गणेश स्तुति (Ganesh Stuti) - Summary
गणेश स्तुति (Ganesh Stuti) एक महत्वपूर्ण धार्मिक प्रथा है जो भक्तों द्वारा भगवान गणेश की आराधना करने के लिए की जाती है। स्तुति का अर्थ है ‘स्तुति करना’ और देवता की विशेषताओं का वर्णन करना और आशीर्वाद माँगना। यह एक संस्कृत शब्द है जो क्रिया स्टु धातु से लिया गया है। यह याद रखने में आसान है क्योंकि यह छोटा है, आसान काव्य छंदों में बना है और इसे गाया भी जा सकता है। भगवान गणपति की पूजा किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले की जाती है और यही कारण है कि वह विघ्नहर्ता और शुभकर्ता कहे जाते हैं। यानी मनुष्य के कार्य पर आने वाली विपदाओं को वह हर कर उसे शुभता प्रदान करते हैं। बुधवार के दिन गणपति की विशेष पूजा की जाती है। हालांकि हर पूजा से पूर्व गणपति जी की पूजा अनिवार्य होती है। इसलिए यदि आप भगवान की पूजा रोज विधिवत तरीके से न भी कर सकें तो उनकी पूजा में दो विशेष काम हमेशा करें। 😊
भगवान गणेश की पूजा
भगवान गणेश को विघ्नहर्ता के रूप में जाना जाता है और इसलिए, उनका नाम आम तौर पर किसी भी कार्य को करने से पहले या किसी भी घटना या खुशी के अवसर की शुरुआत में सुनाया जाता है। वक्रतुंड महाकाय एक बहुत लोकप्रिय और आमतौर पर जपने वाली स्तुति है।
गणेश स्तुति – Ganesh Stuti
श्लोक
ॐ गजाननं भूंतागणाधि सेवितम्, कपित्थजम्बू फलचारु भक्षणम्। उमासुतम् शोक विनाश कारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम्॥
स्तुति
गाइए गणपति जगवंदन। शंकर सुवन भवानी के नंदन।। गाइए गणपति जगवंदन… सिद्धी सदन गजवदन विनायक। कृपा सिंधु सुंदर सब लायक।। गाइए गणपति जगवंदन… मोदक प्रिय मृद मंगल दाता। विद्या बारिधि बुद्धि विधाता।। गाइए गणपति जगवंदन… मांगत तुलसीदास कर जोरे। बसहिं रामसिय मानस मोरे।। गाइए गणपति जगवंदन…
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