छायावाद की प्रमुख प्रवृत्तियाँ Hindi

छायावाद की प्रमुख प्रवृत्तियाँ Hindi PDF download free from the direct link given below in the page.

9 Like this PDF
❴SHARE THIS PDF❵ FacebookX (Twitter)Whatsapp
REPORT THIS PDF ⚐

छायावाद की प्रमुख प्रवृत्तियाँ Hindi PDF

छायावाद हिंदी साहित्य के रोमांटिक उत्थान की वह काव्य-धारा है जो लगभग ई.स. 1918 से 1936 तक की प्रमुख युगवाणी रही। छायावाद नामकरण का श्रेय मुकुटधर पाण्डेय को जाता है। मुकुटधर पाण्डेय ने श्री शारदा पत्रिका में एक निबंध प्रकाशित किया जिस निबंध में उन्होंने छायावाद शब्द का प्रथम प्रयोग किया। छायावादी काव्य में वैयक्तिकता का प्राधान्य है। कविता वैयक्तिक चिंतन और अनुभूति की परिधि में सीमित होने के कारण अंतर्मुखी हो गई, कवि के अहम् भाव में निबद्ध हो गई। कवियों ने काव्य में अपने सुख-दु:ख,उतार-चढ़ाव,आशा-निराशा की अभिव्यक्ति खुल कर की। उसने समग्र वस्तुजगत को अपनी भावनाओं में रंग कर देखा। जयशंकर प्रसाद का’आंसू’ तथा सुमित्रा नंदन पंत के ‘उच्छवास’ और ‘आंसू’ व्यक्तिवादी अभिव्यक्ति के सुंदर निदर्शन हैं। इसके व्यक्तिवाद के स्व में सर्व सन्निहित है।

हिंदी की छायावादी कविता की सबसे बड़ी विशेषता व्यक्तिवाद है । छायावादी कविता मूलतः व्यक्तिवाद की कविता है । विषयवस्तु की खोज में कवि बाहर नहीं अपने मन के भीतर झांकता है । इन कवियों में अपने व्यक्तित्व के प्रति अगाध विश्वास है .इस अतिशय विश्वास को बड़े उत्साह के साथ उसने भाव और काला में बाधकर अपने सुख – दुःख की अभिव्यक्ति की है। प्रसाद के आँसू तथा पन्त के उच्छ्वास में व्यक्तिवाद की ही अभिव्यक्ति हुई है।

