श्री ब्रहस्पति देव चालीसा (Brihaspati Chalisa) Hindi PDF

श्री ब्रहस्पति देव चालीसा (Brihaspati Chalisa) in Hindi PDF download free from the direct link below.

श्री ब्रहस्पति देव चालीसा (Brihaspati Chalisa) - Summary

श्री ब्रहस्पति देव चालीसा PDF हिन्दी अनुवाद सहित– बृहस्पतिवार को भगवान बृहस्पति देव की पूजा करने का खास दिन माना जाता है। यह कहा जाता है कि जिस व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति उच्च स्थिति में होते हैं, उसके पास विविध प्रकार की समृद्धि और धन-धान्य होता है। इसलिए बृहस्पतिवार के दिन बृहस्पति ग्रह के उपाय किए जाते हैं, ताकि उनकी कृपा से अपार धन और समृद्धि प्राप्त की जा सके। इस लेख में हमने श्री ब्रहस्पति देव चालीसा का PDF दिया है, जिसे आप आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं।

ब्रहस्पति देव की पूजा के महत्व

ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि बृहस्पति ग्रह के स्वामी देवता भगवान विष्णु हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है। माना जाता है कि जब हम बृहस्पतिवार के दिन पीले रंग के आसन पर बैठकर भगवान विष्णु का ध्यान करते हैं और विष्णु चालीसा का पाठ करते हैं, तो धन की प्राप्ति के रास्ते खुलते हैं।

