गुरु स्तोत्रम् | Guru Stotram Sanskrit PDF
हिन्दू वैदिक ज्योतिष में गुरु बृहस्पति देव को अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। गुरु ग्रह का कुंडली में अत्यधिक विशेष स्थान होता है। यदि आपकी कुंडली में भी गुरु ग्रह की अन्तर्दशा अथवा महादशा चल रही है तो आपको गुरु ग्रह से सम्बंधित उपाय अवश्य करने चाहिए।
गुरु बृहस्पति को प्रसन्न करने के सरलतम उपायों में से एक गुरु स्तोत्रम है। गुरु स्तोत्रम को बृहस्पति स्तोत्रम के नाम से भी जाना जाता है। यदि आप भी गुरु बृहस्पति को प्रसन्न करना चाहते हैं तो नियमित रूप से प्रतिदिन अपने घर पर गुरु बृहस्पति का ध्यान करते हुए गुरु स्तोत्रम का पाठ अवश्य करें।
गुरु स्तोत्रम् | Guru Stotram Lyrics in Sanskrit
अथ गुरुस्तोत्रम् ।
बृहस्पतिः सुराचार्यो दयावान् शुभलक्षणः ।
लोकत्रयगुरुः श्रीमान्सर्वज्ञः सर्वकोविदः ॥ १॥
सर्वेशः सर्वदाऽभीष्टः सर्वजित्सर्वपूजितः ।
अक्रोधनो मुनिश्रेष्ठो नीतिकर्ता गुरुः पिता ॥ २॥
विश्वात्मा विश्वकर्ता च विश्वयोनिरयोनिजः ।
भूर्भुवःसुवरों चैव भर्ता चैव महाबलः ॥ ३॥
पञ्चविंशतिनामानि पुण्यानि नियतात्मना ।
वसता नन्दभवने विष्णुना कीर्तितानि वै ॥ ४॥
यः पठेत् प्रातरुत्थाय प्रयतः सुसमाहितः ।
विपरीतोऽपि भगवान्प्रीतो भवति वै गुरुः ॥ ५॥
यश्छृणोति गुरुस्तोत्रं चिरं जीवेन्न संशयः ।
बृहस्पतिकृता पीडा न कदाचिद्भविष्यति ॥ ६॥
इति गुरुस्तोत्रं सम्पूर्णम् ।
गुरु स्तोत्रम् | Guru Stotram
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