छायावाद की प्रमुख प्रवृत्तियाँ

  • व्यक्तिवाद की प्रधानता:- छायावादी कविता में प्रकृति प्रेम को इतना महत्व दिया गया है कि बहुत से लोग इसी को छायावाद कहते हैं । छायावाद में प्रकृति पर चेतना का आरोप किया गया है । प्रसाद ,पन्त ,निराला ,महादेवी आदि सभी छायावादी कवियों ने प्रकृति का नारी रूप में चित्रण कर अपने सौन्दर्य तथा प्रेम भाव की अभिव्यक्ति की है।
  • प्रकृति चित्रण :-छायावादी कविता में प्रकृति प्रेम को इतना महत्व दिया गया है कि बहुत से लोग इसी को छायावाद कहते हैं । छायावाद में प्रकृति पर चेतना का आरोप किया गया है । प्रसाद ,पन्त ,निराला ,महादेवी आदि सभी छायावादी कवियों ने प्रकृति का नारी रूप में चित्रण कर अपने सौन्दर्य तथा प्रेम भाव की अभिव्यक्ति की है ।
  • नारी-सौंदर्य और प्रेम-चित्रण :- छायावादी कवियों में नारी सौन्दर्य के प्रति विशेष आकर्षण है । इसमें सूक्षमता और शील है न कि रीतिकालीन कविता जैसी स्थूलता और नन्गता ।
  • प्रेम चित्रण :- छायावादी कवियों के प्रेम चित्रण में कोई लुका छिपी नहीं है । क्योंकि इसमें स्थूल क्रिया व्यापारों का चित्रण नहीं मिलता है या न के बराबर मिलता है । यह चित्रण मानसिक स्टार तक सिमित है । अतः इसमें मिलन की अनुभुतीओं की अपेक्षा विरहानुभूति का व्यापक चित्रण है ,निराला की कविता स्नेह निर्भर बह गया है । पन्तकृत ग्रंथि तथा प्रसाद कृत आँसू एवं आत्मकथा में ऐसे ही प्रणय चित्रण है
  • रहस्यवाद :-छायावादी कविता में रहस्यवाद एक आवश्यक प्रवृति है । यह प्रवृति हिंदी साहित्य की एक आदि प्रवृति रही है । इस कारण छायावाद के प्रत्येक कवि ने एक फैशन अथवा व्यक्तिगत रूचि से इस प्रवृति को ग्रहण किया । यदि निराला ने तत्व ज्ञान के कारण इसे अपनाया ,तो पन्त ने प्रक्तितिक सौन्दर्य अभिभूत होकर और महादेवी वर्मा ने अतिशय प्रेम और वेदना के कारण इसे तन मन में बसाया ,तो प्रसाद ने परम सत्ता को बाहरी संसार में खोज की दृष्टि से ।
  • स्वच्छन्दतावाद :- छायावादी कविता में प्रकृति प्रेम को इतना महत्व दिया गया है कि बहुत से लोग इसी को छायावाद कहते हैं।
  • कल्पना की प्रधानता :- छायावादी कविता में प्रकृति प्रेम को इतना महत्व दिया गया है कि बहुत से लोग इसी को छायावाद कहते हैं।
  • दार्शनिकता : – छायावादी कविता में प्रकृति प्रेम को इतना महत्व दिया गया है कि बहुत से लोग इसी को छायावाद कहते हैं ।
  • शैलीगत प्रवृत्तियाँ : – छायावादी कविता में प्रकृति प्रेम को इतना महत्व दिया गया है कि बहुत से लोग इसी को छायावाद कहते हैं ।
  • सन्दर्भ : – छायावादी कविता में प्रकृति प्रेम को इतना महत्व दिया गया है कि बहुत से लोग इसी को छायावाद कहते हैं ।

छायावाद की प्रमुख प्रवृत्तियाँ

आप नीचे दिए गए लिंक का उपयोग करके छायावाद की प्रमुख प्रवृत्तियाँ PDF में डाउनलोड कर सकते हैं।

2nd Page of छायावाद की प्रमुख प्रवृत्तियाँ PDF
छायावाद की प्रमुख प्रवृत्तियाँ

Download छायावाद की प्रमुख प्रवृत्तियाँ PDF

REPORT THISIf the purchase / download link of छायावाद की प्रमुख प्रवृत्तियाँ PDF is not working or you feel any other problem with it, please REPORT IT by selecting the appropriate action such as copyright material / promotion content / link is broken etc. If this is a copyright material we will not be providing its PDF or any source for downloading at any cost.

SIMILAR PDF FILES

  • Kamayani Shankar Prasad (कामायनी जयशंकर प्रसाद) Hindi

    जयशंकर प्रसाद (1889-1937) का महाकाव्य कामायनी आधुनिक हिंदी साहित्य की सबसे महत्त्वपूर्ण साहित्यिक कृति मानी जाती है। इसमें मानवीय संवेदनाओं, विचारों और कर्म का आदान-प्रदान दर्शाया गया है। यह महाकाव्य एक वैदिक कथानक पर आधारित है जिसमें मनु (एक मनुष्य) प्रलय के बाद अपने को बिल्कुल भावनाहीन पाता है। कामायनी’...

  • Ramdhari Singh Dinkar Poems Hindi

    रामधारी सिंह ‘दिनकर’ हिन्दी के एक प्रमुख लेखक, कवि व निबन्धकार थे। वे आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं।’दिनकर’ स्वतन्त्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतन्त्रता के बाद ‘राष्ट्रकवि’ के नाम से जाने गये। वे छायावादोत्तर कवियों की...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *