Swar Vigyan Book - Summary
स्वर विज्ञान (Swar Vigyan) एक अद्भुत विज्ञान है, जिसके साधारण ज्ञान से हम अपनी कई दैनिक समस्याओं से बच सकते हैं। अगर हम इसका नियमित अभ्यास करें, तो हम योगियों के स्तर तक पहुँच सकते हैं। हम जो श्वास लेते और छोड़ते हैं, वह एक सामान्य क्रिया हो सकती है, लेकिन इसके प्रति सचेत रहना बहुत जरूरी है। श्वास, हृदय की धड़कन की तरह, निरंतर चलने वाली एक प्रक्रिया है। श्वास के साथ हम प्राणवायु को अपने शरीर में लेते हैं, जो हमें जीवन शक्ति देती है।
श्वास का वैज्ञानिक दृष्टिकोण
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, श्वास के साथ आने वाली ऑक्सीजन हमारे फेफड़ों तक जाती है। वहाँ, रक्त कोशिकाएं उस ऑक्सीजन को लेकर हमारे विभिन्न अंगों तक पहुंचाती हैं। लेकिन श्वास का काम यहीं खत्म नहीं होता। इसके बारे में विस्तार से समझने के लिए ही ऋषि-मुनियों ने स्वर विज्ञान पर लिखा है।
योग में, श्वास को एक अलग तरीके से प्राण कहा गया है। श्वास लेने की विधि व्यक्ति के स्वस्थ और बीमार रहने का राज छिपा है। सही समय पर सही मात्रा में श्वास लेने वाला व्यक्ति, बीमारियों से बचा रहता है।
स्वर विज्ञान (Swar Vigyan) के परिणाम
अगर सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार को वाम स्वर यानी बाई नासिका से स्वर बह रहा हो, तो यह सबसे उत्तम होता है। इसी तरह अगर मंगलवार, शनिवार और रविवार को दक्षिण स्वर यानी दाई नासिका से स्वर चल रहा हो, तो इसे भी श्रेष्ट माना जाता है। यदि इन स्थितियों के अनुसार अभ्यास नहीं किया जाता या स्वर प्रतिकूल हो, तो इसके कुछ परिणाम इस प्रकार हो सकते हैं:
- रविवार को शरीर में वेदना महसूस होगी
- सोमवार को कलह का वातावरण मिलेगा
- मंगलवार को मृत्यु और दूर देशों की यात्रा होगी
- बुधवार को राज्य से आपत्ति होगी
- गुरुवार और शुक्रवार को प्रत्येक कार्य की असिद्धि होगी
- शनिवार को बल और खेती का नाश होगा
इस प्रकार, अगर स्वर सही तरीके से नहीं किया गया, तो इसके ये परिणाम हो सकते हैं।
स्वर का तत्वों में वर्गीकरण
स्वर को विभिन्न तत्वों के आधार पर भी बांटा गया है, जैसे हर स्वर का एक तत्व होता है। यह इड़ा या पिंगला (बाई या दाई नासिका) से निकलने वाली वायु के प्रभाव से नापा जाता है:
- श्वास का दैर्ध्य 16 अंगुल हो तो पृथ्वी तत्व
- श्वास का दैर्ध्य 12 अंगुल हो तो जल तत्व
- श्वास का दैर्ध्य 8 अंगुल हो तो अग्नि तत्व
- श्वास का दैर्ध्य 6 अंगुल हो तो वायु तत्व
- श्वास का दैर्थ्य 3 अंगुल हो तो आकाश तत्व होता है।
स्वरों पर अधिक जानकारी, जैसे कि स्वर का अभ्यास कैसे करें और किस समय करना चाहिए, के लिए आप इसे PDF में डाउनलोड कर सकते हैं। Download Swar Vigyan ke chamatkar, tatva, tips, Hindi Book in pdf format or read online for free using link provided below.