श्री ब्रहस्पति देव चालीसा हिन्दी

||दोहा||

प्रन्वाऊ प्रथम गुरु चरण, बुद्धि ज्ञान गुन खान l

श्रीगणेश शारदसहित, बसों ह्रदय में आन ll

अज्ञानी मति मंद मैं, हैं गुरुस्वामी सुजान l

दोषोंसेमैं भरा हुआहूँ तुम हो कृपा निधान ll

||चौपाई||

जय नारायण जय निखिलेशवर l विश्व प्रसिद्ध अखिल तंत्रेश्वर ll 1 ll

यंत्र-मंत्र विज्ञानं के ज्ञाता l भारत भू के प्रेम प्रेनता ll 2 ll

जब जब हुई धरम की हानि l सिद्धाश्रम ने पठए ज्ञानी ll 3 ll

सच्चिदानंद गुरु के प्यारे l सिद्धाश्रम से आप पधारे ll 4 ll

उच्चकोटि के ऋषि-मुनि स्वेच्छा l ओय करन धरम की रक्षा ll 5 ll

अबकी बार आपकी बारी l त्राहि त्राहि है धरा पुकारी ll 6 ll

मरुन्धर प्रान्त खरंटिया ग्रामा l मुल्तानचंद पिता कर नामा ll 7 ll

शेषशायी सपने में आये l माता को दर्शन दिखलाये ll 8 ll

रुपादेवि मातु अति धार्मिक l जनम भयो शुभ इक्कीस तारीख ll 9 ll

जन्म दिवस तिथि शुभ साधक की l पूजा करते आराधक की ll 10 ll

जन्म वृतन्त सुनाये नवीना l मंत्र नारायण नाम करि दीना ll 11 ll

नाम नारायण भव भय हारी l सिद्ध योगी मानव तन धारी ll 12 ll

ऋषिवर ब्रह्म तत्व से ऊर्जित l आत्म स्वरुप गुरु गोरवान्वित ll 13 ll

एक बार संग सखा भवन में lकरि स्नान लगे चिन्तन में ll 14 ll

चिन्तन करत समाधि लागी lसुध-बुध हीन भये अनुरागी ll 15 ll

पूर्ण करि संसार की रीती lशंकर जैसे बने गृहस्थी ll 16 ll

अदभुत संगम प्रभु माया का lअवलोकन है विधि छाया का ll 17 ll

युग-युग से भव बंधन रीती lजंहा नारायण वाही भगवती ll 18 ll

सांसारिक मन हुए अति ग्लानी lतब हिमगिरी गमन की ठानी ll 19 ll

अठारह वर्ष हिमालय घूमे lसर्व सिद्धिया गुरु पग चूमें ll 20 ll

त्याग अटल सिद्धाश्रम आसन lकरम भूमि आये नारायण ll 21 ll

धरा गगन ब्रह्मण में गूंजी lजय गुरुदेव साधना पूंजी ll 22 ll

सर्व धर्महित शिविर पुरोधा lकर्मक्षेत्र के अतुलित योधा ll 23 ll

ह्रदय विशाल शास्त्र भण्डारा lभारत का भौतिक उजियारा ll 24 ll

एक सौ छप्पन ग्रन्थ रचयिता lसीधी साधक विश्व विजेता ll 25 ll

प्रिय लेखक प्रिय गूढ़ प्रवक्ता lभुत-भविष्य के आप विधाता ll 26 ll

आयुर्वेद ज्योतिष के सागर l षोडश कला युक्त परमेश्वर ll 27 ll

रतन पारखी विघन हरंता lसन्यासी अनन्यतम संता ll 28 ll

अदभुत चमत्कार दिखलाया lपारद का शिवलिंग बनाया ll 29 ll

वेद पुराण शास्त्र सब गाते lपारेश्वर दुर्लभ कहलाते ll 30 ll

पूजा कर नित ध्यान लगावे lवो नर सिद्धाश्रम में जावे ll 31 ll

चारो वेद कंठ में धारे lपूजनीय जन-जन के प्यारे ll 32 ll

चिन्तन करत मंत्र जब गायें lविश्वामित्र वशिष्ठ बुलायें ll 33 ll

मंत्र नमो नारायण सांचा lध्यानत भागत भुत-पिशाचा ll 34 ll

प्रातः कल करहि निखिलायन lमन प्रसन्न नित तेजस्वी तन ll 35 ll

निर्मल मन से जो भी ध्यावे lरिद्धि सिद्धि सुख-सम्पति पावे ll 36 ll

पथ करही नित जो चालीसा lशांति प्रदान करहि योगिसा ll 37 ll

अष्टोत्तर शत पाठ करत जो lसर्व सिद्धिया पावत जन सो ll 38 ll

श्री गुरु चरण की धारा lसिद्धाश्रम साधक परिवारा ll 39 ll

जय-जय-जय आनंद के स्वामी lबारम्बार नमामी नमामी ll 40 ll

श्री ब्रहस्पति देव पूजा विधि

  • बृहस्पति देव का पूजन पीली वस्तुएं, पीले फूल, चने की दाल, मुनक्का, पीली मिठाई, पीले चावल और हल्दी चढ़ाकर किया जाता है।
  • इस व्रत में केले के पेड़ की पूजा की जाती है। कथा और पूजन के समय मन, कर्म और वचन से शुद्ध होकर मनोकामना पूरी करने के लिए बृहस्पति देव से प्रार्थना करनी चाहिए।
  • जल में हल्दी डालकर केले के पेड़ पर चढ़ाएं।
  • केले की जड़ में चने की दाल और मुनक्का चढ़ाएं और दीपक जलाकर पेड़ की आरती उतारें।
  • दिन में एक समय ही भोजन करें।
  • खाने में चने की दाल या पीली चीजें खाएं, नमक न खाएं, पीले वस्त्र पहनें, पीले फलों का इस्तेमाल करें।
  • पूजन के बाद भगवान बृहस्पति की कथा सुननी चाहिए।

आप नीचे दिए गए लिंक का उपयोग करके श्री ब्रहस्पति देव चालीसा को PDF डाउनलोड कर सकते हैं।

Also Check – श्री ब्रहस्पति देव व्रत कथा

RELATED PDF FILES

श्री ब्रहस्पति देव चालीसा (Brihaspati Chalisa) Hindi PDF Download