ऋणमोचन मंगल स्तोत्र – Rinmochan Mangal Stotra Hindi PDF

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ऋणमोचन मंगल स्तोत्र – Rinmochan Mangal Stotra - Summary

मंगलवार का दिन ऋणमोचन मंगल स्तोत्र (Rinmochan Mangal Stotra) का पाठ करने के लिए विशेष माना जाता है। इस दिन हम संकटमोचन हनुमान जी की पूजा करते हैं और मंगल ग्रह के प्रभाव से कर्ज के संकट से मुक्ति पाने के उपाय करते हैं। यदि आप मंगलवार के दिन हनुमान जी की आराधना करते समय ऋणमोचन मंगल स्तोत्र का पाठ करेंगे, तो निश्चित रूप से आपको आर्थिक समस्याओं से राहत मिलेगी। पढ़ने से पहले आप एक लाल आसन पर बैठ जाएं और फिर हनुमान जी की पूजा करें। इसके बाद ऋणमोचन मंगल स्तोत्र का पाठ करें।

आप इस विशेष स्तोत्र का पाठ हर मंगलवार कर सकते हैं, या चाहें तो हर दिन भी। कोशिश करें कि आप मंगलवार के शुभ मुहूर्त में इसका शुरूआत करें। उदाहरण के लिए, आज भौम प्रदोष व्रत और सर्वार्थ सिद्धि योग है, जो आपके लिए इस स्तोत्र का पाठ आरंभ करने के लिए बहुत अच्छा समय है। यदि आज नहीं कर सकती, तो किसी अन्य मंगलवार को शुभ मुहूर्त में ऋणमोचन मंगल स्तोत्र का पाठ शुरू करें।

ऋणमोचन मंगल स्तोत्र – Rinmochan Mangal Stotra in Hindi

मङ्गलो भूमिपुत्र ऋणहर्ता धनप्रदः।
स्थिरासनो महाकायः सर्वकर्मावरोधकः।।1।।

भावार्थ:- हे मंगलदेव जी! आपके जो नाम शास्त्रों में बताये गए हैं, उनमें से पहला नाम मंगल, दूसरा नाम भूमिपुत्र, तीसरा नाम ऋण हर्ता, चौथा नाम धनप्रद, पांचवा नाम स्थिरासन, छठा नाम महाकाय और सातवां नाम सर्वकमावरोचक है।

लोहितो लोहिताङ्ग सामगानां कृपाकरः।
धरात्मजः कुजो भौमी भूतिदो भूमिनन्दनः।।12।।

भावार्थ:- हे मंगलदेव जी! आपके नामों में आठवाँ नाम लोहित, नवा नाम लोहितांग, दसवा नाम सामगाना, और ग्यारहवा नाम धरात्मज है। आप अपनी कृपा से भौम और भूतिद को दान करने वाले हैं।

अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः।
दृष्टे कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रदः 1311।।

भावार्थ:- हे मंगलदेव जी! आपके नामों में सोलहवाँ नाम अंगारक, संग्रहवाँ नाम यम, और अठहरवा नाम सर्व रोगापहारक है।

एतानि कुजनामानि नित्यं यः श्रद्धया पठेत्।
ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्नुयात्।।।4।।

भावार्थ:- जो मनुष्य आपके उपर्युक्त नामों का ध्यान करते हैं, उन्हें आर्थिक संकट नहीं होता और धन की प्राप्ति जल्दी होती है।

धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्ति-समप्रभम्।
कुमारं शक्तिहरतं च मङ्गलं प्रणमाम्यहम्।।5।।

भावार्थ:- हे अंगारक, आपकी उत्पत्ति पृथ्वी के गर्भ से हुई है। आपकी ज्योति आकाश में चमकने वाली बिजली के समान है।

स्तोत्रमङ्गारकस्येतत् पठनीयं सदा नृभिः।
न तेषी भीमजा पीड़ा स्वल्पाऽपि भवति कचित्।।6।।

भावार्थ:– इस मंगल स्तोत्र का पाठ मनुष्यों के लिए अति शुभ है।

अङ्गारका महाभाना भगवन्! भक्तवत्सल!
त्वां नमामि ममाशेषगुणमाथ विनाशय।।7।।

भावार्थ:- हे अंगारक, आप हमारे ऊपर से कर्ज को दूर करें और हमारी भक्ति को स्वीकार करें।

ऋणरोगादि-दारिद्रये ये चाऽन्ये हापमृत्यवः।
भय-क्लेश-मनस्तापा नश्यन्तु मम सर्वदा। 18।।

भावार्थ:- हे मंगलदेव, सभी तरह के संकटों और दु:खों को दूर करें।

अतिवक्रा दुराराध्य। भोगमुक्तजितात्मनः।
तुष्टो ददासि साम्राज्य रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।।9।।

भावार्थ:– आप प्रसन्न होने पर अपार सुख प्रदान करते हैं।

विरिच एक विष्णूना मनुष्याणां तु का कथा।
तेन त्वं सर्वसत्त्वेन ग्रहराजी महाबलः।।10।।

भावार्थ:– जब आप किसी पर नाराज होते हैं, तो उनकी सम्पत्ति का नाश कर देते हैं।

पुत्रान् देहि धनं देहि त्वामस्मि शरणं गताः।
ऋणदारिद्र्यदुःखेन शत्रूणां च भयात्ततः।।11।।

भावार्थ:- भगवान, आप मेरी मनोकामना को पूर्ण करें और मेरी गरीबी और कर्ज का नाश करें।

एभिर्द्वादश तोकेयः स्तीति च परासुतम्।
महती श्रियमाप्नोति ह्यपरो धनदो युवा।।12।।

भावार्थ:- जो ये बारह श्लोक पढ़ते हैं, उन पर मंगल भगवान प्रसन्न होकर धन देते हैं।

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