Sarkari Chai Ke Liye Book - Summary
सरकारी चाय के लिए प्रेम शंकर चरड़ाना का पहला उपन्यास है — जो उन युवाओं की दुनिया में झांकता है जो सरकारी नौकरी की तैयारी में अपने घरों से दूर शहरों में संघर्ष कर रहे हैं। यह कहानी सिर्फ परीक्षा पास करने की नहीं, बल्कि उस पूरे जीवन की है जिसमें किराए के कमरे होते हैं, कटती हुई तन्हा शामें होती हैं, टपकती छतों के नीचे रखे सपने होते हैं, और चाय के कप के साथ बनने वाले रिश्ते होते हैं। लेखक ने बहुत सादगी से उस सच्चाई को लिखा है जो हर प्रतियोगी छात्र के जीवन का हिस्सा बन जाती है — कोचिंग की भागदौड़, बार-बार की असफलताएं, उम्मीदों का बोझ, और फिर भी हिम्मत न हारने वाला जज़्बा।
प्रेम शंकर चरड़ाना राजस्थान के बूंदी जिले के निवासी हैं। उन्होंने अपनी शिक्षा कोटा से प्राप्त की और वर्तमान में एक शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं। “सरकारी चाय के लिए” उनका पहला उपन्यास है, जो उनके व्यक्तिगत अनुभवों और संघर्षों का परिणाम है। यह उपन्यास अटल, अमीश और राधेश्याम जैसे पात्रों के माध्यम से उन युवाओं की दास्तान बयां करता है जो छोटे कस्बों और गांवों से बड़े शहरों में प्रशासनिक सेवाओं की तैयारी करने आते हैं। इन पात्रों की मेहनत, असफलताएँ और पुनः प्रयास की कहानी पाठकों को प्रेरित करती है।