सुगम श्राद्ध पद्धति | Sugam Shraddha Paddhati Hindi
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श्राद्ध के दिनों में श्रद्धालु अपने पूर्वजनों की श्राद्ध वाली तिथि के दिन सबसे पहले अपने पिता को पिंडदान करना चाहिए। इसके बाद दादा को और फिर परदादा को पिंड देना चाहिए। इस दौरान गायत्री मंत्र के जाप के साथ सोमाय पितृमते स्वाहा का उच्चारण करना भी लाभकारी होता है।
पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनके तर्पण के निमित्त श्राद्ध किया जाता है। यहां श्राद्ध का अर्थ श्रद्धा पूर्वक अपने पितरों के प्रति सम्मान प्रकट करने से है। श्राद्ध पक्ष में अपने पूर्वजों को एक विशेष समय में 15 दिनों की अवधि तक सम्मान दिया जाता है।
सुगम श्राद्ध पद्धति पीडीएफ़ | Sugam Shraddha Paddhati
- श्राद्ध में तिल, चावल, जौ आदि को अधिक महत्व दिया जाता है. साथ ही पुराणों में इस बात का भी जिक्र है कि श्राद्ध का अधिकार केवल योग्य ब्राह्मणों को है।
- श्राद्ध में तिल और कुश का सर्वाधिक महत्व होता है. श्राद्ध में पितरों को अर्पित किए जाने वाले भोज्य पदार्थ को पिंडी रूप में अर्पित करना चाहिए।
- श्राद्ध का अधिकार पुत्र, भाई, पौत्र, प्रपौत्र समेत महिलाओं को भी होता है।
- कौए को पितरों का रूप माना जाता है। मान्यता है कि श्राद्ध ग्रहण करने के लिए हमारे पितर कौए का रूप धारण कर नियत तिथि पर दोपहर के समय हमारे घर आते हैं।
श्राद्ध में 5 मुख्य कर्म अवश्य करने चाहिए-
- तर्पण- दूध, तिल, कुशा, पुष्प, सुगंधित जल पित्तरों को नित्य अर्पित करें।
- पिंडदान- चावल या जौ के पिंडदान करके जरूरतमंदों को भोजन दें।
- वस्त्रदानः निर्धनों को वस्त्र दें।
- दक्षिणाः भोजन करवाने के बाद दक्षिणा दें और चरण स्पर्श भी जरूर करें।
- पूर्वजों के नाम पर शिक्षा दान, रक्त दान, भोजन दान, वृक्षारोपण या चिकित्सा संबंधी दान जैसे सामाजिक कृत्य अवश्य करने चाहिए।
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