यक्ति की सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं और मन तथा घर में सुख, शांति और समृद्धि का वातावरण बना रहता है। इस आरती से हम भगवान शिव के प्रति अपनी भक्ति और श्रद्धा व्यक्त करते हैं।
ॐ जय शिव ओमकारा आरती (Om Jai Shiv Omkara Aarti Lyrics Hindi)
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्य ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥
त्रिगुण शिवजी की आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव…॥