दुर्गा स्तुति: - Shri Durga Stuti Sanskrit
मां दुर्गा के मंत्रों का जाप सच्चे मन से किया जाए तो व्यक्ति को विशेष फल की प्राप्ति होती है। यह अत्यंत कल्याणकारी होता है। जागरण अध्यात्म के इस लेख में हम आपको दुर्गा स्तुति के बारे में बता रहे हैं जिनके उच्चारण से जीवन भय एवं बाधारहित हो जाता है। साथ ही समस्त सुखों की प्राप्ति होती है। इस दिन पूजा करते समय मां दुर्गा के स्वरूपों का स्मरण करें और निम्न मंत्रों का जाप सच्चे मन से करें तो व्यक्ति को सफलता प्राप्त होती है।
महर्षि व्यास द्वारा लिखा गया मां दुर्गा का यह स्त्रोत कल्याणकारी है। इसका पाठ करने से मनुष्य हर संकट से दूर रहता है मां भगवती की कृपा हमेशा बनी रहती है।
दुर्गा स्तुति – Durga Stuti Lyrics
जय भगवति देवि नमो वरदे जय पापविनाशिनि बहुफलदे।
जय शुम्भनिशुम्भकपालधरे प्रणमामि तु देवि नरार्तिहरे॥1॥
जय चन्द्रदिवाकरनेत्रधरे जय पावकभूषितवक्त्रवरे।
जय भैरवदेहनिलीनपरे जय अन्धकदैत्यविशोषकरे॥2॥
जय महिषविमर्दिनि शूलकरे जय लोकसमस्तकपापहरे।
जय देवि पितामहविष्णुनते जय भास्करशक्रशिरोवनते॥3॥
जय षण्मुखसायुधईशनुते जय सागरगामिनि शम्भुनुते।
जय दु:खदरिद्रविनाशकरे जय पुत्रकलत्रविवृद्धिकरे॥4॥
जय देवि समस्तशरीरधरे जय नाकविदर्शिनि दु:खहरे।
जय व्याधिविनाशिनि मोक्ष करे जय वाञ्छितदायिनि सिद्धिवरे॥5॥
एतद्व्यासकृतं स्तोत्रं य: पठेन्नियत: शुचि:।
गृहे वा शुद्धभावेन प्रीता भगवती सदा॥6॥
दुर्गा स्तुति पाठ विधि
- ब्रह्म मुहूर्त में उठते समय जय जगदम्बे जय जय अम्बे का ग्यारह बार मुँह में जाप करें।
- शौच आदि से निवृत हो कर स्नान करने के बाद लाल रूमाल कन्धे पर रखकर पाठ करें।
- मौली दाई कलाई पर बांधे या बंधवा लें । आसन पर चौकड़ी लगा कर (बैठ कर ) हाथ जोड़ कर बोलें :
- पौना वाली माता जी तुहाडी सदा ही जय। ” भगवती मां के सामने घी की जोत जला कर पाठ प्रारम्भ करें।
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