नित्य कर्म पूजा प्रकाश – Nitya Karma Puja Prakash - Summary
इस पुस्तक में व्यक्तिके लौकिक और पारलौकिक उत्थान के लिए तथा नित्य-नैमित्तिक काम्य कर्मों के सम्पादन के लिए शास्त्रीय प्रक्रिया प्रस्तुत की गयी है। यह पुस्तक नित्य कर्म पूजा प्रकाश (Nitya Karma Puja Prakash) के माध्यम से पाठकों को सही मार्गदर्शन देती है।
नित्य कर्म पूजा की महत्ता
प्रातःकालीन भगवत्स्मरण से लेकर स्नान, ध्यान, संध्या, जप, तर्पण, बलिवैश्वदेव, देव-पूजन, देव-स्तुति, विशिष्ट-पूजन-पद्धति, पञ्चदेव-पूजन, पार्थिव-पूजन, शालग्राम-महालक्ष्मी-पूजन की विधि तथा अन्त में नित्य स्मरणीय स्तोत्रों का संग्रह होने से यह पुस्तक सबके लिए उपयोगी तथा संग्रहणीय है। 🌼
नित्य कर्म पूजा प्रकाश
नित्य कर्म उन कर्मों (या अनुष्ठानों) को संदर्भित करता है जिन्हें हिंदुओं द्वारा प्रतिदिन किया जाना चाहिए। हिंदू शास्त्रों के अनुसार नित्य कर्म न करने से पाप होता है। नित्य कर्मों में शामिल हैं:
- स्नान (Snaan)
- सांध्यवंदना (Sandhya Vandana)
- देवतार्चनम् (Devataarchanam)
- औपसनम (Aupasanam)
- अग्निहोत्रम (Agnihotram)
नित्य कर्म का अर्थ दैनिक कर्तव्य नहीं है। इसमें कोई भी नियमित या आवधिक अनुसूचित गतिविधियां या कर्तव्य शामिल हैं, जैसे: अमावस्या तर्पणम्, ग्रहण तर्पणम्, पितृ देवसम।
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