(श्री दुर्गासप्तशती) Durga Saptashati Book - Summary
दुर्गा सप्तशती एक अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली ग्रंथ है जिसमें माँ दुर्गा के महिमा, स्वरूप और लीलाओं का वर्णन किया गया है। यह ग्रंथ मार्कंडेय पुराण का हिस्सा है और इसमें कुल 700 श्लोक हैं, इसलिए इसे “सप्तशती” कहा जाता है। इसमें देवी दुर्गा के माध्यम से असुरों के विनाश और धर्म की रक्षा की कथाएँ मिलती हैं।
इस ग्रंथ का पाठ विशेष रूप से नवरात्रि और दुर्गा पूजा के समय किया जाता है। भक्त मानते हैं कि दुर्गा सप्तशती के नियमित पाठ से जीवन की कठिनाइयाँ दूर होती हैं, भय नष्ट होता है और शक्ति, साहस तथा शांति प्राप्त होती है। यह केवल धार्मिक ग्रंथ ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक शक्ति का स्रोत भी है।
श्री दुर्गासप्तशती के महत्व
दुर्गासप्तशती पुस्तक में पाठ करने की प्रामाणिक विधि, कवच, अर्गला, कीलक, वैदिक, तान्त्रिक रात्रिसूक्त, देव्यथर्वशीर्ष, नवार्णविधि, मूल पाठ, दुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्र, श्रीदुर्गामानसपूजा, तीनों रहस्य, क्षमा-प्रार्थना, सिद्धिकुञ्जिकास्तोत्र, पाठ के विभिन्न प्रयोग तथा आरती दी गई है।
श्री दुर्गासप्तशती किताब का सार
इस किताब में सम्पूर्ण श्लोकों के साथ-साथ श्री देवी जी की आरती, श्री अम्बे जी की आरती, श्री दुर्गासप्तशती पाठ विधि, श्री दुर्गासप्तशती के सभी 13 अध्याय, उपसंहार, क्षमा प्रार्थना, श्री दुर्गामानस पूजा और श्री दुर्गा सप्तशती के कुछ सिद्ध सम्पुट-मंत्र भी शामिल हैं। यह ग्रन्थ हिन्दू-धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसमें भगवती की कृपा का सुन्दर इतिहास और अनेक गूढ़ रहस्य भरे हुए हैं। सकाम भक्त इस ग्रन्थ का श्रद्धापूर्वक पाठ कर के कामनासिद्धि प्राप्त करते हैं, जबकि निष्काम भक्त दुर्लभ मोक्ष की प्राप्ति करते हैं।
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