Lohri Festival Punjabi Geet - Summary
लोहरी का इतिहास बहुत पुराना है। लोहरी का त्यौहार पंजाब व आसपास के प्रदेशों में खुशहाली के साथ मनाया जाता है। यह रबी फसलों की फसल काटने का अवसर है, जो कि सर्दियों में बोई गयी जाता है। तो इस त्योहार का मुख्य आकर्षण सर्दियों के भोजन जैसे सरसों का साग (सरसों दा साग), मक्के दी रोटी, तिल, रेवड़ी, गजक आदि होते हैं।
तिल और गुड़ को पारंपरिक भोजन के रूप में खाया जाता है | तिल और रोरि (गुड) के शब्दों को एक साथ मिलाकर ‘तिलोही’ बनता हैं, और अंततः इस त्यौहार को लोहड़ी के नाम से जाना जाता है।
लोहड़ी का त्योहार पंजाबी गीत
अर्थ सुन्दिरिये मुन्दिरिये हो तेरा कौन विचारा-होअर्थ
अर्थ दुल्ला मही वाला हो दुल्ले ने घी ब्याही-होंअर्थ
अर्थ सैर शक्कर पाई- हो कड़ी दा लाल पटाका होअर्थ
अर्थ कुड़ी दा सालू फाटा-हौ साल कौन समेटे- हाँअर्थ
अर्थ चाचा चूरी कुट्टी-हों जमीदारी लूटी होअर्थ
अर्थ जमींदार सुधार्य हो बड़े भोले आये-होंअर्थ
अर्थ इक भोला रह गया-हों सिपाही पकड़ के लै गया होंअर्थ
अर्थ सिपाही ने मारी ईट, भाँवे रो, ते भाँवे पीटअर्थ
अर्थ सानू दे दे, लोहड़ी तेरी जीवे, जोड़ी।अर्थ
अर्थ असी गंगा चल्ले शावा !अर्थ
अर्थ सस सौरा चल्ले शावा !अर्थ
अर्थ जेठ जेठाणी चल्ले शावा !अर्थ
अर्थ देयोर दराणी चल्ले शावा !अर्थ
अर्थ पियारी शौक़ण चल्ली शावा !अर्थ
अर्थ असी गंगा न्हाते शावा !अर्थ
अर्थ सस सौरा न्हाते शावा !अर्थ
अर्थ जेठ जठाणी न्हा शावा !अर्थ
अर्थ देयोर दराणी न्हा शावा ! –अर्थ
अर्थ पियारी शौक़ण न्हाती शावाअर्थ
अर्थ शौक़ण पैली पौड़ी शावा –अर्थ
अर्थ शौक़ण दूजी पौड़ी शावा !अर्थ
अर्थ शौक़ण तौजी पौड़ी – शावा !अर्थ
अर्थ मैं ते धिक्का दित्ता शावा ! –अर्थ
अर्थ शौक़ण विच्चे रुड़ गई शावा !अर्थ
अर्थ सस सौरा रोण शावा !अर्थ
अर्थ जेठ जठाणी रोण शावा !अर्थ
अर्थ देयोर दराणी रोण शावा !अर्थ
अर्थ पियारा ओ वी रोवे शावा !अर्थ
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