गीता प्रेस गोरखपुर दुर्गा सप्तशती – Durga Saptashati Geeta Press Gorakhpur - Summary
गीता प्रेस, गोरखपुर द्वारा प्रकाशित दुर्गा सप्तशती एक पवित्र ग्रंथ है, जिसमें देवी दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों और उनके पराक्रम का वर्णन मिलता है। यह ग्रंथ मार्कण्डेय पुराण का ही एक अंश है और इसे चंडी पाठ भी कहा जाता है। इसमें सात सौ श्लोक हैं, जो भक्तों को शक्ति, भक्ति और आत्मबल प्रदान करते हैं।
दुर्गा सप्तशती में देवी दुर्गा द्वारा असुरों का वध और धर्म की रक्षा की कथाएँ विस्तार से वर्णित हैं। गीता प्रेस ने इस ग्रंथ को सरल भाषा और शुद्ध छपाई के साथ प्रकाशित किया है ताकि आम पाठक भी इसे आसानी से समझ सकें। इसे पढ़ने से श्रद्धालु को साहस, आत्मविश्वास और देवी की कृपा प्राप्त होती है।
Durga Saptashati Gita Press Gorakhpur Hindi – गीता प्रेस गोरखपुर दुर्गा सप्तशती
विशेष रूप से शारदीय नवरात्रि में श्री दुर्गासप्तशती का पाठ बड़े श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जाता है। कुछ घरों में इस पाठ की पारंपरिक विधि होती है। पाठ के बाद हवन भी किया जाता है, जिसे ‘चंडी विधान’ कहा जाता है। संख्या के अनुसार नवचंडी, शतचंडी, सहस्रचंडी और लक्षचंडी जैसे चंडी विधान बताए गए हैं। लोग नवरात्रि के नौ दिनों में हर दिन एक पाठ करते हैं।
नवरात्रि के दौरान यथाशक्ति श्री दुर्गासप्तशती का पाठ करने की परंपरा है। पाठ के बाद श्रद्धा के साथ पोथी पर फूल अर्पित कर आरती की जाती है। श्री दुर्गासप्तशती पाठ में देवी माँ के विभिन्न रूपों को वंदन किया गया है।