Shiv Puran (शिव पुराण) PDF

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Shiv Puran (शिव पुराण) - Summary

शिव पुराण सभी पुराणों में सबसे अधिक महत्व रखने वाला और व्यापक रूप से पढ़ा जाने वाला ग्रंथ है। इसमें भगवान शिव के विभिन्न स्वरूपों, अवतारों, ज्योतिर्लिंगों, उनके परम भक्तों और भक्ति भाव का अत्यंत सुंदर एवं विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है। इस पुराण में शिव के कल्याणकारी स्वरूप का गूढ़ तात्त्विक विश्लेषण, उनकी महिमा, रहस्य और उपासना की विधियों का भी विस्तृत विवरण मिलता है।

शिव पुराण में भगवान शिव की अद्भुत लीलाओं की कथाएँ वर्णित हैं, साथ ही इसमें उनके पूजन और व्रत से जुड़ी विधियाँ और नियम भी समझाए गए हैं। इस ग्रंथ में ऐसे रहस्यों का भी उल्लेख है, जिनके माध्यम से शिवजी को शीघ्र प्रसन्न किया जा सकता है और जीवन की परेशानियों, दरिद्रता व संकटों से मुक्ति पाई जा सकती है।

शिव पुराण की कथा को सुनने और सुनाने से पहले शिवभक्तों को कथा वाचक — यानी कथा सुनाने वाले ब्राह्मण या आचार्य — से विधिपूर्वक दीक्षा लेनी चाहिए। यह ग्रंथ शिवभक्तों के लिए अत्यंत श्रद्धा और आस्था का विषय है। शिव पुराण का पाठ विशेष रूप से सोमवार के दिन करना शुभ माना जाता है, क्योंकि यह दिन भगवान शिव को समर्पित होता है।

संपूर्ण शिव पुराण

शिव पुराण’ (Shiv Purana Hindi) का सम्बन्ध शैव मत से है। इस पुराण में 6 खण्ड और 24000 श्लोक है। इस पुराण में भगवान शिव के विविध रूपों, अवतारों, ज्योतिर्लिंगों, भक्तों और भक्ति का व्यापक वर्णन कहा गया है। शिव पुराण में देवो के देव महादेव का कल्याणकारी स्वरूप का यथार्थ विवेचन, रहस्य, महिमा और उपासना का सविस्तार वर्णन कहा गया है।

शिव पुराण (Shiv Purana Hindi) में भगवान शिव की महिमा और भक्ति के अतिरिक्त पूजा-पद्धति, अनेक ज्ञानप्रद आख्यान और शिक्षाप्रद कथाओं का सुन्दर वर्णन और भगवान शिव के भव्यतम व्यक्तित्व का गुणगान किया गया है। भगवान शिव जो स्वयंभू हैं, शाश्वत हैं, सर्वोच्च सत्ता है, विश्व चेतना हैं और ब्रह्माण्डीय अस्तित्व के आधार हैं।

लगभग सभी पुराणों में भगवान शिव को त्याग, तपस्या, वात्सल्य तथा करुणा की मूर्ति बताया गया है। भगवान शिव सहज रूप से ही प्रसन्न हो जाते है,और मनोवांछित फल देने वाले हैं। परंतु शिव पुराण में भगवान शिव का जीवन चरित्र, उनके रहन-सहन, विवाह और उनके पुत्रों की उत्पत्ति के बारे में विशेष वर्णन किया गया है। इस पुराण में 6 खण्ड हे, जो निम्नलिखित है।

  1. विद्येश्वर संहिता
  2. रुद्र संहिता
  3. कोटिरुद्र संहिता
  4. कैलास संहिता
  5. वायु संहिता
  6. उमा संहिता

शिव पुराण में 12 ज्योतिर्लिंग:-

शिव पुराण के कोटिरुद्र संहिता में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग का विस्तृत वर्णन किया गया है। यह अति प्राचीन 12 ज्योतिर्लिंग रूपी शिवलिंग में साक्षात भगवान शिव का वास है। सनातन धर्म में 12 ज्योतिर्लिंग के पूजन का विशेष महत्व रहा है। इन 12 ज्योतिर्लिंग के नाम निम्नलिखित है।

  1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग : गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र स्थित यह ज्योतिर्लिंग सबसे प्राचीन और पृथ्वी का प्रथम ज्योतिर्लिंग माना जाता है। शिव पुराण के अनुसार सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना स्वयं चंद्रदेव द्वारा की गई है।
  2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग : यह ज्योतिर्लिंग भारत के आन्ध्र प्रदेश राज्य में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल नाम के पर्वत पर बिराजमान है।
  3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग: यह ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन नगरी में स्थित है। यह एकमात्र ज्योतिर्लिंग दक्षिणमुखी है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की भस्मारती विश्व भर में प्रसिद्ध है।
  4. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग : ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश में इंदौर के पास मालवा क्षेत्र में स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग के चारों और पहाड़ और नदी बहने से यहां ॐ का आकार बनता है।
  5. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग : यह ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिल्ले में हिमालय की केदार नामक चोटी पर स्थित है।
  6. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग : यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पूणे के पास सह्याद्रि नामक पर्वत पर स्थित है।
  7. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग : यह ज्योतिर्लिंग उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग को विश्वेश्वर के नाम से भी जाना जाता है।
  8. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग : यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले में स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग के निकट ब्रह्मागिरि नाम क पर्वत है। ब्रह्मागिरि पर्वत से गोदावरी नदी उद्गम स्थान है।
  9. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग: यह ज्योतिर्लिंग झारखण्ड राज्य के संथाल परगना के पास स्थित है।भगवान शिव के इस वैद्यनाथ धाम को चिताभूमि कहा गया है।
  10. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग : यह ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्वारिका क्षेत्र में स्थित है।
  11. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग : यह ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामेश्वरम में स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग स्वयं भगवान श्रीराम ने अपने हाथों से बनाया था।
  12. घृष्णेश्वर मन्दिर ज्योतिर्लिंग : यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के दौलताबाद के पास स्थित है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है।

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