जीवित्पुत्रिका व्रत आरती – Jivitputrika Aarti Lyrics - Summary
जीवित्पुत्रिका व्रत आरती – Jivitputrika Aarti Lyrics
जीवित्पुत्रिका या जीतिया व्रत के दिन माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र, सेहत और सुखमयी जीवन के लिए व्रत रखती हैं। इस व्रत की शुरुआत सप्तमी से नहाय-खाय के साथ होती है और नवमी को पारण के साथ इसका समापन होता है। यह व्रत माताओं के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि वे इस दिन विष्णु भगवान को प्रसन्न करने के लिए जीवित्पुत्रिका की आरती श्रद्धा पूर्वक पढ़ती हैं। कोई भी व्रत बिना आरती के अधूरा सा होता है। आप इस जीवित्पुत्रिका व्रत आरती का PDF डाउनलोड करके पढ़ सकते हैं। इसलिए, जीवित्पुत्रिका व्रत आरती का इस व्रत में बहुत ही अधिक महत्व है।
जीवित्पुत्रिका या जितिया व्रत आरती / Jitiya (Jivitputrika) Aarti Lyrics in Hindi
ओम जय कश्यप नन्दन, प्रभु जय अदिति नन्दन।
त्रिभुवन तिमिर निकंदन, भक्त हृदय चन्दन॥
॥ओम जय कश्यप॥
सप्त अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी।
दु:खहारी, सुखकारी, मानस मलहारी॥
॥ओम जय कश्यप॥
सुर मुनि भूसुर वन्दित, विमल विभवशाली।
अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली॥
॥ओम जय कश्यप॥
सकल सुकर्म प्रसविता, सविता शुभकारी।
विश्व विलोचन मोचन, भव-बंधन भारी॥
॥ओम जय कश्यप॥
कमल समूह विकासक, नाशक त्रय तापा।
सेवत सहज हरत अति, मनसिज संतापा॥
॥ओम जय कश्यप॥
नेत्र व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा हारी।
वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥
॥ओम जय कश्यप॥
सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै।
हर अज्ञान मोह सब, तत्वज्ञान दीजै॥
॥ओम जय कश्यप॥
जीवित्पुत्रिका पूजन मंत्र / Jitiya Puja Mantra
जितिया व्रत का पूजन मंत्र निम्नप्रकार है –
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।।
Jivitputrika Aarti Lyrics in Hindi
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