प्रारूप (Draft) राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 - Summary
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राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 का मसौदा एमएचआरडी की वेबसाइट पर और ‘माईगव इनोवेट’ पोर्टल पर अपलोड किया गया था, जिसमें आम नागरिक सहित हितधारकों के विचारों/सुझावों/टिप्पणियों को प्राप्त किया गया और नई शिक्षा नीति 2020 को तैयार किया गया है।
भारत सरकार ने 29 जुलाई 2020 को नई शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी दे दी है। इस 2020 की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं जैसे कि
- नई नीति का उद्देश्य 2030 तक स्कूली शिक्षा में 100% जीईआर के साथ पूर्व-विद्यालय से माध्यमिक स्तर तक की शिक्षा के सार्वभौमिकरण का लक्ष्य
- एनईपी 2020 स्कूल से दूर रह रहे 2 करोड़ बच्चों को फिर से मुख्य धारा में लाएगा
- 12 साल की स्कूली शिक्षा और 3 साल की आंगनवाड़ी / प्री-स्कूलिंग के साथ नए 5 + 3 + 3 + 4 स्कूली पाठ्यक्रम
- पढ़ने-लिखने और गणना करने की बुनियादी योग्यता पर ज़ोर, स्कूलों में शैक्षणिक धाराओं, पाठ्येतर गतिविधियों और व्यावसायिक शिक्षा के बीच खास अंतर नहीं; इंटर्नशिप के साथ कक्षा 6 से व्यावसायिक शिक्षा शुरू
- कम से कम 5 वीं कक्षा तक मातृभाषा / क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई
- समग्र विकास कार्ड के साथ मूल्यांकन प्रक्रिया में पूरी तरह सुधार, सीखने की प्रक्रिया में छात्रों की प्रगति पर पूरी नज़र रखना
- उच्च शिक्षा में जीईआर को 2035 तक 50% तक बढ़ाया जाना; उच्च शिक्षा में 3.5 करोड़ नई सीटें जोड़ी जाएंगी
- उच्च शिक्षा पाठ्यक्रम में विषयों की विविधता होगी
- उपयुक्त प्रमाणीकरण के साथ पाठ्यक्रम के बीच में नामांकन / निकास की अनुमति होगी
- ट्रांसफर ऑफ क्रेडिट की सुविधा के लिए अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट की स्थापना की जाएगी
- ठोस अनुसंधान संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन की स्थापना की जाएगी
- उच्च शिक्षा के आसान मगर सख्त विनियमन, विभिन्न कार्यों के लिए चार अलग-अलग कामों पर एक नियामक होगा
- महाविद्यालयों को 15 वर्षों में चरणबद्ध स्वायत्तता के साथ संबद्धता प्रणाली पूरी की जाएगी
- एनईपी 2020 में जरूरत के हिसाब से प्रौद्योगिकी के उपयोग पर ज़ोर, राष्ट्रीय शिक्षा प्रौद्योगिकी मंच की स्थापनी की जाएगी
- एनईपी 2020 में जेंडर इंक्लूजन फंड और वंचित इलाकों तथा समूहों के लिए विशेष शिक्षा क्षेत्र की स्थापना पर ज़ोर
- नई शिक्षा नीति स्कूली और उच्च शिक्षा दोनों में बहुभाषावाद को बढ़ावा देती है; पाली, फारसी और प्राकृत के लिए राष्ट्रीय संस्थान, भारतीय अनुवाद और व्याख्या संस्थान की स्थापना की जाएगी