सम्राट अशोक का सही इतिहास Hindi

❴SHARE THIS PDF❵ FacebookX (Twitter)Whatsapp
REPORT THIS PDF ⚐

सम्राट अशोक का सही इतिहास Hindi

चक्रवर्ती सम्राट अशोक महान यानि सम्राट अशोक का जन्म पाटलिपुत्र में 273 ईसा पूर्व में हुआ था।  उस समय पाटलिपुत्र मगध साम्राज्य के अधीन आता था और काफी प्रचलित शहर था।  वर्तमान समय में पाटलिपुत्र को “पटना” के नाम से जाना जाता है जो भारत के उतरी-पूर्व राज्य बिहार की राजधानी है। चक्रवर्ती सम्राट अशोक रानी धर्मा और बिंदुसार के पुत्र थे। श्रीलंका की परंपरा में बिंदुसार का जो वर्णन किया है उसमें उसकी 16 पटरानियों और 101 पुत्रों का उल्लेख मिलता है। लेकिन इतिहास को खंगालने पर राजा बिंदुसार के सिर्फ तीन पुत्रों के नाम सामने आते हैं जिनमें सुसीम जो कि सबसे बड़ा था उसके बाद अशोक और तिष्य का नाम आता है।

एक पौराणिक कहानी के अनुसार एक दिन रानी धर्मा को सपना आया कि उसका पुत्र आगे चलकर एक विशाल साम्राज्य का बहुत बड़ा सम्राट बनेगा, उसके बाद राजा बिंदुसार से उनकी शादी हो गई। रानी धर्मा क्षत्रिय कुल से नहीं थी। चक्रवर्ती सम्राट अशोक महान (Samrat Ashok) बचपन से ही सैन्य गतिविधियों में भाग लेते रहते थे और बचपन में ही निपुणता हासिल कर ली थी। आज से लगभग 2000 वर्ष पूर्व अशोक द्वारा खुदवाया गया चिह्न, जिसे अशोक चिह्न के नाम से जाना जाता है आज भारत का राष्ट्री य चिन्ह है। अशोक चिन्ह भारत के तिरंगे के मध्य में शोभायमान हैं।

सम्राट अशोक का सही इतिहास

सम्राट अशोक (Samrat Ashok) को ऐसे ही महान नहीं कहा जाता है, उनका साम्राज्य उत्तर में हिंदूकुश की श्रेणियों से लेकर दक्षिण में गोदावरी नदी के दक्षिण तथा मैसूर तक फैला हुआ था।
पूर्व दिशा में बांग्लादेश से लेकर पश्चिम दिशा में अफगानिस्तान ईरान तक फैला हुआ था। अगर वर्तमान परिदृश्य में सम्राट अशोक (Samrat Ashok) के साम्राज्य की सीमाओं की बात की जाए तो इसमें संपूर्ण भारत के साथ-साथ अफगानिस्तान, नेपाल, पाकिस्तान, भूटान, म्यांमार और बांग्लादेश का अधिकांश हिस्सा शामिल था।

जब भी विश्व के शक्तिशाली और महान राजाओं की बात की जाती है तो मौर्य साम्राज्य के तृतीय राजा सम्राट अशोक (Chakravarti Samrat Ashok) का नाम पहली पंक्ति में आता है। सम्राटों के सम्राट चक्रवर्ती सम्राट अशोक भारत के सबसे शक्तिशाली एवं महान सम्राट थे। सम्राट अशोक द्वारा साम्राज्य विस्तार उस समय तक्षशिला में यूनानी और भारतीय लोगों की जनसंख्या ज्यादा थी।

सम्राट अशोक (Samrat Ashok) के बड़े भाई सुसीम उस समय तक्षशिला का प्रांतपाल था। सुसीम प्रशासनिक कार्यों में कुशल नहीं था। साथ ही अलग-अलग धर्मों के लोग रहने की वजह से वहां पर एक बहुत बड़ा विद्रोह खड़ा हो गया। जब राजा बिंदुसार को लगा कि विद्रोह को दबाना सुसीम के बस का रोग नहीं है तो उन्होंनेन्हों चक्रवर्ती सम्राट अशोक को विद्रोह को दबाने के लिए तक्षशिला भेजा। इस समय तक सम्राट अशोक (Samrat Ashok) बहुत नाम कमा चुके थे उनकी युद्ध कौशल लेता और महानता से करीब करीब सभी लोग परिचित थे और यही वजह रही कि तक्षशिला पहुंचने से पहले ही विद्रोहियों ने विद्रोह को खत्म कर दिया।

यह बिना युद्ध के खत्म होने वाला पहला विद्रोह था। सम्राट अशोक (Samrat Ashok) के बढ़ते प्रभाव से उसका बड़ा भाई सुसीम घबरा गया क्योंकिक्यों उसे लगने लग गया था कि सम्राट अशोक की प्रसिद्धि इसी तरह बढ़ती रही तो वह कभी मौर्य साम्राज्य का सम्राट नहीं बन पाएगा, इसीलिए उन्होंनेन्हों पिता बिंदुसार से आग्रह किया और सम्राट अशोक को कलिंग भेज दिया गया। कहते हैं कि कलिंग जाने के पश्चात वहां के एक प्रतिष्ठित व्यक्ति की पुत्री मत्स्यकुमारी कौर्वकी से सम्राट अशोक (Chakravarti Samrat Ashok) को प्रेम हो गया और धीरे-धीरे यह प्रेम विवाह में तब्दील हो गया।

और अधिक जानकारी के लिए सम्राट अशोक का सही इतिहास PDF में डाउनलोड कर सकते हैं। 

2nd Page of सम्राट अशोक का सही इतिहास PDF
सम्राट अशोक का सही इतिहास

सम्राट अशोक का सही इतिहास PDF Free Download

REPORT THISIf the purchase / download link of सम्राट अशोक का सही इतिहास PDF is not working or you feel any other problem with it, please REPORT IT by selecting the appropriate action such as copyright material / promotion content / link is broken etc. If this is a copyright material we will not be providing its PDF or any source for downloading at any cost.

SIMILAR PDF FILES